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यहां रसोईये के भरोसे है ऑक्सीजन प्लांट

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Published : Aug 7, 2021, 12:33 PM IST

गया के अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल (ANMMCH) में तीन ऑक्सीजन प्लांट बने हुए हैं. लेकिन वर्तमान समय में संचालन सिर्फ एक ही प्लांट से हो रहा है और इस प्लांट का संचालन एक रसोईया के माध्यम से किया जा रहा है.

ऑक्सीजन प्लांट
ऑक्सीजन प्लांट

पटना : गया के अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल (ANMMCH) में तीन ऑक्सीजन प्लांट बने हुए हैं. जिसका संचालन एक कुक (रसोईया) के माध्यम से किया जा रहा है.

सरकार ने अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल (Anugrah Narayan Magadh Medical College) में तीन ऑक्सिजन प्लांट की मंजूरी दी थी. जिसमें से एक 50 मेगा सिलेंडर की क्षमता का ऑक्सीजन एक दिन में ऑक्सीजन जेनरेट कर रहा है. इसके अलावा दो अन्य प्लांट अभी निर्माणाधीन हैं.

रसोईये के भरोसे है ऑक्सीजन प्लांट की जिम्मेदारी

मैन्युअल ऑक्सीजन प्लांट कर्मी मनोज कुमार ने बताया कि अस्पताल में 3 ऑक्सीजन प्लांट लगाने की योजना है. जिसमें एक ऑक्सीजन जनरेट प्लांट शुरू हो चुकी है. वहीं दूसरे ऑक्सीजन प्लांट में से मैनुअली काम शुरू हो चुका है. अभी दूसरा जनरेट ऑक्सीजन प्लांट का बेस तैयार हो रहा है. वहीं 20,000 क्षमता वाले ऑक्सीजन टैंक को भी रखा जाएगा, जिसके लिए बेस बनाया जा रहा है.

रसोईया मनोज ने बताया, मैं अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कुक के पद पर कार्यरत हूं. जब ऑक्सीजन प्लांट के लिए कोई भी कर्मी नहीं मिला तो मुझे ऑक्सीजन प्लांट में ड्यूटी दे दी गई है. मुझे इसे संचालित करने के लिए कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई है और न ही मैं तकनीकी कुछ जानता हूं. अगर किसी तरह की गड़बड़ी होती है, इसके लिए मैं सिर्फ दूरभाष से जानकारी दे सकता हूं.

पढ़ें :- पांच वर्षों से बंद ऑक्सीजन प्लांट फिर से हुआ शुरू, कोरोना मरीजों को मिलेगा लाभ

गौरतलब है कि अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल को ऑक्सीजन को लेकर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है. लेकिन 3 में से सिर्फ एक प्लांट बनकर ही तैयार हो पाया है. वहीं अन्य दो प्लांट को तैयार होने में 2 से 3 माह लग सकता है. ऐसे में अगर कोरोना की तीसरी लहर आती है तो इस अस्पताल के मरीज भगवान भरोसे ही रहेंगे.

बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर (second wave of corona virus) के दौरान सबसे ज्यादा जरूरत ऑक्सीजन सिलेंडर की ही हुई थी. देश के कई हिस्सों और कई निजी/सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन खत्म हो गई थी. इसे देखते हुए सरकार ने दूसरी लहर की गलती से सबक लेते हुए सभी बड़े अस्पतालो में ऑक्सीजन प्लांट (Oxygen Plant) बनाए जाने की कवायदत शुरू कर दी है. ऑक्सीजन को लेकर अस्पताल को आत्मनिर्भर बनाने की भी तैयारी चल रही है. जिससे कोरोना की तीसरी लहर में किसी भी मरीज को ऑक्सीजन के लिए न भटकना पड़ें. साथ ही मरीजों का इलाज समय से हो सके.

पटना : गया के अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल (ANMMCH) में तीन ऑक्सीजन प्लांट बने हुए हैं. जिसका संचालन एक कुक (रसोईया) के माध्यम से किया जा रहा है.

सरकार ने अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल (Anugrah Narayan Magadh Medical College) में तीन ऑक्सिजन प्लांट की मंजूरी दी थी. जिसमें से एक 50 मेगा सिलेंडर की क्षमता का ऑक्सीजन एक दिन में ऑक्सीजन जेनरेट कर रहा है. इसके अलावा दो अन्य प्लांट अभी निर्माणाधीन हैं.

रसोईये के भरोसे है ऑक्सीजन प्लांट की जिम्मेदारी

मैन्युअल ऑक्सीजन प्लांट कर्मी मनोज कुमार ने बताया कि अस्पताल में 3 ऑक्सीजन प्लांट लगाने की योजना है. जिसमें एक ऑक्सीजन जनरेट प्लांट शुरू हो चुकी है. वहीं दूसरे ऑक्सीजन प्लांट में से मैनुअली काम शुरू हो चुका है. अभी दूसरा जनरेट ऑक्सीजन प्लांट का बेस तैयार हो रहा है. वहीं 20,000 क्षमता वाले ऑक्सीजन टैंक को भी रखा जाएगा, जिसके लिए बेस बनाया जा रहा है.

रसोईया मनोज ने बताया, मैं अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कुक के पद पर कार्यरत हूं. जब ऑक्सीजन प्लांट के लिए कोई भी कर्मी नहीं मिला तो मुझे ऑक्सीजन प्लांट में ड्यूटी दे दी गई है. मुझे इसे संचालित करने के लिए कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई है और न ही मैं तकनीकी कुछ जानता हूं. अगर किसी तरह की गड़बड़ी होती है, इसके लिए मैं सिर्फ दूरभाष से जानकारी दे सकता हूं.

पढ़ें :- पांच वर्षों से बंद ऑक्सीजन प्लांट फिर से हुआ शुरू, कोरोना मरीजों को मिलेगा लाभ

गौरतलब है कि अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल को ऑक्सीजन को लेकर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है. लेकिन 3 में से सिर्फ एक प्लांट बनकर ही तैयार हो पाया है. वहीं अन्य दो प्लांट को तैयार होने में 2 से 3 माह लग सकता है. ऐसे में अगर कोरोना की तीसरी लहर आती है तो इस अस्पताल के मरीज भगवान भरोसे ही रहेंगे.

बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर (second wave of corona virus) के दौरान सबसे ज्यादा जरूरत ऑक्सीजन सिलेंडर की ही हुई थी. देश के कई हिस्सों और कई निजी/सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन खत्म हो गई थी. इसे देखते हुए सरकार ने दूसरी लहर की गलती से सबक लेते हुए सभी बड़े अस्पतालो में ऑक्सीजन प्लांट (Oxygen Plant) बनाए जाने की कवायदत शुरू कर दी है. ऑक्सीजन को लेकर अस्पताल को आत्मनिर्भर बनाने की भी तैयारी चल रही है. जिससे कोरोना की तीसरी लहर में किसी भी मरीज को ऑक्सीजन के लिए न भटकना पड़ें. साथ ही मरीजों का इलाज समय से हो सके.

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