चेन्नई: मद्रास हाई कोर्ट ( Madras High Court) ने कोयंबटूर की एक वायु सेना अधिकारी के यौन उत्पीड़न के मामले में केंद्र सरकार को सेना, नौसेना और वायु सेना सहित सुरक्षा बलों में महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम के तहत आंतरिक शिकायत समितियों के कामकाज को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है.
मामले के मुताबिक कोयंबटूर की एक वायु सेना अधिकारी का उसके साथी अधिकारी ने यौन उत्पीड़न किया था. इस सिलसिले में वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत की गई थी कि वर्ष 2021 में प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के लिए कोयंबटर के एयर फोर्स कॉलेज में आई एक महिला वायु सेना अधिकारी के साथ साथी अफसर ने रेप किया. इसी शिकायत के आधार पर वायु सेना ने कोर्ट मार्शल करने के साथ जांच शुरू की. लेकिन पीड़िता ने जांच से संतुष्ट नहीं होने पर कोयंबटूर के ऑल वुमेन पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई. इस शिकायत के बाद मामला दर्ज करने के साथ ही आरोपी वायुसेना अफसर को गिरफ्तार कर लिया गया.
वहीं इस मामले में कोयंबटर में महिलाओं की विशेष अदालत ने एयर फोर्स कॉलेज के कमांडेंट की उस याचिका को स्वीकार कर लिया जिसमें आरोपी को एयरफोर्स एक्ट के तहत सौंपने की मांग की गई थी. इस पर कोर्ट ने आरोपी को वायुसेना को सौंपने का आदेश दिया. इसी क्रम में मद्रास हाई कोर्ट की न्यायाधीश मंजुला ने ऑल वुमेन पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर द्वारा याचिका पर सुनवाई की और वायु सेना अधिनियम की धाराओं और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का जिक्र करते हुए आदेश दिया कि जब सैन्य अदालत जांच कर रही है तो पुलिस को जांच रखने की जरूरत नही है और आरोप पत्र दायर करने की भी कोई जरूरत नहीं है.
न्यायाधीश ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए कानून लाए जाने और जागरूकता पैदा किए जाने के साथ सवाल किया कि अगर एक महिला वायु सेना अधिकारी में अपने खिलाफ हिंसा के खिलाफ लड़ने का साहस है, तो और कौन करेगा? उन्होंने केंद्र सरकार को सेना, नौसेना और वायु सेना सहित सुरक्षा बलों में महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम के तहत आंतरिक शिकायत समितियों के कामकाज को सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया. साथ ही महिलाओं के खिलाफ होने वाली घटनाओं से सुरक्षा के लिए सभी कार्यस्थलों पर एक आंतरिक शिकायत समिति का गठन किया गया है.
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