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गलवान संघर्ष का एक साल : शहीद कर्नल की पत्नी ने साझा किया दर्द - martyr col santosh babu wife santoshi

आज यानी 15 जून काे गलवान घाटी में हिंसा को एक वर्ष पूरा हो गया. गलवान घाटी में आज ही के दिन कर्नल संतोष बाबू शहीद हाे गए थे.

गलवान संघर्ष
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Published : Jun 15, 2021, 4:07 PM IST

हैदराबाद : गलवान घाटी संघर्ष में शहीद कर्नल संतोष बाबू की पत्नी ने अपना दुख साझा करते हुए कहा कि इस घटना ने उनके परिवार को हिला कर रख दिया. पत्नी ने बताया कि शहीद पति कर्नल संतोष बाबू की शहीद होने के साथ ही उन पर पारिवारिक जिम्मेदारियों का बोझ आ गया. वह वर्तमान में सरकार द्वारा दी गई नौकरी के लिए प्रशिक्षण ले रही हैं. संतोषी ने अपना दुख साझा करते हुए कहा कि पति कर्नल संतोष बाबू उनकी यादाें में बसे हैं.

उन्हाेंने कहा मैं उनकी यादों के साथ अपना वक्त बिता रही हूं. मैंने उनके साथ रह कर जीवन में बहुत कुछ सीखा है. घटना के बाद मैं काफी सदमे में थी. फिर मैंने सोचा कि मुझे अपने बच्चों के भविष्य के लिए खड़ा होना पड़ेगा. उन्हाेंने कहा कि पति का बलिदान इतिहास में अमर रहेगा. देश की सेवा करना बहुत बड़ी बात है. बता दें कि शहीद कर्नल संतोष बाबू के परिवार में उनकी पत्नी संतोषी और दो बच्चे हैं.

इसे भी पढ़ें : गलवान के बलवान : पहली बरसी पर शहीदों को श्रद्धांजलि

पिछले साल 15 जून को पूर्वी लद्दाख सेक्टर में चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में भारत के 20 सैनिकों की जान चली गई थी. जिसमें तेलंगाना के कर्नल संतोष बाबू भी शहीद हो गए थे. 16 बिहार रेजीमेंट के कमांडिंग अधिकारी कर्नल संतोष बाबू को मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था.

गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद भारत और चीन ने सैन्य अधिकारियों और राजनयिक स्तरों पर कई बैठकें की. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, रक्षा मंत्रियों और विदेश मंत्रियों की भी बैठकें हुई. दोनों देशों द्वारा पांच मुद्दों पर बनी सहमति के बाद भी, विशेष रूप से पूर्वी लद्दाख में स्थिति गंभीर नजर आती है.

आठ घंटे चला था खूनी संघर्ष

वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पहले से ही तनाव बहुत अधिक था. भारत और चीन दोनों ने सीमा पर सैनिकों की संख्या में वृद्धि की हुई थी. दोनों सेनाओं के बीच एक बफर जोन बनाया जाना था, हालांकि, एक भारतीय कमांडर ने क्षेत्र में एक चीनी शिविर को देखा और निरीक्षण करने गया. यह विवाद लड़ाई में बढ़ गया.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एलएसी के इस पार भारतीय इलाके में पेट्रोलिंग पॉइंट 14 के पास चीनी सेना के टेंट हटाने पहुंचे भारतीय सैनिक पर चीनी सैनिकों ने पत्थर से हमला कर दिया. उन्होंने कंटीले तार लगे डंडों, लोहे की छड़ों और लाठियों से हमला किया. इसके बाद भारतीय सैनिकों ने भी जवाबी कार्रवाई शुरू की. डंडों और मुक्कों से ये खूनी संघर्ष करीब आठ घंटे तक चला. सैनिक गलवान नदी से ऊपर एक टीले पर चले गए. कई जवानों के पैर फिसले जिससे वो नदी में गिर गए या पत्थरों से जा टकराए.

पढ़ेंः गलवान की घटना दोहराने बरछे-भाले लेकर आए थे चीनी सैनिक

पढ़ेंः गलवान संघर्ष का एक साल : उस रात के बाद बदल गए भारत-चीन के रिश्ते

हैदराबाद : गलवान घाटी संघर्ष में शहीद कर्नल संतोष बाबू की पत्नी ने अपना दुख साझा करते हुए कहा कि इस घटना ने उनके परिवार को हिला कर रख दिया. पत्नी ने बताया कि शहीद पति कर्नल संतोष बाबू की शहीद होने के साथ ही उन पर पारिवारिक जिम्मेदारियों का बोझ आ गया. वह वर्तमान में सरकार द्वारा दी गई नौकरी के लिए प्रशिक्षण ले रही हैं. संतोषी ने अपना दुख साझा करते हुए कहा कि पति कर्नल संतोष बाबू उनकी यादाें में बसे हैं.

उन्हाेंने कहा मैं उनकी यादों के साथ अपना वक्त बिता रही हूं. मैंने उनके साथ रह कर जीवन में बहुत कुछ सीखा है. घटना के बाद मैं काफी सदमे में थी. फिर मैंने सोचा कि मुझे अपने बच्चों के भविष्य के लिए खड़ा होना पड़ेगा. उन्हाेंने कहा कि पति का बलिदान इतिहास में अमर रहेगा. देश की सेवा करना बहुत बड़ी बात है. बता दें कि शहीद कर्नल संतोष बाबू के परिवार में उनकी पत्नी संतोषी और दो बच्चे हैं.

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पिछले साल 15 जून को पूर्वी लद्दाख सेक्टर में चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में भारत के 20 सैनिकों की जान चली गई थी. जिसमें तेलंगाना के कर्नल संतोष बाबू भी शहीद हो गए थे. 16 बिहार रेजीमेंट के कमांडिंग अधिकारी कर्नल संतोष बाबू को मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था.

गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद भारत और चीन ने सैन्य अधिकारियों और राजनयिक स्तरों पर कई बैठकें की. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, रक्षा मंत्रियों और विदेश मंत्रियों की भी बैठकें हुई. दोनों देशों द्वारा पांच मुद्दों पर बनी सहमति के बाद भी, विशेष रूप से पूर्वी लद्दाख में स्थिति गंभीर नजर आती है.

आठ घंटे चला था खूनी संघर्ष

वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पहले से ही तनाव बहुत अधिक था. भारत और चीन दोनों ने सीमा पर सैनिकों की संख्या में वृद्धि की हुई थी. दोनों सेनाओं के बीच एक बफर जोन बनाया जाना था, हालांकि, एक भारतीय कमांडर ने क्षेत्र में एक चीनी शिविर को देखा और निरीक्षण करने गया. यह विवाद लड़ाई में बढ़ गया.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एलएसी के इस पार भारतीय इलाके में पेट्रोलिंग पॉइंट 14 के पास चीनी सेना के टेंट हटाने पहुंचे भारतीय सैनिक पर चीनी सैनिकों ने पत्थर से हमला कर दिया. उन्होंने कंटीले तार लगे डंडों, लोहे की छड़ों और लाठियों से हमला किया. इसके बाद भारतीय सैनिकों ने भी जवाबी कार्रवाई शुरू की. डंडों और मुक्कों से ये खूनी संघर्ष करीब आठ घंटे तक चला. सैनिक गलवान नदी से ऊपर एक टीले पर चले गए. कई जवानों के पैर फिसले जिससे वो नदी में गिर गए या पत्थरों से जा टकराए.

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