कानपुर : यूपी में इन दिनों कानपुर जीका वायरस का हॉट स्पॉट बन चुका है. यहां रोज संक्रमण के नए-नए मामले सामने आ रहे हैं. जीका वायरस को लेकर चिंता बना हुआ है. आखिर यह वायरस कैसे अपनी गिरफ्त में लेता है? किस तरह के लक्षण शुरू में दिखाए देते हैं? कैसे इस बीमारी से लड़ा जाए?
यही जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम पहुंच गई जीका वायरस के संक्रमण से हाल ही में स्वस्थ हुए एक शख्स के घर. इस दौरान टीम ने कई बिंदुओं पर चर्चा की. यहां हम उनकी पहचान उजागर नहीं कर रहे हैं. चलिए जानते हैं जीका वायरस से स्वस्थ होने वाले शख्स की जुबानी पूरी कहानी...
जीका वायरस से जीतने वाले शख्स गोपाल (काल्पनिक नाम) ने बताया कि 30 अक्टूबर के पहले उन्हें बुखार, जुकाम और जोड़ों में दर्द था. वह दवाई ले रहे थे, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिल रही थी. डॉक्टर की सलाह पर उन्होंने जीका संक्रमण की जांच कराई. 30 अक्टूबर को जांच में पता चला कि वह जीका वायरस से संक्रमित हैं. यह सुनकर काफी धक्का लगा. एक पल तो लगा ये क्या हो गया? परिवार की चिंता सताने लगी. ऐसे में तय किया कि परिवार को नहीं बताएंगे कि वह जीका वायरस से संक्रमित हैं. इसके बाद डॉक्टरों से इस बारे में विचार विमर्श किया.
डॉक्टरों ने दवाएं लिखी और एक कमरे में क्ववॉरंटीन होने के लिए कहा. कमरे में मच्छरों से बचाव के लिए विशेष इंतजाम करने को कहा. साथ ही परिवार के सभी सदस्यों को खुद से दूर कर दिया. उनके इस तरह बीमार होने से घर वाले दहशत में थे. दरअसल, परिवार उन्हीं पर आश्रित है. ऐसे में सभी को डर लग रहा था कि आखिर कहीं कुछ हो न जाए.
इसके बाद स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम और मलेरिया विभाग की टीमें घर आईं और उन्होंने पूरे घर में जमा पानी की जांच की. मच्छरों को मारने के साथ ही पूरे घर और मोहल्ले में फागिंग कराई गई. टीमों ने परिवार को मच्छरों से बचाव का तरीका भी बताया. इस दौरान वह अकेले कमरे में क्ववारंटीन थे. डॉक्टरों के निर्देशानुसार दवाइयां ले रहे थे. दो-तीन दिन तक बुखार रहा. हडि्डयों में दर्द रहा. फिर बुखार धीरे-धीरे कम होने लगा. दस अक्टूबर को सीएम योगी आदित्यनाथ उनसे मिलने पहुंचे तब लगा कि वह इस संक्रमण से जीत जुके हैं. इसके लिए उन्होंने सीएम योगी का आभार भी जताया.
उन्होंने बताया कि सीएम के आने से पहले सीएमओ नेपाल सिंह उनके घर पर जांच रिपोर्ट लेकर पहुंचे थे. उन्होंने बताया था कि वह अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं और सामान्य जीवन जी सकते हैं. उन्होंने स्वास्थ्य विभाग, मलेरिया विभाग और नगर निगम का टीम का मुश्किल वक्त में सहयोग करने के लिए धन्यवाद दिया.
उन्होंने अपील की कि इस संक्रमण के बाद यह बात अच्छी तरह से सीख ली है कि घर के आसपास कहीं भी पानी न जमा होने दें. यह जीका वायरस से बचने का सबसे बड़ा तरीका है. जब मच्छर नहीं होंगे तो संक्रमण भी नहीं होगा. मच्छरदानी लगाकर ही सोएं. पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें. जीका वायरस का नाम सुनकर डरने की कोई जरूरत नहीं है, बल्कि पूरे आत्मविश्वास और धैर्य के साथ इस बीमारी से लड़ें. डॉक्टरों के निर्देशानुसार समय पर दवाइयां लें और तनाव न लें. आपका यह जज्बा ही आपको इस खतरनाक वायरस से जिता देगा.
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