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मणिपुर के नगा समुदाय ने शांति वार्ता को लेकर रैलियां निकालीं - मणिपुर के नगा समुदाय ने रैलियां निकालीं

रैली को लेकर राज्य में सुरक्षा के सख्त इंतजाम किए गए थे. सुरक्षाबलों ने चप्पे-चप्पे पर सतर्कता बरती. सुरक्षा के इंतजाम ऐसे थे कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता था.

Manipur's Naga community took out rallies
मणिपुर के नगा समुदाय ने शांति वार्ता को लेकर रैलियां निकालीं
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Published : Aug 9, 2023, 2:03 PM IST

इंफाल: मणिपुर में नगा समुदाय के हजारों लोगों ने बुधवार को अपने क्षेत्रों में रैलियां निकालीं जिनका उद्देश्य ढांचागत समझौते के आधार पर केंद्र और नगा समूहों के बीच शांति वार्ता के सफल समापन को बल देना था. कड़ी सुरक्षा के बीच तामेंगलोंग, सेनापति, उखरुल और चन्देल के जिला मुख्यालयों में रैलियां निकाली गईं. प्रदर्शनकारियों ने यह भी मांग की कि किसी अन्य समुदाय के लिए अलग प्रशासन के लिए नगा बाहुल्य क्षेत्रों में हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए. मणिपुर में नगा जनजातियों की संस्था संयुक्त नगा परिषद (यूएनसी) ने नगा बाहुल्य इलाकों में रैलियों का आह्वान किया था.

जेलियानग्रोंग नगा जनजाति के गृह क्षेत्र तामेंगलोंग में तीन किलोमीटर तक रैली निकाली गई, जो कि जादोनांग पार्क से शुरू होकर अपोलो ग्राउंड पर समाप्त हुई. रैली में हिस्सा लेने वालों में से एक एंथोनी गैंगमेई ने पीटीआई-भाषा को बताया, 'हम उपायुक्त के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम एक ज्ञापन सौंपेंगे.' तंगखुल नगा जनजाति के गृह क्षेत्र उखरुल में मिशन ग्राउंड से तीन किलोमीटर तक रैली निकाली गई जो लघु सचिवालय तक पहुंची.

रैली में शामिल लोग हाथों में तख्तियां लेकर शांति वार्ता को संपन्न करने और नगा क्षेत्रों को टुकड़ों में न बांटने की मांग कर रहे थे. सेनापति और चंदेल जिलों में भी हजारों लोगों ने रैलियों में भाग लिया. मणिपुर के भौगोलिक क्षेत्र का 90 फीसदी हिस्सा पहाड़ी क्षेत्र है जहां दो, नगा और कुकी-जो जनजातियां रहती हैं. यूएनसी ने एक बयान में पहले कहा था कि तीन अगस्त 2015 को केंद्र और नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (एनएससीएन (आईएम) के बीच ऐतिहासिक ढांचागत समझौते पर हस्ताक्षर के साथ शांति के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया गया था.

उन्होंने कहा, 'अंतिम समझौते पर हस्ताक्षर करने में अगर ज्यादा देरी हुई तो इससे शांति वार्ता की कवायद को झटका लग सकता है.' कुकी जनजातियों की संस्था कुकी इंपी मणिपुर (केआईएम) ने नगा बाहुल्य इलाकों में रैलियों को समर्थन किया. केआईएम ने एक बयान में कहा, 'ऐसे महत्वपूर्ण समय में जब मणिपुर के जनजातीय कुकियों को बहुसंख्यक मेइती समुदाय द्वारा कुचला जा रहा है. गुप्त रूप से सरकारी तंत्र इसे सहायता और बढ़ावा दे रहा है. कुकी इनपी मणिपुर पूरी तरह से यूएनसी की प्रस्तावित रैलियों का समर्थन करता है.

नगा जनजातियों के एक शक्तिशाली नागरिक निकाय नगा होहो ने मणिपुर के 10 नगा विधायकों को 21 अगस्त से प्रस्तावित विधानसभा सत्र में शामिल नहीं होने के लिए कहा है. उनका दावा है कि मणिपुर सरकार नगा समूहों के साथ शांति वार्ता के खिलाफ काम कर रही है. समुदाय के नेताओं के अनुसार, जारी जातीय हिंसा के मद्देनजर अधिकांश कुकी विधायकों की उनकी पार्टी से संबद्धता के बावजूद मणिपुर विधानसभा सत्र में भाग लेने की संभावना नहीं है.

मणिपुर के 60 सदस्यों वाले सदन में कुकी-जोमी के 10 विधायक हैं, जिनमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सात, कुकी पीपुल्स अलायंस के दो और एक निर्दलीय विधायक शामिल हैं. मई में एक अदालत के फैसले पर विरोध प्रदर्शन के बाद मेइती और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़की थी. इस फैसले में अदालत ने इंफाल घाटी में रहने वाले बहुसंख्यक मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग पर सरकार को विचार करने के लिए कहा था. अभी तक यह दर्जा कुकी -जोमी और नगा समुदाय को प्राप्त है.

