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250 किमी पैदल चलकर उत्तर बंगाल में राज्य सचिवालय पहुंचा शख्स, चेल नदी पर पुल बनाने की मांग - चेल नदी पर पुल बनाने की मांग

पश्चिम बंगाल के एक गांव से एक शख्स अपने गांव में मौजूद नदी पर पुल बनाने के लिए 250 किलोमीटर पैदल चलकर राज्य सचिवालय पहुंचा.

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Published : May 29, 2023, 9:46 PM IST

सिलीगुड़ी: जिस तरह से झारखंड के दशरथ मांझी ने पहाड़ को तोड़कर रास्ता बना दिया था, ठीक उसी तरह पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के एक गांव के नबीबुल इस्लाम ने दो गांवों को जोड़ने वाली चेल नदी पर पुल बनाने की मांग की है. यह मांग गांव वाले आज से नहीं कर रहे हैं कई सालों से कर रहे हैं लेकिन इस मांग को लेकर नबीबुल इस्लाम 250 किलोमीटर पैदल चलकर राज्य के सचिवालय पहुंच चुके हैं.

बाइक एम्बुलेंस दादा पद्मश्री करीमुल हक के समर्थन से उत्साहित, एक युवा मोहम्मद नूर नबीबुल इस्लाम राज्य सचिवालय उत्तरकन्या की उत्तर बंगाल शाखा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलने पहुंचे, यहां तक वह पैदल 250 किलोमीटर चलकर आए थे. उनका प्रयास चेल नदी पर पुल की मांग उठाना है. उनकी मांगों को मनवाने के नए तरीके ने पूरे प्रदेश में खलबली मचा दी है. नूर ने रविवार को उत्तरकन्या में मुख्यमंत्री कार्यालय के विशेष अधिकारी को अपना पत्र सौंपा.

बता दें कि चेल नदी जलपाईगुड़ी जिले में क्रांति और मालबाजार के बीच है. नदी पर पुल नहीं होने के कारण क्रांति प्रखंड के कई गांवों के निवासियों को मालबाजार पहुंचने के लिए जंगल के रास्ते जाना पड़ता है. जंगल से जाना काफी खतरनाक है. सबसे ज्यादा परेशानी गर्भवती महिलाओं, बुजुर्ग मरीजों और स्कूली छात्रों को होती है. इतना ही नहीं, बड़े स्कूलों, कॉलेजों और अस्पतालों के अलावा मालबाजार में एकमात्र फायर स्टेशन है. नतीजा यह होता है कि क्रांति में कोई हादसा हो जाता है तो दमकल को पहुंचने में बड़ी परेशानी होती है.

लेकिन कथित तौर पर, नूर और उनके कोडलकांटी गांव के निवासियों ने चेल नदी पर पुल बनाने की मांग को लेकर कई बार प्रशासन से संपर्क किया. एक के बाद एक सरकारी दफ्तर गए लेकिन कुछ काम नहीं आया. उसके बाद मंगलवार की सुबह नूर नबीबुल इस्लाम राष्ट्रीय ध्वज के साथ पुल की मांग करते हुए क्रांति से चल पड़े.

सबसे पहले वह मालबाजार गए, जहां उनकी मुलाकात पद्मश्री करीमुल हक से हुई. वह उसके साथ करीब दो किलोमीटर तक चले. वहां से वे रंगमती क्षेत्र गए, इसके बाद उन्होंने राज्य के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री बुलू चिक बरैक से मुलाकात करने पहुंचे. हालाँकि बरैक वहाँ नहीं थे, नूर एक पत्र लेकर उनके कार्यालय आए थे. वहां से वे बनेरहाट गए और केंद्रीय अल्पसंख्यक विकास राज्य मंत्री जॉन बारला से मिले और अपनी मांगें रखीं.

बाद में नूर कूचबिहार गए और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री निशीथ प्रमाणिक के घर गए. घर पर न होने के कारण वह एक पत्र लेकर उनके कार्यालय भी गए. वहां से नूर जलपाईगुड़ी पहुंचे. वहां बीजेपी सांसद जयंत रॉय से संपर्क किया गया लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. नूर इसके बाद जलपाईगुड़ी से उत्तरकन्या के लिए रवाना हो गए. नूर शनिवार रात सिलीगुड़ी के पास उत्तरकन्या पहुंचे. वह रात में उत्तरकन्या गए लेकिन किसी से नहीं मिल पाए क्योंकि उत्तरकन्या बंद था. इसलिए नूर सोमवार को उत्तरकन्या गए और अपना मांगों को सौंपा.

