लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बसपा को बड़ी हार (BSP Big defeat for in UP assembly elections) का सामना करना पड़ा. 403 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली पार्टी के खाते में सिर्फ एक ही सीट आई. ऐसे में बसपा प्रमुख की राजनीतिक साख दांव पर (BSP chief political credibility at stake) लग गई है. लिहाजा, स्थिति यह है कि बसपा संस्थापक कांशीराम की जयंती पर भी समर्थकों से दूरी बनाए रखी.
वहीं, पुण्यतिथि पर उनकी याद में बड़ी रैली का आयोजन किया था, लेकिन मंगलवार को बसपा में वो जोश नजर नहीं आया. चूंकि बसपा ने प्रदेश के सभी जिला अध्यक्षों को कांशीराम की याद में कार्यक्रम आयोजित करने की घोषणा पहले ही कर दी गई थी. इसलिए बसपा संस्थापक कांशीराम की जयंती मनायी गई. इस दौरान विधानसभा चुनाव की ताजा व बड़ी हार की छाया बसपा प्रमुख मायावती व पदाधिकारियों पर नजर आई.
पार्टी कार्यालय में मायावती व अन्य पदाधिकारियों ने पार्टी के संस्थापक कांशीराम को श्रद्धांजलि (Mayawati paid tribute to Kanshi Ram) दी. इस दौरान सिर्फ एक न्यूज एजेंसी को कवरेज की अनुमति दी गई थी. वहीं, जिलाध्यक्ष, जोनल कॉर्डिनेटर, सेक्टर प्रभारी स्मृति उपवन में जाकर पार्टी संस्थापक को श्रद्धांजलि दी. वहीं, मायावती ने कहा कि बसपा सरकार में बहुजन समाज के महापुरुषों के नाम पर अनेकों भव्य स्मारक, प्रशिक्षण संस्थान अस्पताल, आवासी कॉलोनी बनाई गई हैं. लेकिन वर्तमान में जारी चमचा युग में बाबासाहेब भीमराव आम्बेडकर के मिशनरी को धन्ना सेठों ने जकड़ लिया है. खैर, बसपा खून पसीने से अर्जित धन के बल पर डटी है. यूपी में बसपा ने कई सफलताएं अर्जित की हैं. आगे भी वसूलों के साथ संघर्ष में लगातार डटे रहना है.
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बता दें कि बसपा के सत्ता में रहते बाबा साहब भीमराव अंबेडकर व कांशीराम की जयंती व पुण्यतिथि पर लखनऊ में बड़े-बड़े आयोजन होते थे. इस दौरान बसपा प्रमुख प्रदेश भर से राजधानी में जुटे अपने समर्थकों को संबोधित करती थीं. वहीं, इस बार चुनाव से पहले नौ अक्टूबर को कांशीराम की पुण्यतिथि पर लखनऊ में बड़ी रैली हुई थी. स्मृति उपवन में हुए कार्यक्रम में राजधानी की सड़कें नीले होल्डिंग, बैनर से पाट दिए गए. वहीं, जयंती पर पार्टी कार्यालय व स्मृति उपवन के पास दो-चार होर्डिंग लगी नजर आई थीं.