लद्दाख: लद्दाख को लेकर नई मांगें उठने लगी हैं. सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने पीएम मोदी से अपील की है. उन्होंने लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने को कहा है. सोनम वांगचुक ने 13 मिनट के एक वीडियो को शेयर करते हुए लोगों से लद्दाख के 'पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील' क्षेत्र की रक्षा में मदद करने की अपील की. उन्होंने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि 2019 लोकसभा चुनाव और हिल काउंसिल चुनाव में यह मुद्दा बीजेपी के मेनिफेस्टो में शामिल था. बावजूद इसके बीजेपी ने अब कर कुछ नहीं किया. यही नहीं सोनम वांगचुक ने 74वें गणतंत्र दिवस से सांकेतिक अनशन का एलान भी किया है.
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ALL IS NOT WELL in Ladakh!
— Sonam Wangchuk (@Wangchuk66) January 21, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
In my latest video I appeal to @narendramodi ji to intervene & give safeguards to eco-fragile Ladakh.
To draw attention of Govt & the world I plan to sit on a 5 day #ClimateFast from 26 Jan at Khardungla pass at 18000ft -40 °Chttps://t.co/ECi3YlB9kU
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— Sonam Wangchuk (@Wangchuk66) January 21, 2023
In my latest video I appeal to @narendramodi ji to intervene & give safeguards to eco-fragile Ladakh.
To draw attention of Govt & the world I plan to sit on a 5 day #ClimateFast from 26 Jan at Khardungla pass at 18000ft -40 °Chttps://t.co/ECi3YlB9kU
सोनम वांगचुक ने बच्चों से भोजन और कपड़ों की बर्बादी से बचने की अपील की क्योंकि यह बदले में पर्यावरण को तकनीकी रूप से नुकसान पहुंचाता है. उन्होंने कहा, 'लद्दाख में सब कुछ ठीक नहीं है! अपने वीडियो में मैं @narendramodi जी से अपील करता हूं कि वे हस्तक्षेप करें और पर्यावरण-नाज़ुक लद्दाख को सुरक्षा प्रदान करें. सरकार और दुनिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए, मैं 26 जनवरी से 5 दिन क्लाइमेट फास्ट पर बैठने की योजना बना रहा हूं. खारदुंगला में 18000 फीट -40 डिग्री सेल्सियस पर पास, 'वांगचुक ने एएनआई से बात करते हुए यह भी व्यक्त किया कि वह चाहते हैं कि गणतंत्र दिवस पर उनका संदेश पीएम मोदी और लोगों तक पहुंचे, जिसके लिए वह खारदुंगला दर्रे पर पांच दिन के अनशन पर बैठेंगे. उन्होंने बताया कि मैं अपना संदेश देने के लिए खारदुंगला दर्रे पर माइनस 40 डिग्री के तापमान पर 5 दिन का लंबा अनशन (सांकेतिक अनशन) रखूंगा कि ये ग्लेशियर अब जीवित नहीं रहेंगे.
सोनम वांगचुक ने गंभीरता जताते हुए कहा कि अगर इसी तरह की लापरवाही बरती जाएगी और लद्दाख ने उद्योगों से सुरक्षा प्रदान करने से परहेज किया तो यहां के ग्लेशियर भी विलुप्त हो जाएंगे, इस प्रकार भारत और उसके पड़ोस में पानी की कमी के चलते कई समस्याएं पैदा हो जाएंगी. सोनम वांगचुक ने कहा कि अगर बच गए तो मिलेंगे नहीं तो अलविदा...
इसके साथ-साथ उन्होंने कहा कि यदि ठोस उपाय नहीं किए जाते हैं, तो उद्योग, पर्यटन और वाणिज्य लद्दाख में फलते-फूलते रहेंगे और जो इस जगह को पूरी तरह से समाप्त कर देंगे. कश्मीर विश्वविद्यालय और अन्य शोध संगठनों की रिसर्च से पता चला है कि लेह-लद्दाख में ग्लेशियर लगभग 2/2 तक समाप्त हो जाएंगे. कश्मीर विश्वविद्यालय ने रिसर्च में यह भी पाया है कि राजमार्गों और मानवीय गतिविधियों से घिरे ग्लेशियर तुलनात्मक रूप से तेजी से पिघल रहे हैं. "अकेले अमेरिका और यूरोप के चलते ग्लोबल वार्मिंग इस जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार नहीं है, स्थानीय प्रदूषण और उत्सर्जन इसके लिए भी जिम्मेदार हैं. लद्दाख जैसे क्षेत्रों में कम इंसानी गतिविधियां होनी चाहिए ताकि लोगों के लिए भी ग्लेशियर बचे रह सकें.