छत्रपति संभाजीनगर : महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में बाल गृह के नाम पर बच्चों को बेचने वाले संगठन का पुलिस ने भंडाफोड़ किया है. इस संबंध में पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. जवाहर नगर थाने में बच्चे को बेचने वाली मां, बच्चे के मामा अमोल मछिंद्र वाहुल, अनाथालय के संचालक दिलीप श्रीहरि राउत और उसकी पत्नी सविता के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. वहीं दिलीप राउत और सविता दोनों को हिरासत में लिया गया है. इसी कड़ी में पुलिस बच्चे की मां और मामा से पूछताछ कर रही है.
बताया जाता है कि दामिनी दस्ते की टीम को सूचना मिली कि एक महिला के द्वारा दिए गए बच्चे को एक कारोबारी को पांच लाख रुपये में बेचा जा रहा है. इसी आधार पर पुलिस ने कार्रवाई की. लेकिन सवाल ये भी उठ रहे हैं कि आखिर महिला ने जन्म देने के बाद सामाजिक संस्था को यह बच्चा क्यों दिया. मामले में महिला बाल कल्याण समिति ने बच्चे को भारतीय समाज केंद्र में रखने का फैसला किया है और आगे की जांच जवाहर नगर पुलिस के द्वारा की जा रही है.
बता दें कि यह मामला शिवशंकर कॉलोनी स्थित जीजामाता बालक आश्रम में सामने आया है. इस बारे में महिला शिकायत निवारण केंद्र को सूचना मिली थी कि एक अनाथालय में एक बच्चे को बेचा जा रहा है. इस पर महिला शिकायत निवारण व पुलिस की टीम ने अनाथालय में पहुंचकर निरीक्षण किया. इस दौरान वहां एक कमरे में एक बच्चा सोता हुआ मिला. वहीं बाल गृह के संचालक दिलीप की पत्नी सविता बच्चे के पास बैठी हुई थी.
वहीं टीम ने जब पूछताछ की तो पैठन तालुका की महिला बबरूल ने दावा किया कि उसने और उसके भाई ने 14 जून को बच्चे को गोद लिया था. लेकिन उसके पास इस बात का कोई सबूत नहीं था कि ढाई महीने का बच्चा किसका है. दूसरी तरफ शहर के व्यवसायी ने कहा कि वह और उसकी पत्नी बच्चे को गोद लेने के लिए यहां पर आए थे उन्होंने पुलिस को बताया कि वह इसके लिए पांच लाख रुपये दे रहे हैं. शिवशंकर कॉलोनी स्थिति जीजामता बालक आश्रम अनाधिकृत है. दूसरी सरकार तरफ सरकार की ओर से किसी भी बच्चे को गोद लेने के बारे में नियम जारी किए गए हैं. इसमें ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने के बाद संबंधित माता-पिता से पूछताछ के बाद गोद लेने की प्रक्रिया शुरू होती है. लेकिन उसके लिए पैसे का आदान-प्रदान नहीं किया जाता है. इस वजह से इस सामाजिक संगठन के द्वारा की जा रही कार्रवाई अनधिकृत है. इस पूरे घटनाक्रम के बाद महिला शिकायत निवारण केंद्र की दो महिला अधिकारी पूरे दिन बच्चे की देखभाल करती रहीं, वहीं शाम को बाल समिति के आदेश पर बच्चे को भारतीय समाज सेवा केंद्र को सौंप दिया गया.
पुलिस का कहना है कि वह इन बिंदुओं पर भी जांच कर रही है कि व्यवसायी को कैसे पता चला कि बच्चे को बेचा जा रहा है. क्या इस संस्था में इस तरह का काम पहले भी होता रहा है. पुलिस ने कहा कि जांच के बाद जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके बाद उचित कार्रवाई की जाएगी.
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