नई दिल्ली: मणिपुर सरकार ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि उसने जातीय हिंसा प्रभावित राज्य में ‘सभी स्रोतों’ से हथियार मिलने के मामले पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल की है. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि इस मुद्दे पर रिपोर्ट दाखिल की गयी है और यह केवल न्यायाधीशों के लिए है.
उन्होंने पीठ को मामले में एक और संक्षिप्त हलफनामे के बारे में बताया. मेहता ने पीठ को बताया कि हलफनामे में कहा गया है, 'यहां जिन भी मुद्दों पर बहस हो रही है, उन्हें पहले ही (शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त) समिति के संज्ञान में लाया जा चुका है' और वह उन पर विचार कर रही है. शीर्ष अदालत ने मणिपुर में जातीय हिंसा के पीड़ितों को दी जा रही राहत और उनके पुनर्वास पर नजर रखने के लिए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) गीता मित्तल की अध्यक्षता में न्यायाधीशों की समिति बनाई थी.
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने पीठ से कहा कि उन दो महिलाओं के शव अब तक उनके परिवारों को नहीं सौंपे गए हैं जिनकी मणिपुर में मई महीने में सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गयी थी. मेहता ने कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त समिति ने पहले ही इस बात का संज्ञान लिया है और अधिकारियों को निर्देश जारी कर चुकी है.
पीठ ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 25 सितंबर की तारीख तय की. न्यायालय ने छह सितंबर को मणिपुर सरकार और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को जातीय हिंसा प्रभावित राज्य में ‘सभी स्रोतों’ से हथियारों की बरामदगी पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था. पीठ का यह आदेश तब आया जब उसके समक्ष दलील दी गयी कि अवैध हथियारों के अलावा राज्य में थानों और सेना के डिपो से हथियारों और गोला-बारूद का बड़ा जखीरा लूटा गया है.