महोबा: उत्तर प्रदेश के महोबा में पुलिस का अमानवीय चेहरा सामने आया है. कोतवाली में पुलिस ने एक दलित युवक को ऐसी थर्ड डिग्री दी कि जिसने भी सुना उसकी रूह कांप गई. युवक भी लघु शंका तक के लिए तरस गया और उसकी जान पर बन आई है. युवक को चोरी के आरोप में हिरासत में लिया गया था. परिवार वालों का आरोप है कि जुर्म स्वीकार कराने के लिए कोतवाली पुलिस ने युवक के प्राइवेट पार्ट (गुप्तांग) में ईट बांधकर थर्ड डिग्री दी.
इस मामले में न्यायालय के आदेश पर युवक को इलाज के लिए भेजा गया है. जहां तीन डॉक्टरों के पैनल से उसका मेडिकल कराया गया और हालत गंभीर देख उसे झांसी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया. मेडिकल रिपोर्ट सीजेएम कोर्ट में भेजी गई है. पीड़ित परिवार ने सीएम योगी सहित मानावधिकार आयोग और आला अधिकारियों से आरोपी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करने की मांग के साथ न्याय की गुहार लगाई है.
यूपी की मित्र पुलिस का तालिबानी चेहरा महोबा में देखने को मिला है, जिसका संज्ञान न्यायालय खुद लिया है. कोर्ट ने तीन डॉक्टरों के पैनल से पीड़ित का मेडिकल कराने के आदेश दिए तो पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया. कचहरी और अधिकारियों के चक्कर लगा रही पीड़ित की बहन सरस्वती अपने 20 वर्षीय भाई राजेन्द्र अहिरवार के साथ पुलिस की हैवानियत और थर्ड डिग्री से बिगड़ी हालत को लेकर न्याय की गुहार लगा रही है.
पीड़ित की बहन ने बताया कि 14 मई को उसके भाई को रात के समय शहर कोतवाली पुलिस उठाकर ले गई थी. उसे 5 दिन तक थाने में बैठाए रखा गया. आरोप है कि थाने के अंदर उसके भाई के प्राइवेट पार्ट में ईंट बांधकर उसे बेरहमी से मारा पीटा गया है. जिससे वह चलने फिरने में भी असमर्थ हो गया. कोतवाली पुलिस ने उसे चोरी के मामले में पकड़ा था और 5 दिन बाद उसे इसी हालत में जेल भेज दिया गया.
पीड़ित की बहन के अनुसार उसके भाई को पुलिस वालों ने इस कदर मारा है कि दो दिन तक वह लघुशंका तक नहीं कर पाया और उसकी जान पर बन आई है. जेल में उसकी तबीयत बिगड़ी और फिर न्यायालय के समक्ष प्रार्थना पत्र देकर पुलिस हिरासत में उसके साथ किए गए अमानवीय व्यवहार के बारे में लिखित शिकायत की गई. इस पर न्यायालय मामले का संज्ञान लिया और जेलर को तीन डॉक्टरों के पैनल से मेडिकल परीक्षण कराने के आदेश दिए.
इस मामले में शहर कोतवाली में तैनात पुलिसकर्मियों पर गंभीर आरोप लग रहे हैं. पीड़ित की बहन ने खुद के साथ भी कोतवाली में अभद्रता करने का आरोप पुलिसकर्मियों पर लगाया है. पीड़ित युवक की मां का कहना है कि उसका बेटा बेकसूर है. उस पर चोरी का आरोप गलत लगाया गया है. पुलिस ने जबरन उसके बेटे को कोतवाली में ले जाकर पांच दिन तक रखा और उसके साथ मारपीट की.
पीड़ित के वकील महेश प्रजापति ने बताया कि 15 मई को पीड़ित के परिवार ने बेवजह पुलिस द्वारा युवक को उठाए जाने की बात बताई थी. जिस पर उसने न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया था. बताया था कि 24 घंटे से अधिक समय होने के बाद भी उसे पुलिस कस्टडी में रखा गया है. बेरहमी से मारपीट कर जेल भेजने की कार्रवाई की गई है. बड़े ताज्जुब की बात है कि पुलिस द्वारा जो डॉकटरी परीक्षण जेल भेजने के पहले कराया गया उसमें "नो इंजरी" लिखा हुआ था. लेकिन, पीड़ित की हालत यह बता रही थी कि उसके साथ अमान्य मारपीट हुई है, जिससे वह चलने फिरने में भी असक्षम था. इसके बाद न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेते हुए तीन मेडिकल कराया है.
जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. पवन अग्रवाल का कहना है कि न्यायालय के आदेश पर तीन डॉक्टरों का पैनल गठित कर पीड़ित का मेडिकल परिक्षण कराया गया है. उसके गुप्तांग में समस्या हो गई थी, जिसके इलाज के लिए यहां कोई डॉक्टर नहीं है. इसलिए उसे झांसी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया है. इसके साथ ही मेडिकल की रिपोर्ट न्यायालय भेज दी गई है.
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