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CBI के सामने पेश हुए ममता के मंत्री पार्थ, HC ने की टिप्पणी- उम्मीद है इस्तीफा देंगे - partha resign calcutta high court

कलकत्ता हाईकोर्ट ने प.बंगाल सरकार के मंत्री पार्थ चटर्जी पर कड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि न्याय के हित में चटर्जी मंत्री पद से इस्तीफा देंगे. आपको बता दें कि चटर्जी पर स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की नियुक्ति में घोटाले के आरोप हैं. कोर्ट ने उन्हें सीबीआई के सामने पेश होने का आदेश दिया था. वह आज शाम पूछताछ के लिए सीबीआई के सामने उपस्थित भी हुए. उनसे साढ़ें तीन घंटे तक पूछताछ की गई.

Partha chatterjee
पार्थ चटर्जी
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Published : May 18, 2022, 6:37 PM IST

Updated : May 18, 2022, 10:56 PM IST

कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी की एकल पीठ के उस आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसमें उन्हें स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के नियुक्ति घोटाले के संबंध में सीबीआई के सामने पेश होने का निर्देश दिया गया था. कोर्ट ने उन्हें आज शाम छह बजे तक सीबीआई के सामने पेश होने को कहा था. पार्थ आज शाम सीबीआई के सामने पेश भी हुए.

न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल पीठ ने कथित नियुक्तियों के समय राज्य के शिक्षा मंत्री रहे चटर्जी को बुधवार को शाम छह बजे से पहले यहां केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के कार्यालय में पेश होने का निर्देश दिया था. चटर्जी वर्तमान में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार में उद्योग, वाणिज्य और संसदीय मामलों के मंत्री हैं.

चटर्जी के वकील ने न्यायमूर्ति हरीश टंडन के नेतृत्व वाली खंडपीठ का रुख किया था और एकल पीठ के उस आदेश पर रोक लगाने का आग्रह किया जिसमें मंत्री को सीबीआई के सामने पेश होने का निर्देश दिया गया था.

खंडपीठ ने यह कहते हुए याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया कि चूंकि अपील की पुष्टि नहीं हुई है या अदालत की रजिस्ट्री में इसे दायर नहीं किया गया है, इसलिए वह आग्रह पर सुनवाई नहीं कर सकती. इससे पहले दिन में, उच्च न्यायालय की एक अन्य खंडपीठ ने एकल पीठ के उस आदेश को बरकरार रखा जिसमें सीबीआई को एसएससी की सिफारिशों पर पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा दी गई कथित अवैध नियुक्तियों की जांच करने का निर्देश दिया गया था.

खंडपीठ के आदेश के तुरंत बाद, न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय की एकल पीठ ने राज्य के मंत्री पार्थ चटर्जी को एसएससी नियुक्ति घोटाले के सिलसिले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के कार्यालय में पेश होने का निर्देश दिया. न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि न्याय के हित में चटर्जी मंत्री पद से इस्तीफा देंगे.

न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार और न्यायमूर्ति ए. के. मुखर्जी की खंडपीठ ने स्कूल सेवा आयोग द्वारा अनुशंसित शिक्षक एवं गैर शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती में अनियमितताओं को सार्वजनिक घोटाला करार दिया और कहा कि मामले में न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल पीठ द्वारा दिया गया सीबीआई जांच का आदेश गलत नहीं था. खंडपीठ ने कहा कि एकल पीठ के फैसले में हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है.

एकल पीठ ने राज्य के तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को सीबीआई के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया था और कहा था कि सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में नौवीं एवं दसवीं कक्षा के वास्ते शिक्षकों और ग्रुप सी तथा डी के कर्मचारियों के लिए 2016 के पैनल की भर्ती प्रक्रिया की देखरेख के लिए गठित पांच सदस्यीय समिति अवैध थी. इससे पहले, मंत्री को न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने 12 अप्रैल को निजाम पैलेस स्थित कार्यालय में सीबीआई के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया था, लेकिन उन्हें आदेश पर खंडपीठ से स्थगन मिल गया था.

