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महाराष्ट्र की एनजीओ ने स्वर्गीय बिपिन रावत के गांव को लिया गोद

महाराष्ट्र की गैर सरकारी संगठन डॉ हरिवंशराय बच्चन प्रबोधन प्रतिष्ठान ने देश के पहले सीडीएस स्वर्गीय बिपिन रावत के गांव को गोद लिया है. इस एनजीओ द्वारा यहां पर जनरल रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत के नाम से स्कूल और अस्पताल बनाया जाएगा.

Bipin Rawat ancestral village Saina
एचबीपीपी ने सैंण को गोद लिया
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Published : Apr 17, 2022, 9:17 PM IST

कोटद्वार: महाराष्ट्र लातूर की गैर सरकारी संगठन डॉ हरिवंशराय बच्चन प्रबोधन प्रतिष्ठान (Dr HarivanshRai Bachchan Prabodhan Pratishthan) ने देश के पहले सीडीएस स्वर्गीय बिपिन रावत के पैतृक गांव बिरमोली को गोद लिया है. बिरमोली के साथ ही एचबीपीपी ने बिरमोली ग्राम पंचायत के अंतर्गत सैंण और मथारा राजस्व गांव को भी एनजीओ ने गोद लिया है. ये दोनों गांव भी बिरमोली ग्राम सभा के अंतर्गत आते हैं.

संस्था के अधिकारियों ने बताया की स्व. सीडीएस बिपिन रावत (CDS Late Bipin Rawat) के गांव सैंण को राष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना संस्था का संकल्प है. कार्यक्रम के प्रथम चरण में स्वर्गीय सीडीएस बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत को मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई. इसके बाद स्कूली बच्चों को साइकिल और टैब आदि वितरित किए गए.

एचबीपीपी ने बिरमोली को गोद लिया

इस दौरान डॉ. हरिवंशराय बच्चन प्रबोधन प्रतिष्ठान की टीम ने सीडीएस के गांव पहुंचकर पौड़ी प्रशासन, गांव के प्रधान और अन्य जन प्रतिनिधियों मुलाकात की. उन्होंने बताया कि एनजीओ ग्राम सभा बिरमोली में विभिन्न विकास कार्य किए जाएंगे, जिसमें जनरल बिपिन रावत अस्पताल, लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत इंटर कॉलेज, श्रीमती मधुलिका रावत बालिका सैनिक स्कूल का निर्माण समेत अन्य विकास कार्य भी शामिल हैं.

दरअसल, कई साल पहले जनरल बिपिन रावत ने एक सपना देखा था, जो अब तक अधूरा है. उत्तराखंड के सैंण गांव में उनका एक छोटा सा घर, है जो कई सालों से बंद था. उनका सपना था कि वो उन बंद घरों को खोलें और लोगों को वापस लेकर आएं, जो लोग इस गांव से दूर चले गए हैं. जनरल रावत का मानना था कि उनलोगों को उत्तराखंड की खूबसूरत धरती पर आने की जरूरत है, ताकि वो एक अच्छी हवा के साथ अपना जीवन बिता सकें.

रिवर्स माइग्रेशन चाहते थे जनरल रावत- जनरल रावत को उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों से पलायन की हमेशा चिंता रही. इसपर उन्होंने चिंता जताते हुए पलायन के कारण उत्तराखंड के खाली होते सीमावर्ती गांवों में ढांचागत सुविधाओं के विकास की बात कही थी. उन्होंने उम्मीद भी जताई थी कि ऐसा होने के बाद लोग निश्चित तौर पर अपने गांवों को लौटेंगे. उनका मानना था कि चीन और नेपाल की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से जुड़े इलाकों में पलायन को रोकना बेहद अहम है.

उत्तराखंड के युवाओं के लिए हैं प्रेरणा स्रोत- परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल और सेना मेडल से सम्मानित जनरल बिपिन रावत का जिक्र होते ही जैसे उत्तराखंड के लोगों में एक ऊर्जा का संचार हो जाता है. यह नाम अब युवाओं के लिए प्रेरणा, आदर्श के साथ ही पहाड़ की पहचान बन चुका है. जनरल रावत जिस कौशल से सर्जिकल स्ट्राइक की रणनीति बनाते थे, उसी कुशलता से अफसर और जवान तथा सेना और सिविलियंस के बीच की दूरियां मिटाने के फैसले लेकर मानवीय भावना का परिचय देते थे.

यह भी पढ़ें-यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया में जनरल बिपिन रावत मेमोरियल चेयर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित

CM से किया गांव को सड़क से जोड़ने का आग्रह- उत्तराखंड के अन्य गांवों की तरह पलायन की मार झेल रहे सैंण गांव को सड़क से जोड़ने की कवायद जनरल बिपिन रावत के 29 अप्रैल, 2018 के भ्रमण के बाद शुरू हुई. परिजनों और ग्रामीणों ने सड़क निर्माण की मांग को तब गांव पहुंचे जनरल रावत के समक्ष उठाया था. जिसके बाद जनरल रावत ने तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से गांव को सड़क से जोड़ने का आग्रह किया था, जिस पर तत्काल कार्रवाई करते हुए सीएम ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए थे.

