सतारा (महाराष्ट्र): जिलाधिकारी के आदेश से हैदराबाद के निजाम की महाबलेश्वर स्थित संपत्ति को सील कर दिया गया है. यह कार्रवाई लीज पर लिए गए 15 एकड़ 15 गुंथा प्लॉट और उस पर बने आलीशान वुडलॉन बंगले पर की गई है. तहसीलदार सुषमा चौधरी-पाटील के नेतृत्व में मुख्य बंगले और आसपास के भवनों को बड़े पैमाने पर कब्जे में ले लिया गया. आज के बाजार भाव के हिसाब से इस संपत्ति की कीमत करीब 250 करोड़ रुपये है.
स्टाफ क्वार्टर में रहती थीं पूर्व मेयर: पूर्व मेयर स्वप्नाली शिंदे और उनके पति पूर्व पार्षद कुमार शिंदे कई सालों से मुख्य बंगले से सटे स्टाफ क्वार्टर में रह रहे हैं. शनिवार सुबह वुडलॉन बंगले में दाखिल हुई महाबलेश्वर तहसीलदार सुषमा चौधरी ने सरकारी कार्रवाई की जानकारी दी और शिंदे दंपती को सारी सामग्री निकालकर बंगला छोड़ने को कहा. आदेश के मुताबिक उन्होंने शनिवार शाम तक बंगला खाली कर दिया.
फिर मुख्य बंगले के सभी कमरों सहित निजाम के स्टाफ क्वार्टरों को तहसीलदारों की मौजूदगी में दोनों गेटों को सील कर दिया गया. इस क्षेत्र में संपत्ति पर कब्जा करने आई भीड़ के कारण 1 दिसंबर को तनाव की स्थिति पैदा हो गई थी. संपत्ति पर कब्जे को लेकर दोनों गुटों में पहले भी कई बार झगड़ा हो चुका था. इस मामले को ध्यान में रखते हुए सतारा के कलेक्टर रुचेश जयवंशी डी. 2 दिसंबर को महाबलेश्वर की तहसीलदार सुषमा चौधरी को वुडलॉन संपत्ति को जब्त करने का आदेश दिया गया था.
हालांकि, शनिवार को समझौते को मंजूरी दे दी गई. उसके बाद संपत्ति को सील करने की कार्रवाई की गई.अंग्रेजों ने यह जमीन पारसी वकीलों को लीज पर दे दी थी. 1952 में आजादी के बाद यह प्लॉट हैदराबाद के हिज हाइनेस नवाब मीरसब उस्मान अली खान बहादुर नवाब को दे दिया गया. नवाब पर 59 लाख 47 हजार रुपये आयकर बकाया था. इस आयकर वसूली के लिए कर वसूली अधिकारी कोल्हापुर के पत्र के अनुसार आय कार्ड पर बकाया दर्ज किया गया था.
जब तक यह वसूली नहीं की जाती, तब तक संपत्ति को बेचने, गिरवी रखने और किसी भी तरह से व्यवहार करने पर रोक लगा दी गई थी. 2016 से संपत्ति विवाद नवाब मीर बरकत अली खान बहादुर को हैदराबाद के नवाब के उत्तराधिकारी के रूप में नामित किया गया था. वर्ष 2003 में जिलाधिकारी के आदेशानुसार सभी पट्टाधारियों के नाम को छोड़कर यह संपत्ति सरकार के पास जमा करायी गयी.
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हालांकि, जिला कलेक्टर द्वारा दिए गए आदेश को वापस ले लिया गया और वर्ष 2005 में स्थिति बहाल कर दी गई. 2016 में, संपत्ति का हस्तांतरण हुआ और संपत्ति निदेशक हर्बल होटल प्रा. लिमिटेड दिलीप ठक्कर का नाम आया. तब से यह संपत्ति ठक्कर और नवाब के बीच विवाद में उलझी हुई थी. साथ ही संपत्ति हड़पने का भी बार-बार प्रयास किया गया. आखिरकार शनिवार को कलेक्टर के आदेश से हैदराबाद के निजाम की इस संपत्ति पर मुहर लगा दी गई है.