हैदराबाद : हिन्दू पंचाग के अनुसार प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को 'महेश नवमी' का पर्व मनाया जाता है. मूलरूप से यह पर्व माहेश्वरी समाज के लोग ही बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. इस दिन माहेश्वरी समाज के लोग भगवान शिव एवं पार्वती जी की विधिवत पूजा अर्चना करते हैं.
ज्योतिषाचार्य डॉ. अमिताभ गौड़ ने बताया कि इस दिन भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है तथा उन्हें गंगा जल, पुष्प तथा बेलपत्र आदि अर्पित किए जाते हैं. इस दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने एवं डमरू बजाने की भी परंपरा है.
ये कथा है प्रचलित
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कई पौराणिक कथाएं महेश नवमी के पर्व से जुड़ी हुई हैं. एक मान्यता के अनुसार माहेश्वरी समाज के पूर्वेज क्षत्रिय वंश के थे, एक दिन शिकार करने के दौरान वह ऋषियों के श्राप से ग्रसित हो गए थे, तब इसी दिन भगवान शिव ने उन्हें श्राप से मुक्त कराया था और उनके पूर्वजों की रक्षा की थी एवं उनको अहिंसा के मार्ग पर अग्रसर होने को प्रेरित किया था.
फलस्वरूप माहेश्वरी समाज के पूर्वजों ने क्षत्रिय कर्म छोड़कर वैश्य समाज को अपना लिया, और तभी से माहेश्वरी समाज व्यापारिक समुदाय के रूप में पहचाना जाता है. इसलिये इस दिन को माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति का दिन भी मानते हैं. इस वर्ष महेश नवमी 18 जून 2021, रात 8 बजकर 35 मिनट से शुरू होकर 19 जून शाम 6 बजकर 45 मिनट तक रहेगी.
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