आइजोल : अफ्रीकन स्वाइन फीवर (एएसएफ) ने भारतीय उपमहाद्वीप में 2020 में दस्तक दी. असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर और मिजोरम में 4149 से अधिक सूअरों की मौत हो चुकी है. जबकि इतने ही सूअर मारे जा चुके हैं.
मिजोरम में पहली बार 25 मार्च, 2021 को लुंगसेन गांव में अफ्रीकी स्वाइन बुखार का पता चलने के बाद,सभी जिलों में रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया गया था.
राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (एनआईएचएसएडी) भोपाल ने पुष्टि की थी कि एएसएफ के कारण मौतें हो रही हैं. जिसके बाद 16 अप्रैल, 2021 को मिजोरम के मुख्य सचिव को सूचित किया गया.
उसी दिन मिजोरम पशुपालन और पशु चिकित्सा विभाग ने 'पशु अधिनियम 2009 और संक्रामक रोगों की रोकथाम और नियंत्रण' के तहत लुंगसेन को 'संक्रमित क्षेत्र' घोषित किया. मिजोरम के 8 जिलों- सियाहा, लवंगतलाई, लुंगलेई, सेरछिप, आइजोल, ख्वाजावल, चम्फाई और ममित में अब तक एएसएफ की पुष्टि हो चुकी है.
21 मार्च से 23 मई 2021 के बीच अफ्रीकन स्वाइन फीवर से 4149 सूअरों की मौत हुई है. इसके अलावा 260 सूअरों की मौत का कारण स्पष्ट नहीं है. 24 मई को खवलरिंग स्थित के. लालनघेटा के स्वामित्व वाले फार्म में एएसएफ से ग्रसित 25 सूअर मारे गए.
राज्य के पशुपालन और पशु चिकित्सा विभाग का कहना है कि अफ्रीकन स्वाइन फ्लू का कोई इलाज नहीं है. एएसएफ से संक्रमित किसी फार्म या इलाके को पूरी तरह से कीटाणुरहित किया जाना चाहिए.
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सूअरों को ठीक से दफनाया जाना चाहिए. विभाग ने खवलरिंग फार्म मालिक की तारीफ की कि उन्होंने संक्रमित सूअरों को पकड़ने के लिए सूचना दी.