नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने झारखंड, बिहार, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र और केरल में बच्चों में खसरा के मामलों की संख्या में वृद्धि पर चिंता जताई है. साथ ही कुछ राज्यों में खसरा के मामलों का आकलन और प्रबंधन करने के लिए उच्चस्तरीय दलों को तैनात किया गया है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को एक आधिकारिक बयान में कहा कि ये दल खसरा के मामलों की बढ़ती प्रवृत्ति पर गौर करेंगे. बयान के अनुसार ये दल बीमारी से निपटने में राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों की सहायता करेंगे. खसरा की स्थिति की समीक्षा करने के लिए बुधवार को विशेषज्ञों की बैठक भी हुई.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बिहार, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, केरल और महाराष्ट्र के कुछ जिलों से खसरा के मामलों में वृद्धि को देखते हुए बुधवार ने '2023 तक खसरा और रूबेला उन्मूलन के लिए रोडमैप' तैयार किया है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन राज्यों को भेजे पत्र में अनुरोध किया है कि संबंधित अधिकारियों को तैयारियों और खसरा प्रकोप प्रतिक्रिया गतिविधियों पर त्वरित कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दें. टीकाकरण अभियान के लिए सभी प्रखंडों और जिलों में वैक्सीन की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए.
बयान में कहा गया है कि राज्य और केंद्रशासित प्रदेश पूरक टीकाकरण गतिविधियों के संचालन के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को अतिरिक्त वैक्सीन आवश्यकताओं की मांग के बारे में सूचित कर सकते हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव पी अशोक बाबू की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि राज्यों का नेतृत्व और कुशल प्रकोप प्रबंधन में समर्थन 2023 तक खसरा और रूबेला उन्मूलन को हासिल करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा.'
स्वास्थ्य मंत्रालय ने माना है कि खसरा के मामलों की संख्या में तेजी से वृद्धि दर्ज की गई और खसरा के कारण कुछ मौतें भी, विशेष रूप से बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) और महाराष्ट्र के कुछ अन्य जिलों में हुई हैं. मंत्रालय ने कहा, 'यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए विशेष चिंता का विषय है. यह भी स्पष्ट है कि ऐसे सभी भौगोलिक क्षेत्रों में प्रभावित बच्चों को मुख्य रूप से टीका नहीं लगाया गया था और पात्र लाभार्थियों के बीच एमआरसीवी का औसत कवरेज भी राष्ट्रीय औसत से काफी कम है.
यह भी पढ़ें- उत्तराखंड में एक्सपायर होने की कगार पर 70 हजार से ज्यादा बूस्टर डोज, क्या खत्म हो गया डर!