कुल्लू (हिमाचल): 15 से 20 घंटे की फ्लाइट में आप दिल्ली से अमेरिका के न्यूयॉर्क पहुंच सकते हैं लेकिन कुल्लू के 3 गांवों के लोग दो दिन में करीब 70 किलोमीटर पैदल चलकर जिला मुख्यालय तक पहुंच पाए. जी हीं, 75 किलोमीटर का पैदल सफर... सुनकर ही शायद पैरों में दर्द होने लगे. हिमाचल में भारी बारिश ने हर जगह तबाही मचाई है, सैलाब में किसी का आशियाना बह गया तो किसी की दुकान और कईयों ने अपनी जिंदगीभर की पूंजी गंवा दी. इस सबके बीच कुल्लू जिले की गाड़ा पारली पंचायत के शाकटी, मरोड़ और शुगाड़ गांव के लोगों को दर्द बिल्कुल अलग है. ये लोग बीते करीब 20 दिन से ये दर्द झेल रहे हैं.
बाढ़ में बह गए रास्ते और पुल- हिमाचल में आई आपदा से पहले इन तीनों गांवों के लोग करीब 25 किलोमीटर पैदल चलकर सबसे नजदीकी सड़क तक पहुंचते थे. कुल्लू डीसी ऑफिस पहुंचे गाड़ा पारली पंचायत के पूर्व प्रधान भागचंद ने बताया कि ये सर्फ अब तीन गुना हो गया है क्योंकि जिन रास्तों से पहले होकर ये ग्रामीण गुजरते थे वो सभी रास्ते, पगडंडियां और पुल सैलाब में बह गए हैं. ज्यादा रास्ते नदी या खड्ड किनारे थे जो बारिश के बाद आई बाढ़ में बह गए हैं. जिसके कारण इन्हें अब करीब 60 से 70 किलोमीटर पैदल चलकर जिला उपायुक्त के पास पहुंचना पड़ा है. इतना पैदल सफर मैदानी इलाकों में करना भी मुश्किल होता है सोचिये कैसे पहाड़ी रास्तों से होकर इन लोगों ने ये सफर तय किया होगा.
2 दिन 75 किमी. पैदल चले- नजदीकी सड़क तक पहुंचने के सारे रास्ते बह गए तो इन लोगों को जिला मुख्यालय तक पहुंचने के लिए दूसरा रास्ता अपनाना पड़ा. जिसपर ये लोग 2 दिन तक करीब 75 किलोमीटर पैदल चले. ग्रामीणों के मुताबिक वो अपनी समस्या को लेकर बुधवार को जिला मुख्यालय ढालपुर में डीसी से मिलने के लिए निकले थे. पहाड़ों की चढ़ाई और टेढ़े मेढ़े रास्तों से होते हुए वीरवार को वो सबसे नजदीकी सड़क के पास निहारनी पहुंचे और फिर वहां से बस का सफर करके कुल्लू जिला मुख्यालय तक आए. इस सफर के लिए ग्रामीण अपने साथ बकायदा खाने का सामान और कपड़े लेकर भी चले थे. क्योंकि दो दिन पैदल सफर करने के बाद वो तीसरे दिन जिला उपायुक्त के दर पर पहुंच पाए और वापसी में भी इतना ही वक्त लगना तय है. ग्रामीणों के मुताबिक उन्होंने इस सफर के दौरान जगंलों और गुफा में रात गुजारी.
ग्रामीणों की मांग क्या है- आपदा के बाद से गाड़ा पारली पंचायत की शाकटी, मरोड़ और शूगाड़ गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से कट गया है. गाड़ा पारली पंचायत की प्रधान यमुना देवी के मुताबिक उनकी पंचायत में कई घर बाढ़ में बह गए हैं. सबसे ज्यादा दिक्कत रास्तों और नदी-नालों पर बने पुल बहने के कारण हो रही है. रास्ते ना होने के कारण बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं और राशन, सब्जी या रोजमर्रा का सामान लाने के लिए भी 60 से 70 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ रहा है. इलाके में अगर कोई बीमार पड़ जाए तो ये दूरी जिंदगी पर भारी पड़ सकती है. ग्रामीणों की मांग है कि सबसे पहले इन रास्तों और पुलों को दुरुस्त किया जाए और फिलहाल जल्द से जल्द अस्थायी पुलों की व्यवस्था की जाए. यमुना देवी ने बताया कि डीसी कुल्लू ने उन्हें आश्वासन दिया है कि नालों पर झूला पुल की व्यवस्था की जाएगी, लेकिन पैदल रास्ते बनाने में भी अभी काफी समय लगेगा. उन्होंने जिला प्रशासन से आग्रह किया कि यहां पर घोड़ों के माध्यम से राशन भेजने की व्यवस्था की जाए. ताकि ग्रामीणों को बरसात के इस मौसम में दिक्कत का सामना ना करना पड़े.
वायु सेना के हेलीकॉप्टर से गांव में पहुंचाया गया राशन: हिमाचल में आई आपदा शाकठी, मरोड़ और शुगाड गांव का संपर्क जिला मुख्यालय से कट गया. बाढ़ में पुलिया और पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त होने से गांव के लोग बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. वहीं, बाढ़ के बाद पिछले दिनों इन गांवों में वायुसेना के हेलीकॉप्टर से राशन और अन्य जरूरी सामान पहुंचाया गया है. जिसकी वजह से गांव के लोगों को खाने का सामान वक्त रहते मिल पाया. वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि सबसे पहले प्रशासन पैदल मार्ग को सही कर दे ताकि घोड़े खच्चरों की मदद से वो आवाजाही और जरुरी सामान लाने में परेशानी ना हो.
चुनाव में पोलिंग टीम को भी 25 KM पैदल चलना पड़ा : बता दें कि आपदा से पहले भी शाकटी, मरोड़ और शुगाड गांव के लोगों की जिंदगी कुछ आसान नहीं थी. पहले भी गांव से नजदीकी सड़क मार्ग तक पहुंचने के लिए लगभग 25 किमी पैदल चलना पड़ता था. चुनाव के समय पोलिंग पार्टियों को भी 25 किमी. का पैदल चलकर इन गांवों तक पहुंचना पड़ा था.
बिजली-पानी और मोबाइल कनेक्टिविटी भी नहीं- भारी बारिश के बाद आई बाढ़ के बाद इन इलाकों में बिजली भी नहीं है और पानी की परियोजनाएं भी बह गई हैं. कुल्लू के कई इलाकों में मोबाइल कनेक्टिविटी भी नहीं है और बाढ़ के बाद ये मुश्किल और भी बड़ी हो गई है. ऐसे में इन ग्रामीणों ने कई बार शासन-प्रशासन से सड़क और बिजली को लेकर गुहार लगाई, लेकिन वन क्षेत्र होने के चलते मामला अटका हुआ है. हालांकि, प्रशासन ने गांवों में सोलर पैनल की व्यवस्था की है, जिससे इन लोगों को बिजली मिल रही है.
कुल्लू जिला उपायुक्त आशुतोष गर्ग ने कहा कि ये इलाका वन विभाग के तहत आता है. वो जल्द से जल्द रास्ते रिपेयर करने के लिए वन विभाग को निर्देश देंगे और तब तक ग्रामीणों की सुविधा को देखते हुए अस्थायी समाधान किया जाएगा ताकि लोगों को परेशानी ना हो.
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