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पुणे के शैलेष कंटेनर में कर रहे केसर की खेती, लाखों की आमदनी होने की उम्मीद

महाराष्ट्र के पुणे के शैलेष किशोर मोदक ने कंटेनर में केसर की खेती कर रह रहे हैं, इससे उन्हें 6 लाख रुपये से अधिक की आय होने की संभावना है. इतना ही केसर की खेती के लिए वह कंटेनर में कश्मीर के मुताबिक तापमान के अलावा अन्य सभी चीजों को रखते हैं. वहीं कंटेनर में खेती करने से बाहर के किसी भी मौसम का इस पैदावार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

Container farming of saffron started in Pune
पुणे में शुरू की केसर की कंटेनर खेती
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Published : Nov 24, 2022, 9:37 PM IST

पुणे : भारत के कृषि प्रधान देश होने के साथ ही देश में बड़ी संख्या में खेती की जाती है. इसी तरह महाराष्ट्र में बड़ी मात्रा में कृषि की जाती है और वो भी पारंपरिक तरीके से. हालांकि आज के समय में कई तकनीक विकसित हो चुकी हैं, लेकिन अभी भी किसान खेती पर पारंपरिक तरीके से ही खेती करने पर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं. इससे इतर पुणे के शैलेष किशोर मोदक ने कंटेनर में बिना मिट्टी के केसर यानी लाल सोना की खेती शुरू की. उच्च शिक्षित मोदक मूल रूप से नासिक के रहने वाले हैं और पुणे में ही शिक्षा ग्रहण करने के बाद पिछले पंद्रह साल से अपने माता-पिता और भाई-बहन के साथ पुणे में ही रह रहे हैं. इतना ही नहीं किशोर की पत्नी भी सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. हालांकि किशोर को विदेश में भी नौकरी का अवसर मिला लेकिन उन्होंने नौकरी से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने खादी ग्रामोद्योग का कोर्स किया. उन्होंने बताया कि फसल से करीब एक से डेढ़ किलो केसर मिलने की उम्मीद जताई. फिलहाल केसर का भाव 499 रुपये प्रति ग्राम है, उस हिसाब से बाजार भाव मुताबिक इसका रेट 6 लाख 23 हजार 750 रुपये प्रति किलो मिलने की संभावना है.

देखें वीडियो

कृषि में आधुनिक तकनीक का किया उपयोग : इसके साथ ही मोदक ने कृषक डॉ. विकास खैरे से मार्गदर्शन लिया और इस बात पर जोर दिया कि कृषि और आधुनिक तकनीक का उपयोग कैसे किया जा सकता है. फिर कृषि का अध्ययन करने के बाद शैलेश ने एक नया प्रयोग शुरू किया, जिससे वह साल भर खेती कर सके. क्योंकि खेती करते समय किसान पर्यावरण और बेमौसम बारिश से काफी प्रभावित होता है. इन सभी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए विकल्प के रूप में उन्होंने कंटेनर का चुनाव किया.

इस दौरान किशोर ने यह प्रयोग किया गया और सफल भी रहा और इसके बाद किशोर ने 8 गुणे 5 फीट के कंटेनर में फसलें उगानी शुरू कीं. बता दें कि कश्मीर राज्य में केसर की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है, चूंकि यह फसल वहां के फसल के अनुकूल वातावरण में उगती है, इसलिए दुनिया भर में इसकी अच्छी मांग भी है. लेकिन शैलेष ने कश्मीर में पाए जाने वाले केसर की खेती पुणे में शुरू की. इसके लिए वह आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं.

300 रुपये से 1500 रुपये प्रति ग्राम कीमत : भारतीय खाने में केसर का काफी महत्व है. वहीं केसर 300 से 1500 रुपए प्रति ग्राम बिक रहा है. केसर की कीमत उसकी गुणवत्ता के अनुसार बाजार में तय होती है. अमूमन केसर कश्मीर, हिमाचल प्रदेश जैसे ठंडे और बर्फीले क्षेत्रों में उगाया जाता है जो भारत में केवल 3 से 4 प्रतिशत मांग का ही उत्पादन होता है.इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए मोदक ने कंटेनर फार्मिंग के इस प्रयोग को पुणे में लागू किया है और यह सफल भी रहा है. वे पिछले छह साल से यह प्रयोग कर रहे हैं. यह सफल प्रयोग एयरपोनिक पद्धति से किया गया है. 320 वर्ग फीट के कंटेनर में अन्य सब्जियों के साथ केसर भी लगाया गया है. विभिन्न जड़ी-बूटियों, विदेशी सब्जियों, मसालों के विकल्प की तलाश में मोदक ने फसल के रूप में केसर उगाने का फैसला किया. उन्होंने बताया कि शुरुआती प्रयोग के लिए कश्मीर के पंपोर से 12 किलो केसर के कंद मंगवाए थे. फिर इस कंद की वृद्धि के लिए तापमान को नियंत्रित तरीके से बनाए रखा जाता है.

