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पश्चिम बंगाल : पांच मई को ममता की शपथ, लगातार तीसरी बार बनेंगी मुख्यमंत्री - WB CM mamata swearing in

ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पद की शपथ पांच मई को लेंगी. ममता लगातार तीसरी बार प्रदेश की सीएम बनेंगी. ममता ने आज पश्चिम बंगाल के राजभवन में राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मुलाकात कर इस्तीफा सौंपा. उन्होंने सरकार बनाने का दावा भी पेश किया.

पांच मई को शपथ लेंगी ममता बनर्जी
पांच मई को शपथ लेंगी ममता बनर्जी
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Published : May 3, 2021, 5:26 PM IST

Updated : May 3, 2021, 9:31 PM IST

कोलकाता : पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में मिली शानदार जीत के बाद तृणमूल कांग्रेस सरकार बनाने की तैयारी में है. इसी कड़ी में आज ममता बनर्जी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ को औपचारिक रूप से इस्तीफा सौंपा. उन्होंने सरकार बनाने का दावा भी पेश किया. इसके बाद प्रदेश में ममता बनर्जी के लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का रास्ता साफ हो गया.

ममता की शपथ के संबंध में वरिष्ठ टीएमसी नेता पार्थ चटर्जी ने बताया है कि ममता बनर्जी पांच मई को शपथ लेंगी. पार्थ चटर्जी ने बताया कि विधानसभा के कार्यवाहक अध्यक्ष विमान बंदोपाध्याय होंगे. उन्होंने बताया कि विमान छह मई को नव-निर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाएंगे.

समारोह में सीमित मेहमान
इसके अलावा राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ट्वीट कर लिखा कि ममता बनर्जी को तृणमूल कांग्रेस की तरफ से 17वीं पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए नेता चुना गया है. उन्होंने कहा कि ममता को पांच मई को पूर्वाह्न 10.45 बजे शपथ दिलाई गई. उन्होंने लिखा कि कोरोना महामारी के कारण समारोह में सीमित संख्या में मेहमानों की मौजूदगी रहेगी.

राज्यपाल से मिलीं ममता बनर्जी
राज्यपाल से मिलीं ममता बनर्जी

चुनाव में तृणमूल और भाजपा की सीटें
66 वर्षीय ममता बनर्जी की अगुवाई में तृणमूल कांग्रेस ने आठ चरणों में कराए गए विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल की. तृणमूल को 213 सीटें मिलीं. भाजपा का प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा, जहां पिछले चुनाव की तुलना में पार्टी ने जबरदस्त छलांग लगाई और 77 सीटों पर जीत हासिल की. 2016 के चुनाव में भाजपा को महज तीन सीटें मिली थीं. हालांकि, इस बार नंदीग्राम विधानसभा से ताल ठोक रहीं ममता बनर्जी खुद 1700 से अधिक मतों से चुनाव हार गईं. उन्हें उनके ही पूर्व सहयोगी और अब भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने कड़े मुकाबले के बाद पटखनी दी.

ममता की पृष्ठभूमि

ममता बनर्जी ने 1970 के दशक में कांग्रेस के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. वह राज्य महिला कांग्रेस की सचिव बनी थीं.

वर्ष 1984 में ममता बनर्जी ने जादवपुर संसदीय क्षेत्र से भाकपा नेता सोमनाथ चटर्जी को पराजित किया. ममता सबसे कम उम्र की सांसद के रूप में लोकसभा के लिए चुनी गईं.

ममता बनर्जी ने कांग्रेस से अलग होने के बाद जनवरी, 1998 में तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की. जब उन्हें दीदी के रूप में एक नई पहचान मिली.

2016 में भी हुई थी शानदार जीत
गौरतलब है कि ममता बनर्जी पिछले विधानसभा चुनाव (2016) में अपनी पार्टी को भी शानदार जीत दिलाने में सफल रहीं थीं और तृणमूल कांग्रेस की झोली में 211 सीट आईं थीं.

इससे पहले वर्ष 2011 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी ने ऐतिहासिक रूप से शानदार जीत दर्ज करते हुए राज्य में 34 साल से सत्ता पर काबिज वाम मोर्चा सरकार को उखाड़ फेंका. उनकी पार्टी को 184 सीट मिलीं, जबकि कम्युनिस्ट 60 सीटों पर ही सिमट गए. उस समय वाम मोर्चा सरकार विश्व में सर्वाधिक लंबे समय तक सत्ता में रहने वाली निर्वाचित सरकार थी.

बता दें कि ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस पार्टी के गठन के बाद पश्चिम बंगाल में 2001 में जब विधानसभा चुनाव में 60 सीटें जीतने में सफल रही थी. इस चुनाव में वाम मोर्चे को 192 सीटें मिलीं थीं.