नूर ने ईटीवी भारत को बताया कि मुख्यमंत्री ही हमारी मांगों को पूरा कर सकती हैं. इसलिए मैं उनसे मिलने आया था. हालांकि, किसी ने हमारी मांग नहीं सुनी, इसलिए मैं विरोध में चला गया. यह मांग सिर्फ मेरी नहीं है. यह पूरे क्रांति के लोगों की दशकों से मांग है.

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बाइक एम्बुलेंस दादा पद्मश्री करीमुल हक के समर्थन से उत्साहित, एक युवा मोहम्मद नूर नबीबुल इस्लाम राज्य सचिवालय उत्तरकन्या की उत्तर बंगाल शाखा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलने पहुंचे, यहां तक वह पैदल 250 किलोमीटर चलकर आए थे. उनका प्रयास चेल नदी पर पुल की मांग उठाना है. उनकी मांगों को मनवाने के नए तरीके ने पूरे प्रदेश में खलबली मचा दी है. नूर ने रविवार को उत्तरकन्या में मुख्यमंत्री कार्यालय के विशेष अधिकारी को अपना पत्र सौंपा.

बता दें कि चेल नदी जलपाईगुड़ी जिले में क्रांति और मालबाजार के बीच है. नदी पर पुल नहीं होने के कारण क्रांति प्रखंड के कई गांवों के निवासियों को मालबाजार पहुंचने के लिए जंगल के रास्ते जाना पड़ता है. जंगल से जाना काफी खतरनाक है. सबसे ज्यादा परेशानी गर्भवती महिलाओं, बुजुर्ग मरीजों और स्कूली छात्रों को होती है. इतना ही नहीं, बड़े स्कूलों, कॉलेजों और अस्पतालों के अलावा मालबाजार में एकमात्र फायर स्टेशन है. नतीजा यह होता है कि क्रांति में कोई हादसा हो जाता है तो दमकल को पहुंचने में बड़ी परेशानी होती है.

लेकिन कथित तौर पर, नूर और उनके कोडलकांटी गांव के निवासियों ने चेल नदी पर पुल बनाने की मांग को लेकर कई बार प्रशासन से संपर्क किया. एक के बाद एक सरकारी दफ्तर गए लेकिन कुछ काम नहीं आया. उसके बाद मंगलवार की सुबह नूर नबीबुल इस्लाम राष्ट्रीय ध्वज के साथ पुल की मांग करते हुए क्रांति से चल पड़े.

सबसे पहले वह मालबाजार गए, जहां उनकी मुलाकात पद्मश्री करीमुल हक से हुई. वह उसके साथ करीब दो किलोमीटर तक चले. वहां से वे रंगमती क्षेत्र गए, इसके बाद उन्होंने राज्य के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री बुलू चिक बरैक से मुलाकात करने पहुंचे. हालाँकि बरैक वहाँ नहीं थे, नूर एक पत्र लेकर उनके कार्यालय आए थे. वहां से वे बनेरहाट गए और केंद्रीय अल्पसंख्यक विकास राज्य मंत्री जॉन बारला से मिले और अपनी मांगें रखीं.

बाद में नूर कूचबिहार गए और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री निशीथ प्रमाणिक के घर गए. घर पर न होने के कारण वह एक पत्र लेकर उनके कार्यालय भी गए. वहां से नूर जलपाईगुड़ी पहुंचे. वहां बीजेपी सांसद जयंत रॉय से संपर्क किया गया लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. नूर इसके बाद जलपाईगुड़ी से उत्तरकन्या के लिए रवाना हो गए. नूर शनिवार रात सिलीगुड़ी के पास उत्तरकन्या पहुंचे. वह रात में उत्तरकन्या गए लेकिन किसी से नहीं मिल पाए क्योंकि उत्तरकन्या बंद था. इसलिए नूर सोमवार को उत्तरकन्या गए और अपना मांगों को सौंपा.

नूर ने ईटीवी भारत को बताया कि मुख्यमंत्री ही हमारी मांगों को पूरा कर सकती हैं. इसलिए मैं उनसे मिलने आया था. हालांकि, किसी ने हमारी मांग नहीं सुनी, इसलिए मैं विरोध में चला गया. यह मांग सिर्फ मेरी नहीं है. यह पूरे क्रांति के लोगों की दशकों से मांग है.

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