पुणे के शैलेष कंटेनर में कर रहे केसर की खेती
पुणे के शैलेष कंटेनर में कर रहे केसर की खेती

कश्मीर जाकर समझी खेती की विधि : इतना ही नहीं इस कंद को बढ़ता देख वे वापस कश्मीर गए और वहां के किसानों से इस बारे में विस्तार से बातचीत की. कश्मीर में कुछ दिन रहकर केसर की फसल की खेती की विधि समझी. फिर इसके बाद उन्होंने कंटेनर में केसर लगाने का फैसला किया. इसी हिसाब से कंटेनर में केसर लगाया गया. साथ ही कश्मीर की तरह इस कंटेनर में एयर सर्क्युलेटर, चिलर, एसी, डीह्यूमिडिफ़ायर, चारकोल आधारित नमी बढ़ाने वाली तकनीक जैसे विभिन्न तकनीकों का उपयोग इस कंटेनर में शेलैष द्वारा कंटेनर में तापमान को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है.

एक से डेढ़ किलो केसर मिलने की उम्मीद : इस संबंध में शैलेष ने बताया कि यहां कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण के लिए लाल, सफेद और नीला प्रकाश उसकी स्थिति के आधार पर भी प्रदान किया जाता है. फिलहाल किशोर ने इस कंटेनर को पुणे के वारजे इलाके में तैयार किया है और आकार के हिसाब से एक ट्रे में चार सौ से छह सौ कंद लगाए जाते हैं. वर्तमान समय में आधे डिब्बे में करीब पांच सौ किलो कंद उगाए जा सकते हैं.

किशोर ने बताया कि कंटेनर बनाने से लेकर कंद लाने तक में आठ लाख रुपये खर्च किए गए. वहीं अब इस आधुनिक खेती को देखने के लिए देश के कोने-कोने से किसान आ रहे हैं. साथ ही किसान कंटेनर फार्मिंग के इस प्रयोग की सभी सराहना कर रहे हैं. शैलेष मोदक ने आज के युवा किसानों से आधुनिक कृषि को अपनाएं और कृषि के विभिन्न तरीकों से प्रयोग करते हुए आधुनिक खेती करने की उम्मीद जताई.

ये भी पढ़ें - सुप्रीम कोर्ट ने जीएम सरसों की खेती को मंजूरी देने पर फिलहाल रोक लगाई

पुणे : भारत के कृषि प्रधान देश होने के साथ ही देश में बड़ी संख्या में खेती की जाती है. इसी तरह महाराष्ट्र में बड़ी मात्रा में कृषि की जाती है और वो भी पारंपरिक तरीके से. हालांकि आज के समय में कई तकनीक विकसित हो चुकी हैं, लेकिन अभी भी किसान खेती पर पारंपरिक तरीके से ही खेती करने पर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं. इससे इतर पुणे के शैलेष किशोर मोदक ने कंटेनर में बिना मिट्टी के केसर यानी लाल सोना की खेती शुरू की. उच्च शिक्षित मोदक मूल रूप से नासिक के रहने वाले हैं और पुणे में ही शिक्षा ग्रहण करने के बाद पिछले पंद्रह साल से अपने माता-पिता और भाई-बहन के साथ पुणे में ही रह रहे हैं. इतना ही नहीं किशोर की पत्नी भी सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. हालांकि किशोर को विदेश में भी नौकरी का अवसर मिला लेकिन उन्होंने नौकरी से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने खादी ग्रामोद्योग का कोर्स किया. उन्होंने बताया कि फसल से करीब एक से डेढ़ किलो केसर मिलने की उम्मीद जताई. फिलहाल केसर का भाव 499 रुपये प्रति ग्राम है, उस हिसाब से बाजार भाव मुताबिक इसका रेट 6 लाख 23 हजार 750 रुपये प्रति किलो मिलने की संभावना है.

