वाशिंगटन: अमेरिका की एक रिपोर्ट में सोमवार को दावा किया गया कि भारत में 2022 में न्यायेत्तर हत्याएं, प्रेस की स्वतंत्रता और धार्मिक तथा जातीय अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने वाली हिंसा समेत मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले सामने आए हैं. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन द्वारा जारी, विदेश विभाग की वार्षिक मानवाधिकार रिपोर्ट अमेरिकी कांग्रेस (संसद) के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता है जो दुनिया भर के देशों में मानवाधिकारों की स्थिति का विवरण देती है.
वार्षिक रिपोर्ट के नवीनतम संस्करण में ईरान, उत्तर कोरिया और म्यांमा जैसे कुछ अन्य देशों के साथ रूस और चीन में बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए उनकी आलोचना की गई है. देश आधारित रिपोर्ट के भारत वाले हिस्से में दावा किया गया है कि सरकार के सभी स्तरों पर आधिकारिक कदाचार के लिए जवाबदेही की कमी है, जिससे अपराधियों में दंड नहीं मिलने की भावना है।. साथ ही इसमें दावा किया गया है कि कानून लागू करने में ढिलाई, प्रशिक्षित पुलिस अधिकारियों की कमी और बोझ से दबी तथा संसाधनों की कमी वाली अदालती व्यवस्था के कारण दोषसिद्धि की संख्या कम है.
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भारत ने अतीत में अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा इसी तरह की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था. भारत सरकार ने जोर दिया है कि भारत में सभी के अधिकारों की रक्षा के लिए अच्छी तरह से स्थापित लोकतांत्रिक प्रथाएं और मजबूत संस्थाएं हैं.
विदेश विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में न्यायेत्तर हत्याएं, पुलिस और जेल अधिकारियों द्वारा यातना, अमानवीय बर्ताव की घटनाएं हुईं. रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि राजनीतिक बंदी, मनमाने तरीके से गिरफ्तारियां या हिरासत में लेने, मीडिया की अभिव्यक्ति पर पाबंदी, पत्रकारों के दमन समेत मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाएं हुईं.
अमेरिकी रिपोर्ट में दावा किया गया कि इंटरनेट पर रोक, शांतिपूर्ण तरीके से एकत्र होने पर पाबंदी, देश और विदेश के अतंरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों को प्रताड़ित किए जाने की भी घटनाएं हुईं.
(पीटीआई-भाषा)