ETV Bharat / bharat

उत्तराखंड में शहीद सम्मान यात्रा का विरोध, नहीं दी आंगन की मिट्टी

देहरादून में बनने जा रहे सैन्य धाम के लिए शहीद बहादुर सिंह रावल के परिजनों ने अपने आंगन की मिट्टी देने से इनकार कर दिया. परिजनों ने शहीद सम्मान यात्रा का भी विरोध किया है. परिजनों का कहना है कि शहादत के समय सरकार ने उनसे जो वादे किए थे, वो आजतक पूरे नहीं हुए हैं. ये दूसरा ऐसा मामला सामने आया है, पहले नैनीताल के बिंदुखता स्थित अशोक चक्र सम्मानित शहीद मोहन नाथ गोस्वामी के परिवार ने भी घर से मिट्टी नहीं उठाने दी थी.

uttarakhand
uttarakhand
author img

By

Published : Nov 22, 2021, 5:05 PM IST

बेरीनाग : पिथौरागढ़ जिले के एकमात्र अशोक चक्र विजेता शहीद बहादुर सिंह रावल (Martyr Bahadur Singh Rawal) के परिजनों और ग्रामीणों ने शहीद सम्मान यात्रा का विरोध करते हुए सैन्य धाम (Uttarakhand Sainya Dham) निर्माण के लिए आंगन की मिट्टी उठाने से मना कर दिया. मिट्टी लेने गए अधिकारियों के सामने परिजन व ग्रामीण धरने पर बैठ गए. उन्होंने कहा कि शहादत के समय उनसे बड़े-बड़े वादे कर शहीद के नाम की सड़क बनाने का आश्वासन दिया था, लेकिन सालों बाद भी सड़क नहीं बन सकी. राज्य सरकार शहीद का सम्मान करना भूल गई है.

इस दौरान शहीद के नाम पर बने स्मारक के सामने ग्रामीण धरने पर बैठ गए. शहीद की मां देवकी देवी और भाई त्रिलोक सिंह ने कहा कि, शहीद सम्मान यात्रा के नाम शहीदों के परिजनों से भेदभाव किया जा रहा है. कुछ शहीदों के घर में सरकार के मंत्री, विधायक और सांसद तक पहुंच रहे हैं, लेकिन हमारे घर में खानापूर्ति के लिए एक कर्मचारी को भेजकर मिट्टी मांगी जा रही है. शहीद के गांव को जिला मुख्यालय तक जोड़ने की मांग पिछले 10 वर्षों से लगातार की जा रही है, लेकिन आज तक सड़क का निर्माण नहीं हुआ.

उत्तराखंड में शहीद सम्मान यात्रा का विरोध

परिजनों ने कहा कि सरकार ने उनके बेटे की शहादत के समय शहीद के सम्मान में गांव को जोड़ने के लिए सड़क निर्माण के वादे किए गए थे, लेकिन समय के साथ सरकारी मशीनरी ने इस वादे को भुला दिया, जो शहीद का अपमान है. आंगन की मिट्टी से सैन्य धाम निर्माण करना शहीद का सम्मान कैसे हो सकता है? जब तक शहीद के नाम की सड़क नहीं बनती, तब तक वे आंगन से मिट्टी नहीं उठाने देंगे. वहां पहुंचे अधिकारी लंबे समय तक परिजनों व ग्रामीणों को मनाते रहे, लेकिन वे सड़क निर्माण की मांग पर अड़े रहे. अंत में अधिकारियों को मायूस होकर लौटना पड़ा.

पढ़ें- Gallantry Awards 2021: मेजर विभूति ढौंडियाल को मरणोपरांत शौर्य चक्र, 5 आतंकियों को उतारा था मौत के घाट

विरोध बढ़ता देख उच्च अधिकारियों और सरकार के जनप्रतिनिधियों ने फोन पर सांसद अजय टम्टा और शहीद की मां की वार्ता करवाई, सांसद टम्टा ने उनकी मांगों पर कार्रवाई का भरोसा दिलाया, तब शहीद के घर से मिट्टी उठाई जा सकी.

