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माओवादियों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दे रहे प्रतिबंधित संगठन : एनआईए - Maoists in using firearms

प्रतिबंधित उग्रवादी समूह नक्सलियों (Maoists) को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दे रहे हैं. इस बात का खुलासा असम से गिरफ्तार एक शीर्ष माओवादी नेता से पूछताछ के बाद एनआईए ने किया है.

Maoists take firearms training from banned outfits to unleash terror
माओवादियों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दे रहे प्रतिबंधित संगठन
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Published : Jun 27, 2022, 10:56 PM IST

कोलकाता : कुछ साल पहले गृह मंत्रालय ने कई उग्रवादी समूहों पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिनमें कंगलीपाक कम्युनिस्ट पार्टी (केसीपी) और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) शामिल थे. सूत्रों का दावा है कि ये दोनों आतंकवादी संगठन इस समय माओवादियों को आग्नेयास्त्रों का इस्तेमाल करने का प्रशिक्षण दे रहे हैं. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अनुसार, माओवादियों को ये दो समूह हथियार चलाने का प्रशिक्षण दे रहे हैं. उनका नया टारगेट नॉर्थ-ईस्ट इंडिया है.

माओवादियों ने देश के इस हिस्से में आतंक फैलाने और आतंकवादी नेटवर्क को बढ़ाने के लिए केसीपी और पीएलए के साथ हाथ मिलाया है. यह जानकारी हाल ही में असम से गिरफ्तार एक शीर्ष माओवादी नेता से पूछताछ के बाद सामने आई है. एनआईए (National Investigation Agency) का दावा है कि माओवादियों ने पहले की अपनी रणनीति में कुछ बदलाव किए हैं. हालांकि, राज्य पुलिस के विशेष कार्यबल और संयुक्त बल के तलाशी अभियान से इलाके में माओवादियों में हड़कंप है. इस संदर्भ में वे अपने लिए 'सुरक्षित रास्ता' बनाने के लिए भारत-बांग्लादेश सीमा पर नए ठिकाने स्थापित कर रहे हैं. एनआईए पहले ही राज्य के खुफिया कार्यालय के साथ इस मामले पर कई बार चर्चा कर चुकी है.

पहले माओवादी जंगल महल वासियों के दुख-दर्द को हथियार के रूप में इस्तेमाल करते थे. स्थानीय लोगों में सरकार के खिलाफ आक्रोश था, लेकिन अब तस्वीर बदल गई है. कई शीर्ष माओवादी नेताओं को या तो गिरफ्तार कर लिया गया है या वह सामान्य जीवन में लौट आए हैं. नतीजतन, जंगल में बने रहना माओवादियों के लिए चुनौती बन गई है. ऐसे में वे उत्तर-पूर्वी भारत में एक मजबूत आधार बनाना चाहते हैं.

पढ़ें- असम : NIA ने माओवादियों से संबंध के आरोप में दंपत्ति को किया गिरफ्तार

कोलकाता : कुछ साल पहले गृह मंत्रालय ने कई उग्रवादी समूहों पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिनमें कंगलीपाक कम्युनिस्ट पार्टी (केसीपी) और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) शामिल थे. सूत्रों का दावा है कि ये दोनों आतंकवादी संगठन इस समय माओवादियों को आग्नेयास्त्रों का इस्तेमाल करने का प्रशिक्षण दे रहे हैं. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अनुसार, माओवादियों को ये दो समूह हथियार चलाने का प्रशिक्षण दे रहे हैं. उनका नया टारगेट नॉर्थ-ईस्ट इंडिया है.

माओवादियों ने देश के इस हिस्से में आतंक फैलाने और आतंकवादी नेटवर्क को बढ़ाने के लिए केसीपी और पीएलए के साथ हाथ मिलाया है. यह जानकारी हाल ही में असम से गिरफ्तार एक शीर्ष माओवादी नेता से पूछताछ के बाद सामने आई है. एनआईए (National Investigation Agency) का दावा है कि माओवादियों ने पहले की अपनी रणनीति में कुछ बदलाव किए हैं. हालांकि, राज्य पुलिस के विशेष कार्यबल और संयुक्त बल के तलाशी अभियान से इलाके में माओवादियों में हड़कंप है. इस संदर्भ में वे अपने लिए 'सुरक्षित रास्ता' बनाने के लिए भारत-बांग्लादेश सीमा पर नए ठिकाने स्थापित कर रहे हैं. एनआईए पहले ही राज्य के खुफिया कार्यालय के साथ इस मामले पर कई बार चर्चा कर चुकी है.

पहले माओवादी जंगल महल वासियों के दुख-दर्द को हथियार के रूप में इस्तेमाल करते थे. स्थानीय लोगों में सरकार के खिलाफ आक्रोश था, लेकिन अब तस्वीर बदल गई है. कई शीर्ष माओवादी नेताओं को या तो गिरफ्तार कर लिया गया है या वह सामान्य जीवन में लौट आए हैं. नतीजतन, जंगल में बने रहना माओवादियों के लिए चुनौती बन गई है. ऐसे में वे उत्तर-पूर्वी भारत में एक मजबूत आधार बनाना चाहते हैं.

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