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आधुनिक हथियारों से लैस तालिबान, खतरे में रेस्क्यू करने वाले विमान

तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा तो किया ही है, इसके साथ ही उसने कई बड़े और अत्याधुनिक हथियारों पर भी कब्जा कर लिया है. इन हथियारों में एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम भी शामिल है. यह सभी देशों के लिए चिंता का विषय बन गया है. इस पर पढ़ें वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट..

डिफेंस मिसाइल सिस्टम
डिफेंस मिसाइल सिस्टम
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Published : Aug 25, 2021, 8:46 PM IST

Updated : Aug 25, 2021, 9:24 PM IST

नई दिल्ली : अब जब अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया है. तालिबान के खौफ के साये में जान बचाने के लिए मशक्कत जारी है. सभी देश अफगानिस्तान में फंसे अपने नागरिकों को निकाल रहे हैं.

नागरिकों को निकालने के लिए काबुल में हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से 24 घंटे विमान उड़ रहे हैं. विमान टेकऑफ के बाद के कुछ मिनट पायलटों के लिए घातक हो सकता है, क्योंकि तालिबान और अफगानिस्तान में कई विद्रोही संगठन घातक मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम (MANPADS) से लैस बैठे हैं, और ये विमान को किसी भी वक्त निशाना बना सकते हैं.

तालिबानी लड़ाकों के पास अब हथियारबंद विमान, टैंक, हज़ारों Humvees, लाखों असॉल्ट राइफलें और कवच-भेदी गोला-बारूद ही नहीं है. इसके अलावा तालिबान के पास मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम (MANPADS) भी है, जो गंभीर चिंता का विषय बन गया है.

इन मिसाइलों के खतरों से बचने के लिए पायलट विमान उड़ान भरते समय इन्फ्रा-रेड फ्लेयर्स का सहारा ले रहे हैं. फ्लेयर्स का प्रयोग मिसाइलों में लगे गर्मी की पहचान करने वाले उपकरण को चकमा देने के लिए किया जाता है. विमान की तुलना में मजबूत इंफ्रा-रेड सिग्नल उत्पन्न करने वाले ये डिकॉय फ्लेयर्स किसी भी आने वाली इंफ्रा-रेड मिसाइल से सुरक्षा प्रदान करते हैं.

इसके लिए अमेरिका और रूस की तकनीक को धन्यवाद, जिन्होंने ऐसे विमान बनाये हैं. 26 देशों के पास ऐसे विमान है. जो काबुल से अपने नागरिकों को रेस्क्यू कर रहे हैं. MANPADS को एक व्यक्ति संचालित कर सकता है. इस वजह 15-20 किलो होता और इसकी लंबाई 2 मीटर होती है. इसमें तीन घटक होते हैं- विस्फोटक प्रक्षेप्य (explosive projectile), लॉन्च ट्यूब के साथ-साथ ग्रिप और आवश्यक बिजली का उत्पादन करने के लिए एक बैटरी इकाई.

आमतौर पर MANPADS 3-7 किमी या 10,000-15,000 फीट तक लक्ष्य भेद सकता है, जो इसे कम-उड़ान वाले विमानों और विशेष रूप से टेक-ऑफ क्षेत्रों के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकती है.

अतीत में अमेरिकी सैन्य खुफिया ने बताया था कि ईरान के कुलीन बल कुद्स फोर्स ने तालिबान को SA-7 MANPADS और उन्हें संचालित करने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण भी प्रदान किया था.

दुनिया के लगभग 12 देश MANPADS को बनाते हैं, वहीं तकरीबन 105 देशों के पास यह मिसाइल है. अमेरिका निर्मित 'स्टिंगर' और रुस निर्मित 9K32 स्ट्रेला -2 या 'एसए -7' सबसे अधिक प्रयोग (प्रलिफरेट) किये जा रहै हैं. ये मिसाइलें मौजूदा हालात में सबसे अधिक अफगानिस्तान में हैं. चीन द्वारा निर्मित 'एफएन-16' सबसे नवीनतम है.

1980 के दशक के पहले पार्ट में अमेरिका ने अफगानिस्तान में मुजाहिदीन को स्टिंगर्स के साथ सोवियत हेलीकॉप्टरों और कम उड़ान वाले विमानों की आपूर्ति की थी. MANPADS सभी देशों के लिए चिंता का विषय बन गया है,क्योंकि काबुल हवाई अड्डे से सैन्य और नागरिक उड़ानों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है.

गौरतलब है कि पिछले दस दिनों में (14-24 अगस्त तक) काबुल हवाईअड्डे से करीब 70,700 लोगों को बाहर निकाला गया है. हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा संभवत: इतना व्यस्त कभी नहीं रहा, क्योंकि कम से कम 26 देशों के विमान चौबीसों घंटे नागरिकों को निकाल रहें हैं.

यह सब तब संभव हो पा रहा है कि जब छह हजार अमेरिकी सैनिक काबुल हवाई अड्डे का रक्षा कर रहे हैं. सेना का 10वां माउंटेन डिवीजन हवाई अड्डे के आसपास की रखवाली कर रहा है और 24वीं मरीन एक्सपेडिशनरी यूनिट नागरिकों को निकालने में सहायता कर रहा है.

वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि पिछले 12 घंटों में 5,600 सैनिकों के साथ 6,400 लोगों और 31 गठबंधन विमानों ने काबुल से उड़ान भरी. बाइडेन ने यह भी आशंका व्यक्त की कि काबुल हवाई अड्डे पर अमेरिका और संबद्ध बलों को इस्लामिक स्टेट आतंकवादी समूह के संभावित हमले का खतरा है,.

नई दिल्ली : अब जब अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया है. तालिबान के खौफ के साये में जान बचाने के लिए मशक्कत जारी है. सभी देश अफगानिस्तान में फंसे अपने नागरिकों को निकाल रहे हैं.

नागरिकों को निकालने के लिए काबुल में हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से 24 घंटे विमान उड़ रहे हैं. विमान टेकऑफ के बाद के कुछ मिनट पायलटों के लिए घातक हो सकता है, क्योंकि तालिबान और अफगानिस्तान में कई विद्रोही संगठन घातक मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम (MANPADS) से लैस बैठे हैं, और ये विमान को किसी भी वक्त निशाना बना सकते हैं.

तालिबानी लड़ाकों के पास अब हथियारबंद विमान, टैंक, हज़ारों Humvees, लाखों असॉल्ट राइफलें और कवच-भेदी गोला-बारूद ही नहीं है. इसके अलावा तालिबान के पास मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम (MANPADS) भी है, जो गंभीर चिंता का विषय बन गया है.

इन मिसाइलों के खतरों से बचने के लिए पायलट विमान उड़ान भरते समय इन्फ्रा-रेड फ्लेयर्स का सहारा ले रहे हैं. फ्लेयर्स का प्रयोग मिसाइलों में लगे गर्मी की पहचान करने वाले उपकरण को चकमा देने के लिए किया जाता है. विमान की तुलना में मजबूत इंफ्रा-रेड सिग्नल उत्पन्न करने वाले ये डिकॉय फ्लेयर्स किसी भी आने वाली इंफ्रा-रेड मिसाइल से सुरक्षा प्रदान करते हैं.

इसके लिए अमेरिका और रूस की तकनीक को धन्यवाद, जिन्होंने ऐसे विमान बनाये हैं. 26 देशों के पास ऐसे विमान है. जो काबुल से अपने नागरिकों को रेस्क्यू कर रहे हैं. MANPADS को एक व्यक्ति संचालित कर सकता है. इस वजह 15-20 किलो होता और इसकी लंबाई 2 मीटर होती है. इसमें तीन घटक होते हैं- विस्फोटक प्रक्षेप्य (explosive projectile), लॉन्च ट्यूब के साथ-साथ ग्रिप और आवश्यक बिजली का उत्पादन करने के लिए एक बैटरी इकाई.

आमतौर पर MANPADS 3-7 किमी या 10,000-15,000 फीट तक लक्ष्य भेद सकता है, जो इसे कम-उड़ान वाले विमानों और विशेष रूप से टेक-ऑफ क्षेत्रों के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकती है.

अतीत में अमेरिकी सैन्य खुफिया ने बताया था कि ईरान के कुलीन बल कुद्स फोर्स ने तालिबान को SA-7 MANPADS और उन्हें संचालित करने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण भी प्रदान किया था.

दुनिया के लगभग 12 देश MANPADS को बनाते हैं, वहीं तकरीबन 105 देशों के पास यह मिसाइल है. अमेरिका निर्मित 'स्टिंगर' और रुस निर्मित 9K32 स्ट्रेला -2 या 'एसए -7' सबसे अधिक प्रयोग (प्रलिफरेट) किये जा रहै हैं. ये मिसाइलें मौजूदा हालात में सबसे अधिक अफगानिस्तान में हैं. चीन द्वारा निर्मित 'एफएन-16' सबसे नवीनतम है.

1980 के दशक के पहले पार्ट में अमेरिका ने अफगानिस्तान में मुजाहिदीन को स्टिंगर्स के साथ सोवियत हेलीकॉप्टरों और कम उड़ान वाले विमानों की आपूर्ति की थी. MANPADS सभी देशों के लिए चिंता का विषय बन गया है,क्योंकि काबुल हवाई अड्डे से सैन्य और नागरिक उड़ानों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है.

गौरतलब है कि पिछले दस दिनों में (14-24 अगस्त तक) काबुल हवाईअड्डे से करीब 70,700 लोगों को बाहर निकाला गया है. हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा संभवत: इतना व्यस्त कभी नहीं रहा, क्योंकि कम से कम 26 देशों के विमान चौबीसों घंटे नागरिकों को निकाल रहें हैं.

यह सब तब संभव हो पा रहा है कि जब छह हजार अमेरिकी सैनिक काबुल हवाई अड्डे का रक्षा कर रहे हैं. सेना का 10वां माउंटेन डिवीजन हवाई अड्डे के आसपास की रखवाली कर रहा है और 24वीं मरीन एक्सपेडिशनरी यूनिट नागरिकों को निकालने में सहायता कर रहा है.

वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि पिछले 12 घंटों में 5,600 सैनिकों के साथ 6,400 लोगों और 31 गठबंधन विमानों ने काबुल से उड़ान भरी. बाइडेन ने यह भी आशंका व्यक्त की कि काबुल हवाई अड्डे पर अमेरिका और संबद्ध बलों को इस्लामिक स्टेट आतंकवादी समूह के संभावित हमले का खतरा है,.

Last Updated : Aug 25, 2021, 9:24 PM IST
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