सारणः बिहार में छपरा जहरीली शराबकांड (Chapra Hooch Tragedy) की गूंज राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गई है. घटना के बाद सरकार और सारण पुलिस प्रशासन लगातार विपक्ष के निशाने पर है. सुप्रीम कोर्ट में भी इसके खिलाफ याचिका दायर की गई है. यही वजह है कि प्रशासन इस मामले में सख्त कार्रवाई में जुटा है और शराब माफिया के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जा रहा है. पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला है कि सारण में पंजाब और बलिया से शराब की खेप लायी गयी थी. इधर, रविवार को एसआइटी ने शराब तस्कर (Many liquor mafia arrested) अखिलेश राय उर्फ अखिलेश कुमार यादव को मशरक थाना क्षेत्र से गिरफ्तार किया है. शनिवार को पुलिस ने शराब माफिया गोपालबाड़ी के अनिल सिंह को गिरफ्तार किया था. दो दिनों में दो अहम गिरफ्तारियों के बाद अब पुलिस को उम्मीद है कि वह जहरीली शराब कांड की सप्लाइ चेन के नेटवर्क के करीब पहुंच चुकी है. जल्द ही पूरे मामले का खुलास हो जायेगा.
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350 लोगों को किया गया गिरफ्तारः दरअसल जहरीली शराबकांड के बाद पुलिस पूरे जिले में ऑपरेशन क्लीन ड्राइव चला रही है. इसके तहत पिछले पांच दिनों में 350 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. एसपी संतोष कुमार के अनुसार गिरफ्तार लोगों में से आठ लोग ऐसे हैं, जिनके माध्यम से जहरीली शराब की खेप लाने वालों तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है. इस बीच सारण उत्पाद विभाग द्वारा अवैध शराब और बाहर से लाई जा रही शराब को पकड़ने के लिए लगातार अभियान चला रहा है. सारण जिले के दोनों चेक पोस्ट को मांझी और मशरक थाना क्षेत्र के बनसोई में हर आने जाने वाले वाहनों की विशेष जांच की जा रही है. शनिवार देर रात भी उत्पाद विभाग की टीम ने मांझी से ट्रैक्टर से लाई जा रही विदेशी शराब को पकड़ा है, जो हरियाणा और पंजाब से लाई जा रही थी. जब्त शराब की कीमत लगभग आठ लाख रुपये है.
जब्त स्पिरिट नहीं थी जहरीलीः वहीं, मद्य निषेध विभाग के निर्देश पर मशरक और इसुआपुर थानों से जब्त स्पिरिट के सैंपल की रिपोर्ट रविवार को राज्य मुख्यालय से आ गई. मशरक थाना से स्पिरिट के कुल सात सैंपल और इसुआपुर थाना से दो सैंपल जांच के लिए भेजे गये थे. जिला उत्पाद अधीक्षक रजनीश ने बताया कि सैंपल की रिपोर्ट में जहरीली स्पिरिट होने की बात सामने नहीं आयी है. ऐसे में यह स्पष्ट हो गया कि मशरक व इसुआपुर थाने में जब्त कर रखी गयी स्पिरिट जहरीली नहीं थी. आपको बता दें कि जहरीली शराब से मरने वालों की संख्या 75 के पार है और 75 व्यक्तियों की सूची भी जारी हुई है. लेकिन अभी भी जिला प्रशासन मृतकों की संख्या काफी कम बता रहा है. अधिकारिक तौर पर अब तक 67 मौतों की पुष्टि की गई है.
"मढ़ौरा अनुमंडल के विभिन्न थाना क्षेत्रों में संदिग्ध स्थिति में मृत्यु होने की घटना के बाद मशरख थाना एवं इसुआपुर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है और आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी जारी है. त्वरित अनुसंधान एवं गिरफ्तारी के लिए अपर पुलिस अधीक्षक सह अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, सोनपुर के नेतृत्व में 3 पुलिस उपाधीक्षक सहित कुल 31 पुलिस पदाधिकारी और पुलिसकर्मी के लिए एक विशेष जांच टीम गठित की गई है.''- संतोष कुमार, पुलिस अधीक्षक, सारण
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायरः वहीं जहरीली शराब से मौत को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई है, जिसमें लगभग 60 लोग के मारे जाने की बात कही गई है. याचिका में त्रासदी की जांच के लिए एसआईटी द्वारा स्वतंत्र जांच की मांग की गई है. अधिवक्ता पवन प्रकाश पाठक ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष याचिका का उल्लेख किया. पीठ ने तत्काल सुनवाई के लिए याचिका को सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया और वकील से कहा कि उन्हें मामले को सूचीबद्ध करने के लिए उचित प्रक्रिया से गुजरना होगा. सुप्रीम कोर्ट शनिवार से शुरू होने वाले दो सप्ताह के शीतकालीन अवकाश पर जाएगा और यह 2 जनवरी को फिर से खुलेगा. बिहार स्थित आर्यावर्त महासभा फाउंडेशन द्वारा दायर याचिका में पीड़ित परिवारों को पर्याप्त मुआवजा देने के लिए राज्य सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है.
