पटना: मॉरीशस से अपने पूर्वजों को खोजते बिहटा पहुंचे धर्मदेव निर्मल हरी काफी खुश दिखे. उन्होंने कहा कि अपने पैतृक गांव विशंभरपुर आकर और यहां के लोगों से मिलकर काफी अच्छा लगा. गांव की मिट्टी से अपनापन महसूस होती है. वहीं लोगों ने जो प्यार दिया है, वह हमेशा उनकी यादों में रहेगा. धर्मदेव ने कहा कि 1859 में गिरमिटिया मजदूर के तौर पर उनके पूर्वज मॉरीशस गए थे, तब से सभी लोग वहीं बस गए.
ये भी पढ़ें: मॉरीशस से बिहार आकर ये शख्स खोज रहा 166 साल पुराना पूर्वजों का गांव
गांव की मिट्टी को छूकर माथे से लगाया: मॉरीशस से बिहटा स्थित विशंभरपुर गांव पहुंचने के बाद धर्मदेव निर्मल हरी ने सबसे पहले गांव की मिट्टी को छूकर माथे से लगाया. यहां आकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था. लोगों से मिलते और बात करते हुए वह भावुक हो गए. उनकी आंखों से आंसू निकल आए. उन्होंने कहा कि अपने गांव आकर ऐसा लगता है कि फिर से अपने घर आ गया हूं.
धर्मदेव निर्मल हरी को नहीं पहचान पाया कोई: अपने पूर्वजों की खोज में अपने गांव पहुंचे धर्मदेव निर्मल हरी को हालांकि निराशा हाथ लगी, क्योंकि 1859 में गिरमिटिया मजदूर के तौर पर मॉरीशस गए हरि नाम के व्यक्ति की पहचान कोई नहीं कर सका. बरसों बीते लोगों का रिकॉर्ड मॉरीशस के पास तो भले ही है लेकिन बिहार में रहने वाले गांव के लोगों के पास नहीं है.
अपने गांव आकर बहुत खुश हूं मैं: मॉरीशस के रहने वाले और गांधी स्कूल ऑफ आर्ट्स के लेक्चर धर्मदेव निर्मल हरि को उनके परिजनों का पता नहीं चल पाया. हालांकि वह इस बात से खुश हैं कि उनको आखिरकार वह गांव मिल गया, जहां से उनके पूर्वज मॉरीशस गए थे. विशंभरपुर के लोगों से मिलते ही उन्हें अपने पूर्वजों की याद आ गई.
"अपने पूर्वजों के गांव विशंभरपुर आकर बहुत अच्छा लगा है. हालांकि हमारे पूर्वजों के सगे संबंधी कोई हमारे दादा के दादा को पहचान नहीं पा रहे हैं. इस बात को लेकर थोड़ा मलाल जरूर है लेकिन यहां आकर हमें काफी खुशी महसूस हो रही है. अब यहां से बहुत सारी यादें सहेजकर मॉरीशस ले जा रहा हूं और अपने परिजनों के साथ साझा करूंगा"- धर्मदेव निर्मल हरी, मॉरीशस में रहने वाले भारतवंशी
![मॉरीशस के धर्मदेव निर्मल हरी](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/13-08-2023/bh-mam-01-apno-ki-talash-mein-morishash-se-bihta-pahucha-vyakti-in-bihta_13082023092746_1308f_1691899066_898.jpg)
1859 में पिता के दादा गए थे मॉरीशस: हालांकि गांव के लोग किसी तरह की पहचान को उजागर नहीं कर सके लेकिन अपने पूर्वजों के बताएं स्थान पर पहुंचकर धर्मदेव निर्मल हरि गदगद नजर आए. उनका कहना है कि 1859 में उनके दादा के दादा बिहार के इसी धरती से गिरमिटिया मजदूर के तौर पर मॉरीशस गए थे. फिर 10 साल के बाद उन्होंने उसी जगह पर तुलसी नामक महिला से शादी कर ली. उनका परिवार वहीं बस गया और आज उनके 200 वंशज मॉरीशस में मौजूद हैं. इनके परिवार का एकमात्र खानदानी निशानी परपोता इन लोगों के पास बचा है, वो अपने पूर्वजों के गांव पहुंचकर काफी गदगद नजर आए.
यादों को सहेज कर मॉरीशस लौट रहा हूं: धर्मदेव निर्मल हरी ने बताया कि 2007 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मॉरीशस घूमने आए थे. इस दौरान उनकी कलाकृति देखकर उन्हें सराहा था और उनसे मुलाकात की थी. उसी समय बिहार आकर अपने पूर्वजों के गांव खोजने का न्योता भी दिया था. अभी बिहार में आयोजित जी-20 सम्मलेन में विभिन्न जगहों से विदेशी मेहमानों का जुटना हुआ है. उसी में से एक मॉरिशस के एक हरी भी हैं. जिनका पुराना नाता बिहटा के विशंभरपुर गांव से रहा है.