नई दिल्ली : फेसबुक की पेरेंट कंपनी मेटा प्लेटफॉर्म्स इंक (Meta Platforms Inc) के शेयर गुरुवार को 26.39 पर्सेंट तक गिर गए, यह अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है. बताया जा रहा है कि फेसबुक के यूजर्स की संख्या कम होने के बाद कंपनी के शेयरों में गिरावट आई है. मार्क जुकरबर्ग को गुरुवार को नेट वर्थ में 30 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ और मेटा प्लेटफॉर्म इंक को 230 बिलियन डॉलर की चपत लगी. इस नुकसान के बाद मार्क जुकरबर्ग फोर्ब्स की रीयल-टाइम अरबपतियों की लिस्ट की टॉप 10 से बाहर हो गए. अब वह भारत के कारोबारी मुकेश अंबानी और गौतम अडानी के बाद बारहवें स्थान पर पहुंच गए हैं. फेसबुक समेत अन्य टेक कंपनियों के शेयर में गिरावट के बाद अमेरिकी शेयर बाजार नैस्डैक में भारी गिरावट आई, इसका असर भारत सहित विश्व के दूसरे शेयर बाजार पर भी पड़ा.
महंगे डेटा के कारण भारत में कम हुए यूजर्स : फेसबुक के पैरेंट कंपनी Meta ने कहा है कि उसे 18 साल में पहली बार बहुत बड़ा नुकसान हुआ है. मेटा का कहना है कि पिछली तिमाही में हर रोज 10 लाख डेली एक्टिव यूजर्स कम हुए हैं. डेली यूजर्स की संख्या में आई कमी के कारण कंपनी के शेयरों की कीमत गिरी. रिपोर्टस के अनुसार, 2021 की चौथी तिमाही में फेसबुक के ग्लोबल यूजर्स में 20 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है. इसमें बड़ा आंकड़ा भारत का भी है. फेसबुक ने भी माना है कि भारत में प्रीपेड डेटा की कीमतों में बढ़ोतरी से उसके यूजर्स घट गए. मेटा के चीफ फाइनैंशल ऑफिसर डेव वेनर ने कहा, भारत में डेटा महंगा होने और कारोबारी कॉम्पिटीशन बढ़ने से भी यूजर ग्रोथ सुस्त पड़ गई, खासतौर से युवाओं का समय हासिल करने के लिहाज से इसका असर पड़ा है. दरअसल भारत में यूजर्स स्मार्टफोन पर OTT के साथ ज्यादा समय बिताने लगे हैं. भारत में वोडाफोन आइडिया (वीआईएल) और भारती एयरटेल के बाद, रिलायंस जियो इंफोकॉम लिमिटेड ने 1 दिसंबर से प्रभावी प्रीपेड टैरिफ दरों में 25 फीसदी तक की बढ़ोतरी कर दी. इसके बाद भारत में डेटा महंगा हो गया. काउंटरपॉइंट रिसर्च के निदेशक तरुण पाठक के अनुसार, प्रीपेड डेटा की बढ़ी कीमत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को प्रभावित किया और इससे फेसबुक को भी नुकसान हुआ. स्टेटिस्टा की रिपोर्ट के अनुसार, अकेले भारत में फेसबुक के करीब 40 करोड़ यूजर्स हैं.
टिकटॉक ने भी छुड़ाए छक्के : इसके अलावा मेटा को कंपनी को टिकटॉक सहित प्रतिद्वंद्वियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा. मेटा के मुताबिक, टिकटॉक जैसे प्लेटफॉर्म्स से मिल रही चुनौती के कारण उसका विज्ञापन राजस्व प्रभावित हो सकता है. कंपनी की कमाई में एड रेवेन्यू का बड़ा हिस्सा है. 2021 की चौथी तिमाही में यह 33.67 अरब डॉलर था जबकि एक साल पहले यह 28.07 अरब डॉलर रहा था. कंपनी की रेवेन्यू ग्रोथ तीसरी तिमाही में सालभर पहले के मुकाबले 35 पर्सेंट थी. चौथी तिमाही में यह घटकर 20 पर्सेंट रह गई. मौजूदा तिमाही में इसके 11 पर्सेंट के आसपास रहने का अनुमान है. मेटा के मुताबिक, इससे इस साल आमदनी में 10 अरब डॉलर की चपत लग सकती है.
पिछले साल जुकरबर्ग ने वर्चुअल-रियलिटी आधारित कंपनी बनने के लिए फेसबुक को मेटावर्स (metaverse) के तौर पर रीब्रांड किया था. हरग्रीव्स लैंसडाउन की इक्विटी एनालिस्ट लॉरा होय के मुताबिक, मेटा के "मेटावर्स" में बेतहाशा निवेश के कारण उसके खर्चों में बढ़ोतरी हुई. इसके अलावा ऐप्पल की पॉलिसी के कारण उसे अरबों खर्च करने पड़े. इस तरह चौथी तिमाही के निराशाजनक नतीजे उनके मेटावर्स का बबल फोड़ दिया.
मेटा के स्टॉक में गिरावट ने गुरुवार को वॉल स्ट्रीट पर अन्य शेयरों की कीमत गिर गई. ट्विटर और स्नैप समेत अन्य सोशल मीडिया कंपनियों के शेयरों में भी गिरावट दर्ज की गई. जनवरी में भी नैस्डैक टेक कंपनियों के शेयर गिरने से 9% से अधिक गिर गया था. कॉमनवेल्थ फाइनेंशियल नेटवर्क के मुख्य निवेश अधिकारी ब्रैड मैकमिलन का कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान 2021 में बड़ी आईटी और कम्यूनिकेशन ने बाजार से बहुत अधिक वसूली की है, अब हालात बदल रहे हैं. इसका असर इन कंपनियों पर दिखेगा.
पढ़ें : सेंसेक्स 220.21 अंक टूटा, निफ्टी में भी 72.85 अंकों की गिरावट