इससे पहले नैनीताल जिले के बिंदुखता गांव स्थित अशोक चक्र सम्मानित शहीद मोहन नाथ गोस्वामी के परिवार ने भी घर से मिट्टी नहीं उठाने दी थी. परिवार का आरोप था कि 6 साल पहले उनके बेटे ने देश की सेवा करते हुए अपने प्राणों को न्यौछावर किया था, उस दौरान शाहिद मोहन नाथ गोस्वामी के नाम से स्कूल का नाम रखे जाने, मिनी स्टेडियम बनाए जाने, इसके अलावा पत्नी को नौकरी देने की बात कही गई थी, लेकिन 6 साल बाद अभी तक भी शहीद की शहादत को श्रद्धांजलि नहीं मिली है.

बेरीनाग : पिथौरागढ़ जिले के एकमात्र अशोक चक्र विजेता शहीद बहादुर सिंह रावल (Martyr Bahadur Singh Rawal) के परिजनों और ग्रामीणों ने शहीद सम्मान यात्रा का विरोध करते हुए सैन्य धाम (Uttarakhand Sainya Dham) निर्माण के लिए आंगन की मिट्टी उठाने से मना कर दिया. मिट्टी लेने गए अधिकारियों के सामने परिजन व ग्रामीण धरने पर बैठ गए. उन्होंने कहा कि शहादत के समय उनसे बड़े-बड़े वादे कर शहीद के नाम की सड़क बनाने का आश्वासन दिया था, लेकिन सालों बाद भी सड़क नहीं बन सकी. राज्य सरकार शहीद का सम्मान करना भूल गई है.

इस दौरान शहीद के नाम पर बने स्मारक के सामने ग्रामीण धरने पर बैठ गए. शहीद की मां देवकी देवी और भाई त्रिलोक सिंह ने कहा कि, शहीद सम्मान यात्रा के नाम शहीदों के परिजनों से भेदभाव किया जा रहा है. कुछ शहीदों के घर में सरकार के मंत्री, विधायक और सांसद तक पहुंच रहे हैं, लेकिन हमारे घर में खानापूर्ति के लिए एक कर्मचारी को भेजकर मिट्टी मांगी जा रही है. शहीद के गांव को जिला मुख्यालय तक जोड़ने की मांग पिछले 10 वर्षों से लगातार की जा रही है, लेकिन आज तक सड़क का निर्माण नहीं हुआ.

उत्तराखंड में शहीद सम्मान यात्रा का विरोध

परिजनों ने कहा कि सरकार ने उनके बेटे की शहादत के समय शहीद के सम्मान में गांव को जोड़ने के लिए सड़क निर्माण के वादे किए गए थे, लेकिन समय के साथ सरकारी मशीनरी ने इस वादे को भुला दिया, जो शहीद का अपमान है. आंगन की मिट्टी से सैन्य धाम निर्माण करना शहीद का सम्मान कैसे हो सकता है? जब तक शहीद के नाम की सड़क नहीं बनती, तब तक वे आंगन से मिट्टी नहीं उठाने देंगे. वहां पहुंचे अधिकारी लंबे समय तक परिजनों व ग्रामीणों को मनाते रहे, लेकिन वे सड़क निर्माण की मांग पर अड़े रहे. अंत में अधिकारियों को मायूस होकर लौटना पड़ा.

पढ़ें- Gallantry Awards 2021: मेजर विभूति ढौंडियाल को मरणोपरांत शौर्य चक्र, 5 आतंकियों को उतारा था मौत के घाट

विरोध बढ़ता देख उच्च अधिकारियों और सरकार के जनप्रतिनिधियों ने फोन पर सांसद अजय टम्टा और शहीद की मां की वार्ता करवाई, सांसद टम्टा ने उनकी मांगों पर कार्रवाई का भरोसा दिलाया, तब शहीद के घर से मिट्टी उठाई जा सकी.

इससे पहले नैनीताल जिले के बिंदुखता गांव स्थित अशोक चक्र सम्मानित शहीद मोहन नाथ गोस्वामी के परिवार ने भी घर से मिट्टी नहीं उठाने दी थी. परिवार का आरोप था कि 6 साल पहले उनके बेटे ने देश की सेवा करते हुए अपने प्राणों को न्यौछावर किया था, उस दौरान शाहिद मोहन नाथ गोस्वामी के नाम से स्कूल का नाम रखे जाने, मिनी स्टेडियम बनाए जाने, इसके अलावा पत्नी को नौकरी देने की बात कही गई थी, लेकिन 6 साल बाद अभी तक भी शहीद की शहादत को श्रद्धांजलि नहीं मिली है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.