294 सदस्यीय विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस ने 2006 के विधानसभा चुनाव में बुरी तरह पिछड़ी थी. 2001 के मुकाबले 2006 में तृणमूल कांग्रेस की ताकत आधी रह गई थी और टीएमसी को महज 30 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था. इस चुनाव में वाम मोर्चे को 219 सीटों पर जीत मिली थी.

कोलकाता : पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में मिली शानदार जीत के बाद तृणमूल कांग्रेस सरकार बनाने की तैयारी में है. इसी कड़ी में आज ममता बनर्जी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ को औपचारिक रूप से इस्तीफा सौंपा. उन्होंने सरकार बनाने का दावा भी पेश किया. इसके बाद प्रदेश में ममता बनर्जी के लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का रास्ता साफ हो गया.

ममता की शपथ के संबंध में वरिष्ठ टीएमसी नेता पार्थ चटर्जी ने बताया है कि ममता बनर्जी पांच मई को शपथ लेंगी. पार्थ चटर्जी ने बताया कि विधानसभा के कार्यवाहक अध्यक्ष विमान बंदोपाध्याय होंगे. उन्होंने बताया कि विमान छह मई को नव-निर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाएंगे.

समारोह में सीमित मेहमान
इसके अलावा राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ट्वीट कर लिखा कि ममता बनर्जी को तृणमूल कांग्रेस की तरफ से 17वीं पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए नेता चुना गया है. उन्होंने कहा कि ममता को पांच मई को पूर्वाह्न 10.45 बजे शपथ दिलाई गई. उन्होंने लिखा कि कोरोना महामारी के कारण समारोह में सीमित संख्या में मेहमानों की मौजूदगी रहेगी.

राज्यपाल से मिलीं ममता बनर्जी
राज्यपाल से मिलीं ममता बनर्जी

चुनाव में तृणमूल और भाजपा की सीटें
66 वर्षीय ममता बनर्जी की अगुवाई में तृणमूल कांग्रेस ने आठ चरणों में कराए गए विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल की. तृणमूल को 213 सीटें मिलीं. भाजपा का प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा, जहां पिछले चुनाव की तुलना में पार्टी ने जबरदस्त छलांग लगाई और 77 सीटों पर जीत हासिल की. 2016 के चुनाव में भाजपा को महज तीन सीटें मिली थीं. हालांकि, इस बार नंदीग्राम विधानसभा से ताल ठोक रहीं ममता बनर्जी खुद 1700 से अधिक मतों से चुनाव हार गईं. उन्हें उनके ही पूर्व सहयोगी और अब भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने कड़े मुकाबले के बाद पटखनी दी.

ममता की पृष्ठभूमि

ममता बनर्जी ने 1970 के दशक में कांग्रेस के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. वह राज्य महिला कांग्रेस की सचिव बनी थीं.

वर्ष 1984 में ममता बनर्जी ने जादवपुर संसदीय क्षेत्र से भाकपा नेता सोमनाथ चटर्जी को पराजित किया. ममता सबसे कम उम्र की सांसद के रूप में लोकसभा के लिए चुनी गईं.

ममता बनर्जी ने कांग्रेस से अलग होने के बाद जनवरी, 1998 में तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की. जब उन्हें दीदी के रूप में एक नई पहचान मिली.

2016 में भी हुई थी शानदार जीत
गौरतलब है कि ममता बनर्जी पिछले विधानसभा चुनाव (2016) में अपनी पार्टी को भी शानदार जीत दिलाने में सफल रहीं थीं और तृणमूल कांग्रेस की झोली में 211 सीट आईं थीं.

इससे पहले वर्ष 2011 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी ने ऐतिहासिक रूप से शानदार जीत दर्ज करते हुए राज्य में 34 साल से सत्ता पर काबिज वाम मोर्चा सरकार को उखाड़ फेंका. उनकी पार्टी को 184 सीट मिलीं, जबकि कम्युनिस्ट 60 सीटों पर ही सिमट गए. उस समय वाम मोर्चा सरकार विश्व में सर्वाधिक लंबे समय तक सत्ता में रहने वाली निर्वाचित सरकार थी.

बता दें कि ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस पार्टी के गठन के बाद पश्चिम बंगाल में 2001 में जब विधानसभा चुनाव में 60 सीटें जीतने में सफल रही थी. इस चुनाव में वाम मोर्चे को 192 सीटें मिलीं थीं.

294 सदस्यीय विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस ने 2006 के विधानसभा चुनाव में बुरी तरह पिछड़ी थी. 2001 के मुकाबले 2006 में तृणमूल कांग्रेस की ताकत आधी रह गई थी और टीएमसी को महज 30 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था. इस चुनाव में वाम मोर्चे को 219 सीटों पर जीत मिली थी.

Last Updated : May 3, 2021, 9:31 PM IST
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