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विशेष दर्शन के नाम पर भ्रष्टाचार, पता लगाने के लिए आम श्रद्धालु बनकर पहुंचे जज

मंदिर में विशेष दर्शन के नाम पर भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए चेन्नई हाईकोर्ट के एक जज खुद आम श्रद्धालु बनकर पहुंचे. उन्होंने अपनी पहचान जाहिर नहीं की. मामला सामने आने पर सरकार के उचित कार्रवाई के आश्वासन दिए हैं.

मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास हाईकोर्ट
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Published : Dec 19, 2022, 6:05 PM IST

Updated : Dec 20, 2022, 10:19 AM IST

चेन्नई : मद्रास हाईकोर्ट के जज एसएम सुब्रमण्यम ने मंदिर में विशेष दर्शन टिकट जारी करने में भ्रष्टाचार को गंभीरता से लिया है. इसके लिए उन्होंने मंदिर के प्रशासन पर जमकर तंज कसा. मद्रास हाईकोर्ट के जज ने कहा कि वह शनिवार को अपने परिवार के साथ चेन्नई के दंडायुथपानी मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे थे. यहां पर उन्होंने अपनी पहचान को उजगार नहीं किया और न ही वीआईपी दर्शन किए किए. इसके बजाय, उन्होंने 50 रुपये की लागत वाले तीन विशेष दर्शन टिकटों के लिए 150 रुपये का भुगतान किया. लेकिन जज को काउंटर पर कर्मचारियों ने 50 रुपये के दो टिकट और 5 रुपये का तीसरे टिकट दिया. जब जज ने उसने इस बारे में सवाल किया तो स्टाफ ने उनके साथ अभद्र व्यवहार किया.

इसके बाद अदालत में जज ने राज्य सरकार के वकील पी मुथुकुमार और मंदिर के कार्यकारी अधिकारी को अनुभव साझा करते हुए कहा कि मंदिर के कर्मचारी, मंदिर के कार्यकारी अधिकारी का संपर्क नंबर साझा करने को तैयार नहीं थे. उन्होंने कहा कि जब उनकी पत्नी ने स्टाफ से पूछा कि कार्यकारी अधिकारी फोन नंबर क्यों नहीं साझा करते जबकि मुख्यमंत्री का संपर्क नंबर भी उपलब्ध है. तब स्टाफ ने कहा कि मुख्यमंत्री अपना नंबर साझा कर सकते हैं लेकिन हम मंदिर के कार्यकारी अधिकारी का फोन नंबर साझा नहीं कर सकते.

judge of hc
हाईकोर्ट के जज

न्यायाधीश ने कहा कि मंदिर के कर्मचारियों ने उनके परिवार के साथ बहस की और उन्हें मंदिर से बाहर धकेलने का भी प्रयास किया. न्यायाधीश सुब्रमण्यम ने कहा कि मंदिर का प्रति वर्ष 14 करोड़ रुपये का कारोबार हो रहा है और कहा कि मंदिर सैकड़ों करोड़ रुपये की संपत्ति का मालिक है. उन्होंने यह भी कहा कि मंदिर के कार्यकारी अधिकारी मंदिर में होने वाले मुद्दों के लिए समान रूप से जिम्मेदार थे और कहा कि उन्हें अनुशासनात्मक कार्यवाही से दोषमुक्त नहीं किया जा सकता है.

न्यायाधीश सुब्रमण्यम ने एचआर एंड सीई आयुक्त को संबोधित एक लिखित शिकायत राज्य सरकार के वकील को सौंपी और कहा कि यदि जरूरी हो तो वह मंदिर के कर्मचारियों की पहचान कर सकते हैं जिन्होंने उनके और उनके परिवार के साथ अभद्र व्यवहार किया. जज ने कहा कि जब संवैधानिक अधिकारी वीआईपी व्यवहार के बिना सार्वजनिक स्थानों पर जाते हैं, तभी वे समझ सकते हैं कि आम आदमी को कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. राज्य सरकार के वकील ने न्यायाधीश को आश्वासन दिया कि उचित कार्रवाई की जाएगी और जनवरी के दूसरे सप्ताह तक अदालत को इसकी सूचना दी जाएगी.