स्थानीय स्तर पर गलत ढंग से बनती है शराबः वहीं, इस घटना में अपनों को खो चुके ग्रामीणों का साफ कहना है कि कच्ची शराब बनाने वाले अवैध कारोबारी लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ कर रहे हैं. पहले महुआ के साथ शीरे के तौर पर गुड़ का इस्तेमाल करके शराब बनाई जाती थी, लेकिन ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में अवैध शराब कारोबारी यूरिया और नौशादर का इस्तेमाल करने लगे हैं. देसी शराब में अगर यूरिया की मात्र थोड़ी भी ज्यादा हो जाए, तो वो जहर में तब्दील हो जाती है. वहीं, सारण जिले के रसायन शास्त्र के एक शिक्षक बताते हैं कि स्थानीय स्तर पर गलत ढंग से शराब बनाई जाती है. उन्होंने दावा किया कि उसकी रसायनिक अभिक्रियाओं के दौरान इथाइल अल्कोहल के साथ मिथाइल अल्कोहल भी बन जा रहा है. स्थानीय स्तर पर शराब बनाने के दौरान तापमान का कोई ख्याल नहीं रखा जाता. जब शराब में मौजूद फॉलिक एसिड अधिक मात्रा में शरीर में जायेगी तो मौत होना निश्चित है.
"सभी ने एक समारोह में शराब पी थी, जिसके बाद एक-एक कर सबकी तबीयत बिगड़ने लगी. हमारे इलाके में खुलेआम दारू बिक रही है. पुलिस समय रहते अगर कार्रवाई करती तो आज ये मौतें न होतीं. क्या गारंटी कि ऐसी घटनाएं अब नहीं होंगी. सभी गांव में शराब बिकती है. आज पुलिस गांव में शराब खोज रही, अगर पुलिस पहले ही अपने कर्तव्यों का पालन करती तो क्या आज ये शव देखने को नहीं मिलते. पुलिस को फोन करने के बाद भी उन्होंने कोई सुनवाई नहीं की. उल्टा कह रही थी कि कोई पूछे तो कह देना ठंड से मर गया. लाश को जल्दी हटवा दो. अब हमारे बच्चों की परवरिश कौन करेगा. शराबबंदी ने कई ने हमारे घरों को उजाड़ दिया है"- मृतक के परिजन
चोरी-छिपे पीते हैं लोग शराबः आपको बता दें कि छपरा में 75 लोगों की मौत के बाद मशरक और इसुआपुर थाना क्षेत्र के गांव में मातम पसरा हुआ है. गांव वाले कहते हैं कि यहां शराबबंदी का कोई असर नहीं दिखता. आए दिन लोगों को शराब में नशे में देखा जाता है. शराबबंदी के बावजूद लोग चोरी छिपे शराब पी ही रहे हैं. दरअसल 5 अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी के बावजूद भी बिहार में शराबबंदी कानून पूर्ण रूप से लागू नहीं हो पा रहा है. यही वजह है कि जहरीली शराब से विभिन्न जिलों में लोगों की मौतें होती रहती हैं. यह पहली बार नहीं है, जब जहरीली शराब से लोगों की मौत हुई है. आखिर जहरीली शराब से हो रही मौत का जिम्मेदार कौन है. क्या वह शराब माफिया जो जहरीली शराब बेच रहे हैं या वह प्रशासन जिनकी मिलीभगत से शराब जिलों में बेची जा रही है. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि जहरीली शराब से मौत का जिम्मेदार सिर्फ चौकीदार या थाना प्रभारी ही कैसे हो सकता है, जिन्हें शराब से मौत के मामले में अक्सर दोषी पाकर सस्पेंड कर दिया जाता है.