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मसर्रत आलम भट्ट हुर्रियत कांफ्रेंस के नए अध्यक्ष नियुक्त

ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस का नया अध्यक्ष मसर्रत आलम को बनाया गया है. अलगाववादी नेता सैयद अली गिलानी की मौत के कुछ दिनों बाद यह फैसला लिया गया है.

Masarat Alam
Masarat Alam
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Published : Sep 7, 2021, 3:38 PM IST

श्रीनगर : अलगाववादी नेता सैयद अली गिलानी की मौत के कुछ दिनों बाद जेल में बंद नेता मसर्रत आलम भट को ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.

हुर्रियत कांफ्रेंस की ओर से जारी बयान के मुताबिक, भट को नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. शब्बीर शाह और गुलाम अहमद गुलजार को उपाध्यक्ष बनाया गया है. वहीं, मौलवी बशीर अहमर इरफान महासचिव की जिम्मेदारी संभालेंगे.

मसर्रत आलम का जन्म 1971 में हुआ. वे अलगाववादी संगठन जम्मू और कश्मीर मुस्लिम लीग (JKML) के अध्यक्ष हैं और अब तक 27 अलग-अलग मामलों में अपने जीवन के लगभग 17 साल जेल में बिता चुके हैं.

उन्होंने 1999 में अलगाववाद का रास्ता चुना, जिसके बाद उन्हें कई बार जेल हुई. उन्हें 2010 में विरोध प्रदर्शन, उनके भाषण और घाटी में विरोध कैलेंडर जारी करने के लिए गिरफ्तार किया गया था. हालांकि, पांच साल बाद 2015 में, उन्हें कुछ दिनों के लिए जेल से रिहा कर दिया गया.

पढ़ें :- जम्मू-कश्मीर: सुपुर्द-ए-खाक किए गए सैयद अली शाह गिलानी

उन्हें भारत विरोधी नारे लगाने और श्रीनगर में पाकिस्तानी झंडा लहराने के आरोप में 17 अप्रैल, 2015 को फिर से गिरफ्तार किया गया था.उन पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत मामले दर्ज किए गए. अगले दिन दिवंगत गिलानी ने घाटी में हड़ताल का आह्वान किया.1 सितंबर को, जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय ने उनकी रिहाई का आदेश दिया, लेकिन पुलिस ने उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया और वह तब से जम्मू की जेल में बंद है.

श्रीनगर : अलगाववादी नेता सैयद अली गिलानी की मौत के कुछ दिनों बाद जेल में बंद नेता मसर्रत आलम भट को ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.

हुर्रियत कांफ्रेंस की ओर से जारी बयान के मुताबिक, भट को नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. शब्बीर शाह और गुलाम अहमद गुलजार को उपाध्यक्ष बनाया गया है. वहीं, मौलवी बशीर अहमर इरफान महासचिव की जिम्मेदारी संभालेंगे.

मसर्रत आलम का जन्म 1971 में हुआ. वे अलगाववादी संगठन जम्मू और कश्मीर मुस्लिम लीग (JKML) के अध्यक्ष हैं और अब तक 27 अलग-अलग मामलों में अपने जीवन के लगभग 17 साल जेल में बिता चुके हैं.

उन्होंने 1999 में अलगाववाद का रास्ता चुना, जिसके बाद उन्हें कई बार जेल हुई. उन्हें 2010 में विरोध प्रदर्शन, उनके भाषण और घाटी में विरोध कैलेंडर जारी करने के लिए गिरफ्तार किया गया था. हालांकि, पांच साल बाद 2015 में, उन्हें कुछ दिनों के लिए जेल से रिहा कर दिया गया.

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उन्हें भारत विरोधी नारे लगाने और श्रीनगर में पाकिस्तानी झंडा लहराने के आरोप में 17 अप्रैल, 2015 को फिर से गिरफ्तार किया गया था.उन पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत मामले दर्ज किए गए. अगले दिन दिवंगत गिलानी ने घाटी में हड़ताल का आह्वान किया.1 सितंबर को, जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय ने उनकी रिहाई का आदेश दिया, लेकिन पुलिस ने उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया और वह तब से जम्मू की जेल में बंद है.

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