अमरावती : आंध्र प्रदेश के तिरुपति में कोरोना वायरस से संक्रमित हुए एक व्यक्ति के साथ अजीबोगरीब घटना हुई है. दरअसल, तिरुपति के कोर्लागुंटा की रहने वाली लक्ष्मी देवी (62), उनके बेटे सुरेंद्र और बहू कोरोन संक्रमित हो गए थे. तबीयत बिगड़ने के बाद तीनों को 14 मई को अस्पताल में भर्ती कराया गया.
जानकारी के अनुसार, लक्ष्मी देवी को स्थानीय मैटरनिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जबकि दंपति को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. दंपति महंगे इलाज के कारण दो दिन बाद ही घर लौट आए, जबकि दोनों कोरोना से रिकवर नहीं हुए थे.
इस दौरान वे घर पर ही आइसोलेट थे. मां के पास फोन नहीं था, जिस कारण सुरेंद्र को मां की तबीयत की जानकारी नहीं मिली.
कोरोना से रिकवर होने के बाद सुरेंद्र जब 29 मई को कोरोना संक्रमित मां का हाल जाने अस्पताल पहुंचे तो वार्ड वालंटियर और क्षेत्रीय अधिकारी द्वारा उन्हें जानकारी दी गई कि उनकी मां का 19 मई को ही निधन हो गया था. लावारिस मनाकर शव को एक समाजसेवी संस्थान को अंतिम संस्कार के लिए सौंप दिया गया.
सुरेंद्र इसके बाद घर वापस लौट आए. रविवार को वह मां को श्रद्धांजलि देने के लिए मामंदूर वन क्षेत्र गए, जहां लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार किया जाता है. इस दौरान वहां समाजसेवी संस्था मुस्लिम जेएसी के सदस्य 16 लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार के लिए ले जा रहे थे.
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स्थानीय विधायक करुणाकर रेड्डी भी साथ थे. क्षेत्रीय अधिकारी ने सुरेंद्र से एक बार और लाशों की पहचान करने के लिए कहा. सुरेंद्र इस दौरान अपनी मां के शव को देखकर पूरी तरह टूट गए. विधायक करुणाकर रेड्डी और मुस्लिम जेएसी के सदस्यों ने उन्हें सांत्वना दी और उनकी मौजूदगी में अंतिम संस्कार किया.