एकल पीठ ने सात आदेश पारित किए थे जिनमें सीबीआई को शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियों में कथित अनियमितताओं की जांच करने का निर्देश दिया गया था. इन सभी आदेशों पर पहले खंडपीठ ने पूर्व कई अपील दायर होने के बाद रोक लगा दी थी. विभिन्न अपील पर फैसला सुनाते हुए खंडपीठ ने घोटाले से जुड़े तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए अदालत द्वारा गठित न्यायमूर्ति आर के बाग समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया.

कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी की एकल पीठ के उस आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसमें उन्हें स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के नियुक्ति घोटाले के संबंध में सीबीआई के सामने पेश होने का निर्देश दिया गया था. कोर्ट ने उन्हें आज शाम छह बजे तक सीबीआई के सामने पेश होने को कहा था. पार्थ आज शाम सीबीआई के सामने पेश भी हुए.

न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल पीठ ने कथित नियुक्तियों के समय राज्य के शिक्षा मंत्री रहे चटर्जी को बुधवार को शाम छह बजे से पहले यहां केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के कार्यालय में पेश होने का निर्देश दिया था. चटर्जी वर्तमान में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार में उद्योग, वाणिज्य और संसदीय मामलों के मंत्री हैं.

चटर्जी के वकील ने न्यायमूर्ति हरीश टंडन के नेतृत्व वाली खंडपीठ का रुख किया था और एकल पीठ के उस आदेश पर रोक लगाने का आग्रह किया जिसमें मंत्री को सीबीआई के सामने पेश होने का निर्देश दिया गया था.

खंडपीठ ने यह कहते हुए याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया कि चूंकि अपील की पुष्टि नहीं हुई है या अदालत की रजिस्ट्री में इसे दायर नहीं किया गया है, इसलिए वह आग्रह पर सुनवाई नहीं कर सकती. इससे पहले दिन में, उच्च न्यायालय की एक अन्य खंडपीठ ने एकल पीठ के उस आदेश को बरकरार रखा जिसमें सीबीआई को एसएससी की सिफारिशों पर पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा दी गई कथित अवैध नियुक्तियों की जांच करने का निर्देश दिया गया था.

खंडपीठ के आदेश के तुरंत बाद, न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय की एकल पीठ ने राज्य के मंत्री पार्थ चटर्जी को एसएससी नियुक्ति घोटाले के सिलसिले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के कार्यालय में पेश होने का निर्देश दिया. न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि न्याय के हित में चटर्जी मंत्री पद से इस्तीफा देंगे.

न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार और न्यायमूर्ति ए. के. मुखर्जी की खंडपीठ ने स्कूल सेवा आयोग द्वारा अनुशंसित शिक्षक एवं गैर शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती में अनियमितताओं को सार्वजनिक घोटाला करार दिया और कहा कि मामले में न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल पीठ द्वारा दिया गया सीबीआई जांच का आदेश गलत नहीं था. खंडपीठ ने कहा कि एकल पीठ के फैसले में हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है.

एकल पीठ ने राज्य के तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को सीबीआई के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया था और कहा था कि सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में नौवीं एवं दसवीं कक्षा के वास्ते शिक्षकों और ग्रुप सी तथा डी के कर्मचारियों के लिए 2016 के पैनल की भर्ती प्रक्रिया की देखरेख के लिए गठित पांच सदस्यीय समिति अवैध थी. इससे पहले, मंत्री को न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने 12 अप्रैल को निजाम पैलेस स्थित कार्यालय में सीबीआई के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया था, लेकिन उन्हें आदेश पर खंडपीठ से स्थगन मिल गया था.

एकल पीठ ने सात आदेश पारित किए थे जिनमें सीबीआई को शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियों में कथित अनियमितताओं की जांच करने का निर्देश दिया गया था. इन सभी आदेशों पर पहले खंडपीठ ने पूर्व कई अपील दायर होने के बाद रोक लगा दी थी. विभिन्न अपील पर फैसला सुनाते हुए खंडपीठ ने घोटाले से जुड़े तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए अदालत द्वारा गठित न्यायमूर्ति आर के बाग समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया.

Last Updated : May 18, 2022, 10:56 PM IST
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