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समन के खिलाफ याचिका के पीछे असली भूमिका देखमुख की : सीबीआई ने अदालत में कहा - Summons cancellation petition in Maharashtra

सीबीआई ने मंगलवार को बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि राज्य के मुख्य सचिव सीताराम कुंटे और डीजीपी संजय पांडेय को जारी सीबीआई के समन रद्द करने के लिए महाराष्ट्र सरकार की याचिका स्थानापन्न (सरोगेट) है.

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Published : Nov 23, 2021, 10:58 PM IST

मुंबई : राष्ट्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी ने अदालत से कहा कि याचिका के पीछे असली भूमिका महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की है जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार और जबरन वसूली के आरोपों की जांच सीबीआई कर रही है.

लेखी ने न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति एस वी कोतवाल की पीठ के समक्ष दोहराया कि देशमुख संबंधी जांच में पूछताछ के लिए कुंटे और पांडेय को जारी समन रद्द करने के अनुरोध वाली महाराष्ट्र सरकार की याचिका इस जांच को बाधित करने का प्रयास है.

उन्होंने कहा कि सीबीआई ने यह दिखाने के लिए सबूत एकत्र किए हैं कि जब देशमुख राज्य के गृह मंत्री थे, तब महाराष्ट्र पुलिस स्थापना बोर्ड ने राज्य पुलिस अधिकारियों के तबादलों और तैनाती को लेकर की गई कई सिफारिशों को खारिज कर दिया था.

लेखी ने कहा, 'यह पूरा प्रकरण देशमुख की भूमिका के इर्द-गिर्द है. देशमुख राहत की मांग करते हुए अदालत आए लेकिन असफल रहे. इसलिए अब राज्य उनकी ओर से आया है. यह एक सरोगेट याचिका है और असली अभिनेता अनिल देशमुख हैं.'

सीबीआई ने महाराष्ट्र सरकार के इस दावे का खंडन किया कि एजेंसी ने डीजीपी पांडेय को सिर्फ इसलिए बुलाया था क्योंकि वह राज्य के सबसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी थे और यह उत्पीड़न की रणनीति थी.

लेखी ने कहा कि पांडेय को मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के साथ उनकी बातचीत से संबंधित सवालों को लेकर बुलाया गया था. सिंह ने देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. मामले में अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी.

पढ़ें : देखमुख मामले में सीबीआई ने कोर्ट से कहा- पुलिस किसी जमींदारी व्यवस्था का हिस्सा नहीं

मुंबई : राष्ट्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी ने अदालत से कहा कि याचिका के पीछे असली भूमिका महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की है जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार और जबरन वसूली के आरोपों की जांच सीबीआई कर रही है.

लेखी ने न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति एस वी कोतवाल की पीठ के समक्ष दोहराया कि देशमुख संबंधी जांच में पूछताछ के लिए कुंटे और पांडेय को जारी समन रद्द करने के अनुरोध वाली महाराष्ट्र सरकार की याचिका इस जांच को बाधित करने का प्रयास है.

उन्होंने कहा कि सीबीआई ने यह दिखाने के लिए सबूत एकत्र किए हैं कि जब देशमुख राज्य के गृह मंत्री थे, तब महाराष्ट्र पुलिस स्थापना बोर्ड ने राज्य पुलिस अधिकारियों के तबादलों और तैनाती को लेकर की गई कई सिफारिशों को खारिज कर दिया था.

लेखी ने कहा, 'यह पूरा प्रकरण देशमुख की भूमिका के इर्द-गिर्द है. देशमुख राहत की मांग करते हुए अदालत आए लेकिन असफल रहे. इसलिए अब राज्य उनकी ओर से आया है. यह एक सरोगेट याचिका है और असली अभिनेता अनिल देशमुख हैं.'

सीबीआई ने महाराष्ट्र सरकार के इस दावे का खंडन किया कि एजेंसी ने डीजीपी पांडेय को सिर्फ इसलिए बुलाया था क्योंकि वह राज्य के सबसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी थे और यह उत्पीड़न की रणनीति थी.

लेखी ने कहा कि पांडेय को मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के साथ उनकी बातचीत से संबंधित सवालों को लेकर बुलाया गया था. सिंह ने देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. मामले में अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी.

पढ़ें : देखमुख मामले में सीबीआई ने कोर्ट से कहा- पुलिस किसी जमींदारी व्यवस्था का हिस्सा नहीं

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