पढ़ें: मणिपुर में नगा समुदाय की रैलियों से पहले सुरक्षा कड़ी की गई

राज्य में चल रहे इस जातीय संघर्ष में जब तक 160 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि हजारों लोग बेघर हुए हैं.

पीटीआई-भाषा

इंफाल: मणिपुर में नगा समुदाय के हजारों लोगों ने बुधवार को अपने क्षेत्रों में रैलियां निकालीं जिनका उद्देश्य ढांचागत समझौते के आधार पर केंद्र और नगा समूहों के बीच शांति वार्ता के सफल समापन को बल देना था. कड़ी सुरक्षा के बीच तामेंगलोंग, सेनापति, उखरुल और चन्देल के जिला मुख्यालयों में रैलियां निकाली गईं. प्रदर्शनकारियों ने यह भी मांग की कि किसी अन्य समुदाय के लिए अलग प्रशासन के लिए नगा बाहुल्य क्षेत्रों में हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए. मणिपुर में नगा जनजातियों की संस्था संयुक्त नगा परिषद (यूएनसी) ने नगा बाहुल्य इलाकों में रैलियों का आह्वान किया था.

जेलियानग्रोंग नगा जनजाति के गृह क्षेत्र तामेंगलोंग में तीन किलोमीटर तक रैली निकाली गई, जो कि जादोनांग पार्क से शुरू होकर अपोलो ग्राउंड पर समाप्त हुई. रैली में हिस्सा लेने वालों में से एक एंथोनी गैंगमेई ने पीटीआई-भाषा को बताया, 'हम उपायुक्त के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम एक ज्ञापन सौंपेंगे.' तंगखुल नगा जनजाति के गृह क्षेत्र उखरुल में मिशन ग्राउंड से तीन किलोमीटर तक रैली निकाली गई जो लघु सचिवालय तक पहुंची.

रैली में शामिल लोग हाथों में तख्तियां लेकर शांति वार्ता को संपन्न करने और नगा क्षेत्रों को टुकड़ों में न बांटने की मांग कर रहे थे. सेनापति और चंदेल जिलों में भी हजारों लोगों ने रैलियों में भाग लिया. मणिपुर के भौगोलिक क्षेत्र का 90 फीसदी हिस्सा पहाड़ी क्षेत्र है जहां दो, नगा और कुकी-जो जनजातियां रहती हैं. यूएनसी ने एक बयान में पहले कहा था कि तीन अगस्त 2015 को केंद्र और नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (एनएससीएन (आईएम) के बीच ऐतिहासिक ढांचागत समझौते पर हस्ताक्षर के साथ शांति के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया गया था.

उन्होंने कहा, 'अंतिम समझौते पर हस्ताक्षर करने में अगर ज्यादा देरी हुई तो इससे शांति वार्ता की कवायद को झटका लग सकता है.' कुकी जनजातियों की संस्था कुकी इंपी मणिपुर (केआईएम) ने नगा बाहुल्य इलाकों में रैलियों को समर्थन किया. केआईएम ने एक बयान में कहा, 'ऐसे महत्वपूर्ण समय में जब मणिपुर के जनजातीय कुकियों को बहुसंख्यक मेइती समुदाय द्वारा कुचला जा रहा है. गुप्त रूप से सरकारी तंत्र इसे सहायता और बढ़ावा दे रहा है. कुकी इनपी मणिपुर पूरी तरह से यूएनसी की प्रस्तावित रैलियों का समर्थन करता है.

नगा जनजातियों के एक शक्तिशाली नागरिक निकाय नगा होहो ने मणिपुर के 10 नगा विधायकों को 21 अगस्त से प्रस्तावित विधानसभा सत्र में शामिल नहीं होने के लिए कहा है. उनका दावा है कि मणिपुर सरकार नगा समूहों के साथ शांति वार्ता के खिलाफ काम कर रही है. समुदाय के नेताओं के अनुसार, जारी जातीय हिंसा के मद्देनजर अधिकांश कुकी विधायकों की उनकी पार्टी से संबद्धता के बावजूद मणिपुर विधानसभा सत्र में भाग लेने की संभावना नहीं है.

मणिपुर के 60 सदस्यों वाले सदन में कुकी-जोमी के 10 विधायक हैं, जिनमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सात, कुकी पीपुल्स अलायंस के दो और एक निर्दलीय विधायक शामिल हैं. मई में एक अदालत के फैसले पर विरोध प्रदर्शन के बाद मेइती और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़की थी. इस फैसले में अदालत ने इंफाल घाटी में रहने वाले बहुसंख्यक मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग पर सरकार को विचार करने के लिए कहा था. अभी तक यह दर्जा कुकी -जोमी और नगा समुदाय को प्राप्त है.

पढ़ें: मणिपुर में नगा समुदाय की रैलियों से पहले सुरक्षा कड़ी की गई

राज्य में चल रहे इस जातीय संघर्ष में जब तक 160 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि हजारों लोग बेघर हुए हैं.

पीटीआई-भाषा

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