कोटद्वार: महाराष्ट्र लातूर की गैर सरकारी संगठन डॉ हरिवंशराय बच्चन प्रबोधन प्रतिष्ठान (Dr HarivanshRai Bachchan Prabodhan Pratishthan) ने देश के पहले सीडीएस स्वर्गीय बिपिन रावत के पैतृक गांव बिरमोली को गोद लिया है. बिरमोली के साथ ही एचबीपीपी ने बिरमोली ग्राम पंचायत के अंतर्गत सैंण और मथारा राजस्व गांव को भी एनजीओ ने गोद लिया है. ये दोनों गांव भी बिरमोली ग्राम सभा के अंतर्गत आते हैं.

संस्था के अधिकारियों ने बताया की स्व. सीडीएस बिपिन रावत (CDS Late Bipin Rawat) के गांव सैंण को राष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना संस्था का संकल्प है. कार्यक्रम के प्रथम चरण में स्वर्गीय सीडीएस बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत को मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई. इसके बाद स्कूली बच्चों को साइकिल और टैब आदि वितरित किए गए.

एचबीपीपी ने बिरमोली को गोद लिया

इस दौरान डॉ. हरिवंशराय बच्चन प्रबोधन प्रतिष्ठान की टीम ने सीडीएस के गांव पहुंचकर पौड़ी प्रशासन, गांव के प्रधान और अन्य जन प्रतिनिधियों मुलाकात की. उन्होंने बताया कि एनजीओ ग्राम सभा बिरमोली में विभिन्न विकास कार्य किए जाएंगे, जिसमें जनरल बिपिन रावत अस्पताल, लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत इंटर कॉलेज, श्रीमती मधुलिका रावत बालिका सैनिक स्कूल का निर्माण समेत अन्य विकास कार्य भी शामिल हैं.

दरअसल, कई साल पहले जनरल बिपिन रावत ने एक सपना देखा था, जो अब तक अधूरा है. उत्तराखंड के सैंण गांव में उनका एक छोटा सा घर, है जो कई सालों से बंद था. उनका सपना था कि वो उन बंद घरों को खोलें और लोगों को वापस लेकर आएं, जो लोग इस गांव से दूर चले गए हैं. जनरल रावत का मानना था कि उनलोगों को उत्तराखंड की खूबसूरत धरती पर आने की जरूरत है, ताकि वो एक अच्छी हवा के साथ अपना जीवन बिता सकें.

रिवर्स माइग्रेशन चाहते थे जनरल रावत- जनरल रावत को उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों से पलायन की हमेशा चिंता रही. इसपर उन्होंने चिंता जताते हुए पलायन के कारण उत्तराखंड के खाली होते सीमावर्ती गांवों में ढांचागत सुविधाओं के विकास की बात कही थी. उन्होंने उम्मीद भी जताई थी कि ऐसा होने के बाद लोग निश्चित तौर पर अपने गांवों को लौटेंगे. उनका मानना था कि चीन और नेपाल की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से जुड़े इलाकों में पलायन को रोकना बेहद अहम है.

उत्तराखंड के युवाओं के लिए हैं प्रेरणा स्रोत- परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल और सेना मेडल से सम्मानित जनरल बिपिन रावत का जिक्र होते ही जैसे उत्तराखंड के लोगों में एक ऊर्जा का संचार हो जाता है. यह नाम अब युवाओं के लिए प्रेरणा, आदर्श के साथ ही पहाड़ की पहचान बन चुका है. जनरल रावत जिस कौशल से सर्जिकल स्ट्राइक की रणनीति बनाते थे, उसी कुशलता से अफसर और जवान तथा सेना और सिविलियंस के बीच की दूरियां मिटाने के फैसले लेकर मानवीय भावना का परिचय देते थे.

यह भी पढ़ें-यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया में जनरल बिपिन रावत मेमोरियल चेयर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित

CM से किया गांव को सड़क से जोड़ने का आग्रह- उत्तराखंड के अन्य गांवों की तरह पलायन की मार झेल रहे सैंण गांव को सड़क से जोड़ने की कवायद जनरल बिपिन रावत के 29 अप्रैल, 2018 के भ्रमण के बाद शुरू हुई. परिजनों और ग्रामीणों ने सड़क निर्माण की मांग को तब गांव पहुंचे जनरल रावत के समक्ष उठाया था. जिसके बाद जनरल रावत ने तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से गांव को सड़क से जोड़ने का आग्रह किया था, जिस पर तत्काल कार्रवाई करते हुए सीएम ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए थे.

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