नई दिल्ली : कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2019 के शुरुआती दौर से ही तमाम पार्टी के नेताओं और मुख्यमंत्रियों को एक साथ आकर काम करने का आह्वान कर रहे हैं. मगर प्रधानमंत्री की बैठक हो या फिर कोरोना से जुड़े कोई अन्य कार्यक्रम राज्य और केंद्र के बीच की लड़ाई गाहे-बगाहे दिखाई दे ही देती है.
ऐसा ही कुछ नजारा बुधवार को भी प्रधानमंत्री की बैठक में भी नजर आया, जहां दो मुख्यमंत्री इस बैठक से गायब रहे. बैठक में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की बजाय, वहां के गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू शामिल हुए, जबकि पश्चिम बंगाल का कोई भी प्रतिनिधि नहीं जुड़ा. हालांकि कोरोना पर अब कुछ भी बोलने पर विपक्षी पार्टियां फूंक-फूंक कर कदम रख रही हैं, क्योंकि कहीं न कहीं यह सीधे जनता से जुड़ा विषय है. पहले जिन पार्टियों ने इसके खिलाफ कुछ कहा तो उन्हें जनता का आक्रोश भी सहना पड़ा.
पार्टियों को दिख रही राजनीति
यही वजह है कि दबी जुबान में कुछ राजनीतिक पार्टियां प्रधानमंत्री की इस बैठक को और कोरोना वायरस को भी राजनीतिक स्टंट बता रही हैं. समाजवादी पार्टी के एक नेता ने फोन पर अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर ईटीवी भारत से कहा कि ऐसे समय में प्रधानमंत्री की यह बैठक चिंता कम और राजनीति ज्यादा नजर आ रही है, क्योंकि कई राज्यों में चुनाव चल रहे हैं और प्रधानमंत्री ने जिन राज्यों का नाम लिया है, ज्यादातर वह गैर-भाजपा शासित राज्य हैं.
वैक्सीन की कमी का रोना
जाहिर है कि पश्चिम बंगाल चुनाव में प्रधानमंत्री और पूरी की पूरी भाजपा यह जताना चाहती है कि टीएमसी सरकार राज्य को नियंत्रित करने में असफल हो रही है. वहीं, दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस के नेता बार-बार अपनी चुनावी जनसभाओं में केंद्र सरकार पर कोरोना वैक्सीन भेजने में भेदभाव के भी आरोप लगा रहे हैं. मगर इन तमाम आरोपों के बावजूद सच्चाई यह है कि बंगाल के 71 जिलों में कोरोना मामलों में 110 फीसदी से भी ज्यादा बढ़ोतरी हुई है.
पंजाब ने बताई वैक्सीन की कमी
सूत्रों की मानें तो पंजाब के मुख्यमंत्री ने भी बैठक में राज्य में कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति में कमी का मुद्दा उठाया. वही, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने राज्य में बढ़ते हुए कोरोना को लेकर चिंता जताते हुए लॉकडाउन और कर्फ्यू जैसे हालात पर भी प्रधानमंत्री की.
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भले ही ये नेता कोरोना महामारी से जुड़ इन मामलों को राजनीतिक रंग देने में जुड़े हैं, लेकिन सच्चाई यह भी है कि जिस तरह से प्रधानमंत्री की इस बैठक में स्वास्थ्य मंत्रालय ने मुख्यमंत्रियों को चेताया है कि यदि कोरोना वायरस ग्रामीण इलाकों में फैलता है तो इस पर नियंत्रण करना काफी मुश्किल होगा.