नई दिल्ली : आमतौर पर लोग नवरात्रि में पड़ने वाली अष्टमी को महाअष्टमी मानकर पूजते हैं, लेकिन इसके अलावा हर माह में पड़ने वाली अष्टमी तिथि को कई देवी उपासक खास दिन मानकर पूजा-पाठ व व्रत किया करते हैं. हर महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक अष्टमी मनायी जाती है. ऐसी मान्यता है कि अष्टमी के दिन मां दुर्गा की पूजा करने से जीवन में आने वाले कष्ट कम होते हैं साथ ही आने वाली मुसीबतों से मां सबकी रक्षा भी किया करती हैं.
हिन्दू धर्म के कैलेंडर में देखा जाए तो हर माह में दो अष्टमी तिथियां आती हैं. एक कृष्ण पक्ष में तो दूसरी शुक्ल पक्ष में आती है. शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को ही मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत किया जाता है. इस व्रत का देवी दुर्गा का मासिक व्रत भी कहकर संबोधित किया जाता है. शुक्ल पक्ष की अष्टमी को ही मासिक अष्टमी के रूप में देवी दुर्गा का व्रत व पूजन किया जाता है.
मासिक दुर्गाष्टमी के दिन इस मंत्र का जाप किया जाता है....
ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
मासिक दुर्गाष्टमी पर ऐसे करें पूजा
मासिक दुर्गाष्टमी के दिन पूजा करने किए पहले से तैयारी करें और फिर इस तरह से पूजा करें...
- मासिक दुर्गाष्टमी के दिन सुबह उठकर सूर्योदय से पहले ही घर या पवित्र नदियों के जल से स्नान कर लें.
- पूजा स्थल पर गंगाजल डालकर उस जगह की शुद्धि कर लें.
- पूजा के दौरान मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर का गंगा जल से अभिषेक करें.
- पूजा स्थल पर कलश की स्थापना करके उस पर दीप प्रज्वलित करें.
- देवी मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प के साथ लाल वस्त्र या चुनरी अर्पित करें.
- देवी मां को चने, हलवा-पूरी, खीर, पुए के साथ प्रसाद के रूप में फल और मिठाइयां भी चढ़ाएं.
- आखिर में दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करके लोगों को प्रसाद का वितरण करें.