जम्मू : पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में 2020 में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर संघर्ष विराम उल्लंघन की 5,100 घटनाओं को अंजाम दिया. इनमें 36 लोगों की जान चली गयी और 130 से ज्यादा लोग घायल हो गए. सुरक्षा अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि पिछले करीब 18 साल में संघर्ष विराम उल्लंघन के सर्वाधिक मामले इस साल आए हैं.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सैनिकों की ओर से भारी गोलाबारी और गोलीबारी ने 2003 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सीमा संघर्ष विराम समझौते को एक तरह से बेकार कर दिया है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तानी सैनिकों ने लोगों के बीच डर पैदा करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति को बाधित करने की मंशा से बार-बार एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) पर स्थित अग्रिम चौकियों तथा गांवों को निशाना बनाया. संघर्ष विराम से पहले 2002 में पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा गोलाबारी और गोलीबारी की 8,376 घटनाएं सामने आईं थीं.
पांच हजार से ज्यादा बार उल्लंघन
एक अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तानी बलों ने 2020 में 5,100 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया. यानी औसतन रोजाना 14 मामले सामने आए. आंकड़ों के अनुसार संघर्ष विराम उल्लंघन की इन घटनाओं में 24 सुरक्षाकर्मी समेत 36 लोग मारे गये और 130 लोग घायल हो गए. जम्मू क्षेत्र में एलओसी पर इनमें से 15 सैनिक मारे गए. अधिकारियों के अनुसार पाकिस्तानी सेना ने 2019 में भारत-पाक सीमा पर 3,289 बार संघर्ष विराम उल्लंघन किया.
अनुच्छेद 370 के बाद बढ़े मामले
अधिकारियों के अनुसार इनमें से 1,565 मामले अगस्त 2019 के बाद सामने आए. भारत सरकार ने अगस्त महीने में ही अनुच्छेद 370 को समाप्त किया था. जम्मू-कश्मीर में 2018 में संघर्ष विराम उल्लंघन के 2,936 मामले दर्ज किए गए. इस साल संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाओं की संख्या 2017 की घटनाओं से पांच गुना अधिक है. उस साल 971 ऐसे मामले सामने आए थे, जिनमें 31 लोगों की जान चली गयी थी और 151 घायल हो गए थे.