मुंबई : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पांच जिलों के 70 जिला परिषदों और 130 पंचायतों में ओबीसी समुदाय का राजनीतिक आरक्षण रद्द कर दिया है. इसलिए चुनाव आयोग इन जिलों में चुनाव कराने की योजना बना रहा है. वहीं इस निर्णय के बाद से महाराष्ट्र की राजनीति में उथल-पुथल की स्थिति है. इसलिए राजनीतिक दल इस वोट बैंक को अपनी ओर मोड़ने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने 2021 की जनगणना में ओबीसी की स्वतंत्र जनगणना कराने का फैसला किया है. बताया जाता है कि पिछले कुछ सालों में ओबीसी मतदाता बढ़ रहे हैं. वहीं मराठा समुदाय को ओबीसी में शामिल करने की मांग को लेकर भी राजनीतिक ध्रुवीकरण हो रहा है. आगामी चुनावों में सत्ता में कौन आएगा यह तय करने में भी यह ध्रुवीकरण अहम होगा.
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मौजूदा राजनीति में सत्ता की चाबियां मराठा समुदाय के साथ-साथ 27 फीसद ओबीसी में केंद्रित होती दिख रही हैं.आंकड़े के मुताबिक यदि किसी राजनीतिक दल को व्यापक ओबीसी समुदाय का समर्थन प्राप्त होता है तो उसे सत्ता प्राप्त करने में कोई दिक्कत नहीं होगी. फिलहाल होने वाले इन चुनावों में नामांकन 29 जून से 5 जुलाई, 2021 तक स्वीकार किए जाएंगे. वहीं नामांकन पत्रों की जांच 6 जुलाई को होगी. इसके अलावा रिटर्निंग अधिकारी के निर्णय के खिलाफ 9 जुलाई तक जिला न्यायाधीश के पास अपील दायर की जा सकेगी.
जहां पर कोई अपील नहीं है वहां 12 जुलाई तक और जहां अपील है वहां 14 जुलाई तक उम्मीदवार के आवेदन वापस लिए जा सकते हैं. वहीं मतदान 19 जुलाई को सुबह 07.30 बजे से शाम 05.30 बजे तक होगा.चुनाव आयोग के आयुक्त यूपीएस मदन ने कहा कि मतों की गिनती 20 जुलाई को होगी. इसीक्रम में धुले में 15 जिला परिषद सीटों, नागपुर में 16, अकोला में 14, वाशिम में 14 और नंदुरबार जिले की 11 सीटों पर चुनाव होंगे. वहीं धुले में 30, नागपुर में 31, अकोला में 28, वाशिम में 27 और नंदुरबार में 14 समिति के लिए चुनाव होंगे.