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डॉक्टरों को बचाने के लिए महाराष्ट्र सरकार का बड़ा फैसला, जानें पूरा मामला - महाराष्ट्र में डॉक्टर की सुरक्षा

महाराष्ट्र सरकार ने बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) को बुधवार को सूचित किया कि मरीजों के रिश्तेदारों द्वारा पुलिस में की जाने वाली निराधार शिकायतों और प्राथमिकियों से चिकित्सकों की रक्षा करने के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ गठित किया जा रहा है.

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Published : Jul 7, 2021, 4:28 PM IST

मुंबई : महाराष्ट्र में इस विशेष प्रकोष्ठ के संबंध में राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुम्भाकोणि ने मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ को सूचित किया कि प्रकोष्ठ में चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञ, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और अन्य पक्षकार होंगे. उन्होंने बताया कि विशेषज्ञ प्रकोष्ठ अस्पतालों एवं चिकित्सकों के खिलाफ चिकित्सीय लापरवाही की शिकायतों की जांच करेगा.

कुम्भाकोणि ने बताया कि शिकायत प्रथमदृष्टया यदि उचित पायी जाएगी और मामला दर्ज करने लायक हुयी तो संबंधित पुलिस थाना प्राथमिकी दर्ज करेगा. उन्होंने बताया कि चिकित्सकों की आमजनों के खिलाफ अस्पताल की संपत्ति में तोड़फोड़ करने और चिकित्सकों पर हमला करने जैसी शिकायतों से भारतीय दंड संहिता के वर्तमान प्रावधानों के तहत निबटा जाएगा.

उन्होंने बताया कि विशेषज्ञ प्रकोष्ठ को अगले हफ्ते तक अंतिम रूप दे दिया जाएगा. पीठ ने इस वक्तव्य को स्वीकार किया और सुझाव दिया कि राज्य एमबीबीएस डिग्री धारक आईपीएस अधिकारियों को प्रकोष्ठ में शामिल करने पर विचार करे.

न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि पश्चिम बंगाल (West Bengal) में भी इसी तरह की नौ सदस्यीय समिति है जिसमें एमबीबीएस डिग्री धारक आईपीएस अधिकारी हैं. उन्होंने कहा कि बंगाल में चिकित्सकों की रक्षा संबंधी अलग कानून है और महाराष्ट्र सरकार को इससे प्रेरणा लेकर अपना कानून बनाना चाहिए या राज्य के वर्तमान कानूनों में संशोधन करना चाहिए.

इसे भी पढ़ें : हेडगेवार अस्पताल में मरीज और डॉक्टरों के बीच हुई हाथापाई, CCTV वीडियो आया सामने

अदालत डॉ. राजीव जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें स्वास्थ्य क्षेत्र के पेशेवरों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की गई थी.
(पीटीआई-भाषा)

मुंबई : महाराष्ट्र में इस विशेष प्रकोष्ठ के संबंध में राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुम्भाकोणि ने मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ को सूचित किया कि प्रकोष्ठ में चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञ, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और अन्य पक्षकार होंगे. उन्होंने बताया कि विशेषज्ञ प्रकोष्ठ अस्पतालों एवं चिकित्सकों के खिलाफ चिकित्सीय लापरवाही की शिकायतों की जांच करेगा.

कुम्भाकोणि ने बताया कि शिकायत प्रथमदृष्टया यदि उचित पायी जाएगी और मामला दर्ज करने लायक हुयी तो संबंधित पुलिस थाना प्राथमिकी दर्ज करेगा. उन्होंने बताया कि चिकित्सकों की आमजनों के खिलाफ अस्पताल की संपत्ति में तोड़फोड़ करने और चिकित्सकों पर हमला करने जैसी शिकायतों से भारतीय दंड संहिता के वर्तमान प्रावधानों के तहत निबटा जाएगा.

उन्होंने बताया कि विशेषज्ञ प्रकोष्ठ को अगले हफ्ते तक अंतिम रूप दे दिया जाएगा. पीठ ने इस वक्तव्य को स्वीकार किया और सुझाव दिया कि राज्य एमबीबीएस डिग्री धारक आईपीएस अधिकारियों को प्रकोष्ठ में शामिल करने पर विचार करे.

न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि पश्चिम बंगाल (West Bengal) में भी इसी तरह की नौ सदस्यीय समिति है जिसमें एमबीबीएस डिग्री धारक आईपीएस अधिकारी हैं. उन्होंने कहा कि बंगाल में चिकित्सकों की रक्षा संबंधी अलग कानून है और महाराष्ट्र सरकार को इससे प्रेरणा लेकर अपना कानून बनाना चाहिए या राज्य के वर्तमान कानूनों में संशोधन करना चाहिए.

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अदालत डॉ. राजीव जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें स्वास्थ्य क्षेत्र के पेशेवरों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की गई थी.
(पीटीआई-भाषा)

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