ये भी पढ़ें : तमिलनाडु: चेन्नई में पुलिस ने मदरसे से छुड़ाए बिहार के 12 बच्चे, सुरक्षित पहुंचाया उनके घर

(आईएएनएस)

चेन्नई : मद्रास हाईकोर्ट के जज एसएम सुब्रमण्यम ने मंदिर में विशेष दर्शन टिकट जारी करने में भ्रष्टाचार को गंभीरता से लिया है. इसके लिए उन्होंने मंदिर के प्रशासन पर जमकर तंज कसा. मद्रास हाईकोर्ट के जज ने कहा कि वह शनिवार को अपने परिवार के साथ चेन्नई के दंडायुथपानी मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे थे. यहां पर उन्होंने अपनी पहचान को उजगार नहीं किया और न ही वीआईपी दर्शन किए किए. इसके बजाय, उन्होंने 50 रुपये की लागत वाले तीन विशेष दर्शन टिकटों के लिए 150 रुपये का भुगतान किया. लेकिन जज को काउंटर पर कर्मचारियों ने 50 रुपये के दो टिकट और 5 रुपये का तीसरे टिकट दिया. जब जज ने उसने इस बारे में सवाल किया तो स्टाफ ने उनके साथ अभद्र व्यवहार किया.

इसके बाद अदालत में जज ने राज्य सरकार के वकील पी मुथुकुमार और मंदिर के कार्यकारी अधिकारी को अनुभव साझा करते हुए कहा कि मंदिर के कर्मचारी, मंदिर के कार्यकारी अधिकारी का संपर्क नंबर साझा करने को तैयार नहीं थे. उन्होंने कहा कि जब उनकी पत्नी ने स्टाफ से पूछा कि कार्यकारी अधिकारी फोन नंबर क्यों नहीं साझा करते जबकि मुख्यमंत्री का संपर्क नंबर भी उपलब्ध है. तब स्टाफ ने कहा कि मुख्यमंत्री अपना नंबर साझा कर सकते हैं लेकिन हम मंदिर के कार्यकारी अधिकारी का फोन नंबर साझा नहीं कर सकते.

judge of hc
हाईकोर्ट के जज

न्यायाधीश ने कहा कि मंदिर के कर्मचारियों ने उनके परिवार के साथ बहस की और उन्हें मंदिर से बाहर धकेलने का भी प्रयास किया. न्यायाधीश सुब्रमण्यम ने कहा कि मंदिर का प्रति वर्ष 14 करोड़ रुपये का कारोबार हो रहा है और कहा कि मंदिर सैकड़ों करोड़ रुपये की संपत्ति का मालिक है. उन्होंने यह भी कहा कि मंदिर के कार्यकारी अधिकारी मंदिर में होने वाले मुद्दों के लिए समान रूप से जिम्मेदार थे और कहा कि उन्हें अनुशासनात्मक कार्यवाही से दोषमुक्त नहीं किया जा सकता है.

न्यायाधीश सुब्रमण्यम ने एचआर एंड सीई आयुक्त को संबोधित एक लिखित शिकायत राज्य सरकार के वकील को सौंपी और कहा कि यदि जरूरी हो तो वह मंदिर के कर्मचारियों की पहचान कर सकते हैं जिन्होंने उनके और उनके परिवार के साथ अभद्र व्यवहार किया. जज ने कहा कि जब संवैधानिक अधिकारी वीआईपी व्यवहार के बिना सार्वजनिक स्थानों पर जाते हैं, तभी वे समझ सकते हैं कि आम आदमी को कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. राज्य सरकार के वकील ने न्यायाधीश को आश्वासन दिया कि उचित कार्रवाई की जाएगी और जनवरी के दूसरे सप्ताह तक अदालत को इसकी सूचना दी जाएगी.

ये भी पढ़ें : तमिलनाडु: चेन्नई में पुलिस ने मदरसे से छुड़ाए बिहार के 12 बच्चे, सुरक्षित पहुंचाया उनके घर

(आईएएनएस)

Last Updated : Dec 20, 2022, 10:19 AM IST
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