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अफगानिस्तान में कब-क्या हुआ, काबुल से लौटीं मेडिकल स्टाफ ने सुनाई पूरी दास्तां

अफगानिस्तान के काबुल में फंसीं सविता शाही को भारतीय सेना ने 17 अगस्त को सकुशल रेस्क्यू कर लिया. देहरादून निवासी सविता शाही अपने घर पहुंच चुकी हैं और भगवान का शुक्रिया अदा कर रहीं हैं.

डिकल स्टाफ ने सुनाई पूरी दास्तां
डिकल स्टाफ ने सुनाई पूरी दास्तां
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Published : Aug 20, 2021, 9:58 AM IST

देहरादून: अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद खराब होते हालात के बीच भारत अपने फंसे नागरिकों को निकालने में लगा हुआ है. काबुल में नाटो (North Atlantic Treaty Organization) और अमेरिका सेना के मेडिकल टीम के साथ पिछले 8 सालों से काम करने वाली सविता शाही दो दिन पहले ही देहरादून सही सलामत पहुंची हैं. देहरादून लौटने पर सविता शाही से ईटीवी भारत ने विशेष बातचीत की है.

सविता शाही ने बताया कि नाटो और अमेरिकीन सेना की मेडिकल टीम में काम करने के दौरान ऐसा कुछ आभास नहीं हुआ था कि अफगानिस्तान में सब कुछ इतना जल्दी बदल जाएगा और चारों तरफ हाहाकार मच जाएगा. 13 और 14 अगस्त को तालिबान ने अचानक काबुल पर कब्जा कर लिया, जिसके बाद लोग अपना जीवन बचाने का जद्दोजहद करने लगे.

अफगानिस्तान में कब-क्या हुआ, काबुल से लौटीं मेडिकल स्टाफ ने सुनाई पूरी दास्तां

सविता शाही ने बताया कि 15 अगस्त रविवार को काबुल एयरपोर्ट पर तालिबान का पूर्ण रूप से कब्जा हो गया था, जिसकी वजह से सभी उड़ानें बंद हो गईं थी. ऐसे में 16 अगस्त की शाम अमेरिकन सेना के मिलिट्री एयरपोर्ट जो सिविल एयरपोर्ट के बेहद नजदीक ही है, वहां से मेडिकल टीम मेंबर सहित दूसरे लोगों को रेस्क्यू की तैयारी होने लगी.

शाम को लगभग शाम 6 बजे के आसपास मिलिट्री एयरपोर्ट पर जैसे ही अमेरिकी और नाटो सेना के साथ काम करने वाले लोग एयरपोर्ट के करीब पहुंचे तो अचानक तालिबान लड़ाकों ने गोलाबारी शुरू कर दी. ऐसी स्थिति में सभी लोगों को एयरपोर्ट से वापस उनके कैंप लौटा दिया गया और देर रात या अगली सुबह तक इंतजार करने को कहा गया.

पढ़ें- अफगानिस्तान में फंसे सभी उत्तराखंडी जल्द आएंगे वापस, CM धामी ने रक्षा मंत्री और NSA को सौंपी लिस्ट

सविता शाही बताती है कि बाहर स्थिति ऐसी थी कि सभी लोग अपने वतन वापसी की जुगत कर रहे थे. इसी बीच उनके कैंप के एक सदस्य जो लगातार इंडियन एंबेसी के अधिकारी के संपर्क में थाे, उन्हें जानकारी मिली की इंडियन एयरफोर्स का एयरक्राफ्ट भारतीय राजनयिकों, कर्मचारियों और उनके परिवारों के रेस्क्यू करने के लिए मिलिट्री एयरपोर्ट पर आने वाला है.

जिसके बाद भारतीय दूतावास के उस अधिकारी की मदद से अमेरिकी सेना के मेडिकल कैंप से कुल 7 लोग सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर भारतीय वायुसेना के विमान में बैठ गए. सुबह लगभग 7:30 बजे भारतीय वायुसेना के विमान ने 150 लोगों को लेकर जामनगर गुजरात के लिए उड़ान भरी, जिसके बाद सभी लोगों ने राहत की सांस ली.

पढ़ें- 'तालिबानी मानसिकता से ग्रस्त लोगों को भेजें अफगानिस्तान' : पीएम को लिखा लेटर

इंडियन एयरफोर्स के विमान में सीट न मिलने के बाद भी कई लोगों ने जमीन पर बैठकर सफर तय किया और वतन वापसी की. करीब 3.30 बजे अलग-अलग विमानों से काबुल से आए लोगों को दिल्ली ले जाया गया.

