नई दिल्ली : तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा ने 'कैश फॉर क्वेरी' भ्रष्टाचार मामले में पिछले हफ्ते लोकसभा से अपने निष्कासन के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. लोकसभा की आचार समिति द्वारा कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के साथ अपने संसदीय पोर्टल की लॉगिन क्रेडेंशियल साझा करके राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने का दोषी पाए जाने के बाद मोइत्रा को संसद से बाहर कर दिया गया था.
मोइत्रा पर कथित तौर पर एक प्रतिद्वंद्वी कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के इशारे पर अडाणी समूह की कंपनियों के संबंध में संसद में कई सवाल उठाने का आरोप लगाया गया है. 8 दिसंबर को लोकसभा ने आचार समिति द्वारा मोइत्रा को सांसद के रूप में अयोग्य ठहराने की सिफारिश के मद्देनजर उन्हें संसद से निष्कासित करने का प्रस्ताव पारित किया.
समिति ने उनके निष्कासन की सिफारिश हीरानंदानी के हलफनामे के आधार पर की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने अडाणी समूह पर निशाना साधने वाले सवाल पूछने के लिए रिश्वत ली थी.
अपने निष्कासन पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मोइत्रा ने इस कार्रवाई को 'कंगारू अदालत' द्वारा फांसी दिए जाने के समान बताया. उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष को झुकने के लिए मजबूर करने के लिए सरकार द्वारा संसदीय पैनल को हथियार बनाया जा रहा है.
महुआ ने संवाददाताओं से कहा था कि उन्हें ऐसी आचार संहिता का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया है जो मौजूद नहीं है और उन्हें दिए गए नकदी या उपहार का कोई सबूत नहीं है.