हमीरपुर: हिमाचल में आम की खेती में क्रांतिकारी बदलाव आ रहा है. कम जमीन पर अब आम की ज्यादा खेती करना संभव हो गया है. कम दूरी यानी सघन खेती की तकनीक को आम की खेती में उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय नेरी के विशेषज्ञों ने विकसित किया है. इस तकनीक को अपनाकर बागवान आम की पैदावार को 10 गुना बढ़ा सकेंगे. इस तकनीक से पैदा होने वाले फल का आकार और गुणवत्ता भी बेहतर होगी. नेरी कॉलेज हमीरपुर में आम की 10 नई किस्मों के ऊपर शोध कार्य में सफलता मिली है.
किसानों को मालामाल करेगें ये आम: हिमाचल प्रदेश के बागवान अब कम भूमि पर आम का अधिक उत्पादन करके अपनी आर्थिकी मजबूत कर सकेंगे. नेरी कॉलेज हमीरपुर में आम की 10 नई किस्मों के ऊपर शोध कार्य में सफलता मिली है. यहां कम ऊंचाई के पौधे तैयार करने के साथ ही कम जमीन में अधिक पैदावार वाले पौधों पर शोध चल रहा था. जिसमें नेरी कॉलेज (College of Horticulture and Forestry) के वैज्ञानिकों ने सफलता हासिल की है. संस्थान के बगीचों में महज 2 फीट की ऊंचाई के कई किस्मों के आम के पौधे फलों से लदे हुए हैं. इन पौधों की विशेषता है कि दो से ढाई फीट के होने पर ये पौधे फल देने लगते हैं और इनकी अधिकतम ऊंचाई 6 से 7 फीट तक होती है.
2017 में शुरू हुआ था आम की किस्में विकसित करने का शोध: राजकीय उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय नेरी में साल 2017 में आम की विभिन्न प्रजातियों पर सघन खेती का प्रयोग शुरू किया गया था. 5 साल के अंतराल में यह कार्य पूरा कर दिया गया है. साल 2017 में पूसा अरुणिमा, पूसा लालिमा, पूसा सूर्या, पूसा श्रेष्ठ, अंबिका, चौसा और अरुणिका जैसी आम की 10 किस्में लाकर नेरी कॉलेज ने आम की सघन खेती को लेकर शोध कार्य शुरू किया. शोध के दौरान कॉलेज में आम के बगीचे में विभिन्न प्रकार के शोध कार्य किए गए, जिसमें बहुत से शोध सफल रहे. इसके अलावा मल्लिका, डी -51 दशहरी और आम्रपाली प्रजाति पर पहले ही महाविद्यालय में शोध कार्य किया जा चुका है.
एक हेक्टेयर में 10 गुना अधिक पौधे: आमतौर पर एक हेक्टेयर में महज 80 से 90 आम के पौधे लगते थे, लेकिन अब 1100 से अधिक पौधे एक हेक्टेयर में लगाए जा सकेंगे. नई तकनीक से अब किसान 1 हेक्टेयर भूमि में सिर्फ ढाई से तीन मीटर की दूरी पर 1100 से ज्यादा पौधे लगा सकते हैं. सघन खेती की इस तकनीक को अपनाकर पैदावार को 5 से 10 गुणा बढ़ा सकते हैं. यानी कम जमीन पर अधिक उत्पादन से बागवान मालामाल हो सकते हैं.
महज 3 साल में फसल देंगे यह पौधे: नेरी कॉलेज द्वारा जो पौधे लगाए गए हैं वो महज 3 साल फल देना शुरू कर देंगे. इसका सफल ट्रायल विशेषज्ञों ने कर लिया है और इस पौधे की खास बात है इसकी ऊंचाई, महज 2 से ढाई फीट की ऊंचाई पर फल लगने के बाद छोटे बच्चे भी आसानी से फल तोड़ सकते हैं. नेरी कॉलेज के विशेषज्ञों के मुताबिक पौधे की हाइट कम होने से पौधे को सूरज की रोशनी अच्छी तरह से मिलेगी साथ ही कीटनाशकों का छिड़काव या अन्य काम आसानी से हो सकेंगे.
हमीरपुर में बेमिसाल आम: शोध के दौरान फल विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. विकास शर्मा ने बताया कि सघन खेती की नई टेक्निक से बहुत थोड़ी सी जमीन का इस्तेमाल कर बागवान और किसान अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं. उन्होंने बताया कि इस छोटे से आम के पौधों की अगर सही देखरेख की जाए तो आसानी से आम के उत्पादन में बढ़ोतरी कर सकते हैं. नेरी महाविद्यालय के डीन डॉ. सोमदेव शर्मा ने आम के इस शोध के दौरान इसमें प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर कार्य किया है. उन्होंने बताया कि 2017 में पौधे लगाने के बाद अब तीसरी फसल आम के पौधों में आई है और दस किस्मों में ट्रायल किया गया है जो कि पूरी तरह से सफल रहा है. ये सभी पेड़ लेट वैरायटी के हैं और इन पेड़ों से अगस्त महीने में आम तोड़े जाएंगे. जब देशभर के बाजारों से आम लगभग खत्म हो चुका होगा. डॉ. सोमदेव ने बताया कि महाविद्यालय की नर्सरी में आम के नए पौध को तैयार किया है और इसे अब किसानों के लिए उपलब्ध करवाया जा रहा है, ताकि उन्हें इसका लाभ मिल सके. अभी तक किसानों को सीमित मात्रा में ही नई वैराइटी के पौधे मिल रहे हैं जिसे बढ़ाने की आवश्यकता है.
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