पढ़ें- शरणार्थी बनने की आस में ऑस्ट्रेलियाई दूतावास के बाहर जुटे सैकड़ों अफगान नागरिक

सविता शाही कहती हैं कि पिछले 8 साल के दौरान अमेरिकी और नाटो सेना के साथ काम करने के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. लेकिन, भारतीय वायुसेना ने ग्लोबल लीडिर की क्षमता दिखाते हुए न सिर्फ भारतीय राजनयिकों और कर्मचारियों को रेस्क्यू किया. बल्कि, नाटो और अमेरिका सेना के साथ-साथ कई दूसरे लोगों को भी सुरक्षित बचाते हुए अपने विमानों से दोहा, कतर, दुबई और नॉर्वे तक पहुंचाया.

देहरादून: अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद खराब होते हालात के बीच भारत अपने फंसे नागरिकों को निकालने में लगा हुआ है. काबुल में नाटो (North Atlantic Treaty Organization) और अमेरिका सेना के मेडिकल टीम के साथ पिछले 8 सालों से काम करने वाली सविता शाही दो दिन पहले ही देहरादून सही सलामत पहुंची हैं. देहरादून लौटने पर सविता शाही से ईटीवी भारत ने विशेष बातचीत की है.

सविता शाही ने बताया कि नाटो और अमेरिकीन सेना की मेडिकल टीम में काम करने के दौरान ऐसा कुछ आभास नहीं हुआ था कि अफगानिस्तान में सब कुछ इतना जल्दी बदल जाएगा और चारों तरफ हाहाकार मच जाएगा. 13 और 14 अगस्त को तालिबान ने अचानक काबुल पर कब्जा कर लिया, जिसके बाद लोग अपना जीवन बचाने का जद्दोजहद करने लगे.

अफगानिस्तान में कब-क्या हुआ, काबुल से लौटीं मेडिकल स्टाफ ने सुनाई पूरी दास्तां

सविता शाही ने बताया कि 15 अगस्त रविवार को काबुल एयरपोर्ट पर तालिबान का पूर्ण रूप से कब्जा हो गया था, जिसकी वजह से सभी उड़ानें बंद हो गईं थी. ऐसे में 16 अगस्त की शाम अमेरिकन सेना के मिलिट्री एयरपोर्ट जो सिविल एयरपोर्ट के बेहद नजदीक ही है, वहां से मेडिकल टीम मेंबर सहित दूसरे लोगों को रेस्क्यू की तैयारी होने लगी.

शाम को लगभग शाम 6 बजे के आसपास मिलिट्री एयरपोर्ट पर जैसे ही अमेरिकी और नाटो सेना के साथ काम करने वाले लोग एयरपोर्ट के करीब पहुंचे तो अचानक तालिबान लड़ाकों ने गोलाबारी शुरू कर दी. ऐसी स्थिति में सभी लोगों को एयरपोर्ट से वापस उनके कैंप लौटा दिया गया और देर रात या अगली सुबह तक इंतजार करने को कहा गया.

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सविता शाही बताती है कि बाहर स्थिति ऐसी थी कि सभी लोग अपने वतन वापसी की जुगत कर रहे थे. इसी बीच उनके कैंप के एक सदस्य जो लगातार इंडियन एंबेसी के अधिकारी के संपर्क में थाे, उन्हें जानकारी मिली की इंडियन एयरफोर्स का एयरक्राफ्ट भारतीय राजनयिकों, कर्मचारियों और उनके परिवारों के रेस्क्यू करने के लिए मिलिट्री एयरपोर्ट पर आने वाला है.

जिसके बाद भारतीय दूतावास के उस अधिकारी की मदद से अमेरिकी सेना के मेडिकल कैंप से कुल 7 लोग सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर भारतीय वायुसेना के विमान में बैठ गए. सुबह लगभग 7:30 बजे भारतीय वायुसेना के विमान ने 150 लोगों को लेकर जामनगर गुजरात के लिए उड़ान भरी, जिसके बाद सभी लोगों ने राहत की सांस ली.

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इंडियन एयरफोर्स के विमान में सीट न मिलने के बाद भी कई लोगों ने जमीन पर बैठकर सफर तय किया और वतन वापसी की. करीब 3.30 बजे अलग-अलग विमानों से काबुल से आए लोगों को दिल्ली ले जाया गया.

पढ़ें- शरणार्थी बनने की आस में ऑस्ट्रेलियाई दूतावास के बाहर जुटे सैकड़ों अफगान नागरिक

सविता शाही कहती हैं कि पिछले 8 साल के दौरान अमेरिकी और नाटो सेना के साथ काम करने के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. लेकिन, भारतीय वायुसेना ने ग्लोबल लीडिर की क्षमता दिखाते हुए न सिर्फ भारतीय राजनयिकों और कर्मचारियों को रेस्क्यू किया. बल्कि, नाटो और अमेरिका सेना के साथ-साथ कई दूसरे लोगों को भी सुरक्षित बचाते हुए अपने विमानों से दोहा, कतर, दुबई और नॉर्वे तक पहुंचाया.

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