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कृषि में आधुनिक तकनीक का किया उपयोग : इसके साथ ही मोदक ने कृषक डॉ. विकास खैरे से मार्गदर्शन लिया और इस बात पर जोर दिया कि कृषि और आधुनिक तकनीक का उपयोग कैसे किया जा सकता है. फिर कृषि का अध्ययन करने के बाद शैलेश ने एक नया प्रयोग शुरू किया, जिससे वह साल भर खेती कर सके. क्योंकि खेती करते समय किसान पर्यावरण और बेमौसम बारिश से काफी प्रभावित होता है. इन सभी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए विकल्प के रूप में उन्होंने कंटेनर का चुनाव किया.

इस दौरान किशोर ने यह प्रयोग किया गया और सफल भी रहा और इसके बाद किशोर ने 8 गुणे 5 फीट के कंटेनर में फसलें उगानी शुरू कीं. बता दें कि कश्मीर राज्य में केसर की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है, चूंकि यह फसल वहां के फसल के अनुकूल वातावरण में उगती है, इसलिए दुनिया भर में इसकी अच्छी मांग भी है. लेकिन शैलेष ने कश्मीर में पाए जाने वाले केसर की खेती पुणे में शुरू की. इसके लिए वह आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं.

300 रुपये से 1500 रुपये प्रति ग्राम कीमत : भारतीय खाने में केसर का काफी महत्व है. वहीं केसर 300 से 1500 रुपए प्रति ग्राम बिक रहा है. केसर की कीमत उसकी गुणवत्ता के अनुसार बाजार में तय होती है. अमूमन केसर कश्मीर, हिमाचल प्रदेश जैसे ठंडे और बर्फीले क्षेत्रों में उगाया जाता है जो भारत में केवल 3 से 4 प्रतिशत मांग का ही उत्पादन होता है.इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए मोदक ने कंटेनर फार्मिंग के इस प्रयोग को पुणे में लागू किया है और यह सफल भी रहा है. वे पिछले छह साल से यह प्रयोग कर रहे हैं. यह सफल प्रयोग एयरपोनिक पद्धति से किया गया है. 320 वर्ग फीट के कंटेनर में अन्य सब्जियों के साथ केसर भी लगाया गया है. विभिन्न जड़ी-बूटियों, विदेशी सब्जियों, मसालों के विकल्प की तलाश में मोदक ने फसल के रूप में केसर उगाने का फैसला किया. उन्होंने बताया कि शुरुआती प्रयोग के लिए कश्मीर के पंपोर से 12 किलो केसर के कंद मंगवाए थे. फिर इस कंद की वृद्धि के लिए तापमान को नियंत्रित तरीके से बनाए रखा जाता है.

पुणे के शैलेष कंटेनर में कर रहे केसर की खेती
पुणे के शैलेष कंटेनर में कर रहे केसर की खेती

कश्मीर जाकर समझी खेती की विधि : इतना ही नहीं इस कंद को बढ़ता देख वे वापस कश्मीर गए और वहां के किसानों से इस बारे में विस्तार से बातचीत की. कश्मीर में कुछ दिन रहकर केसर की फसल की खेती की विधि समझी. फिर इसके बाद उन्होंने कंटेनर में केसर लगाने का फैसला किया. इसी हिसाब से कंटेनर में केसर लगाया गया. साथ ही कश्मीर की तरह इस कंटेनर में एयर सर्क्युलेटर, चिलर, एसी, डीह्यूमिडिफ़ायर, चारकोल आधारित नमी बढ़ाने वाली तकनीक जैसे विभिन्न तकनीकों का उपयोग इस कंटेनर में शेलैष द्वारा कंटेनर में तापमान को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है.

एक से डेढ़ किलो केसर मिलने की उम्मीद : इस संबंध में शैलेष ने बताया कि यहां कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण के लिए लाल, सफेद और नीला प्रकाश उसकी स्थिति के आधार पर भी प्रदान किया जाता है. फिलहाल किशोर ने इस कंटेनर को पुणे के वारजे इलाके में तैयार किया है और आकार के हिसाब से एक ट्रे में चार सौ से छह सौ कंद लगाए जाते हैं. वर्तमान समय में आधे डिब्बे में करीब पांच सौ किलो कंद उगाए जा सकते हैं.

किशोर ने बताया कि कंटेनर बनाने से लेकर कंद लाने तक में आठ लाख रुपये खर्च किए गए. वहीं अब इस आधुनिक खेती को देखने के लिए देश के कोने-कोने से किसान आ रहे हैं. साथ ही किसान कंटेनर फार्मिंग के इस प्रयोग की सभी सराहना कर रहे हैं. शैलेष मोदक ने आज के युवा किसानों से आधुनिक कृषि को अपनाएं और कृषि के विभिन्न तरीकों से प्रयोग करते हुए आधुनिक खेती करने की उम्मीद जताई.

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