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मद्रास HC का निर्देश, गाड़ियों से हटाई जाएं राजनीतिक/सांप्रदायिक स्टिकर, वरना लगेगा जुर्माना - राजनीतिक पार्टी के झंडे, बोर्ड

अदालत के मुताबिक, इस तरह की तस्वीरें या किसी राजनीतिक पार्टी के झंडे, बोर्ड या फिर अधिवक्ता और प्रेस स्टिकर का इस्तेमाल पुलिस को कार्रवाई से रोकने के लिए होता है, फिर चाहे इसमें सड़क नियमों का उल्लंघन ही क्यों न हो.

मद्रास HC
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Published : Sep 9, 2021, 9:05 PM IST

चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) ने वाहनों पर राजनीतिक और सांप्रदायिक नेताओं (political or communal leaders) की तस्वीरों को हटाने का निर्देश दिया है.

यह आदेश हाल ही में जस्टिस एन किरुबाकरण (अब सेवानिवृत्त) और जस्टिस बी पुगलेंधी की पीठ ने अधिवक्ता के स्टिकर के दुरुपयोग के खिलाफ दायर जनहित याचिका (PIL) में दिया. सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि आम तौर पर ट्रैफिक पुलिस को कार्रवाई से रोकने के लिए वाहनों पर इस तरह के स्टिकर या तस्वीरों का इस्तेमाल किया जाता है.

अदालत के मुताबिक, इस तरह की तस्वीरें या किसी राजनीतिक पार्टी के झंडे, बोर्ड या फिर अधिवक्ता और प्रेस स्टिकर का इस्तेमाल पुलिस को कार्रवाई से रोकने के लिए होता है, फिर चाहे इसमें सड़क नियमों का उल्लंघन ही क्यों न हो.

पढ़ें : हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को समलैंगिकों के लिए नियमों में संशोधन का निर्देश दिया

अदालत ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति अपने नेता के समर्थन में तस्वीर लगाना चाहता है, तो वह अपनी गाड़ी के भीतर लगाएं. अदालत ने संबंधी अधिकारियों को आदेश दिया कि वे वाहन मालिकों को 60 दिनों के भीतर वाहन मालिकों को अपनी गाड़ी के बाहरी हिस्से में लगी ऐसी तस्वीरों को हटाने का का निर्देश दें. साथ ही ऐसा न करने पर अधिकारी गाड़ी मालिकों पर जुर्माना भी लगा सकते हैं.

बता दें कि यह आदेश अधिवक्ता स्टिकर के दुरुपयोग के खिलाफ एक जनहित याचिका में यह आदेश पारित किया गया था. इससे पहले की सुनवाई में कोर्ट ने सवाल किया था कि अगर कानून से बचने के लिए उनका दुरुपयोग किया जा रहा है तो क्या एडवोकेट स्टिकर पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.

चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) ने वाहनों पर राजनीतिक और सांप्रदायिक नेताओं (political or communal leaders) की तस्वीरों को हटाने का निर्देश दिया है.

यह आदेश हाल ही में जस्टिस एन किरुबाकरण (अब सेवानिवृत्त) और जस्टिस बी पुगलेंधी की पीठ ने अधिवक्ता के स्टिकर के दुरुपयोग के खिलाफ दायर जनहित याचिका (PIL) में दिया. सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि आम तौर पर ट्रैफिक पुलिस को कार्रवाई से रोकने के लिए वाहनों पर इस तरह के स्टिकर या तस्वीरों का इस्तेमाल किया जाता है.

अदालत के मुताबिक, इस तरह की तस्वीरें या किसी राजनीतिक पार्टी के झंडे, बोर्ड या फिर अधिवक्ता और प्रेस स्टिकर का इस्तेमाल पुलिस को कार्रवाई से रोकने के लिए होता है, फिर चाहे इसमें सड़क नियमों का उल्लंघन ही क्यों न हो.

पढ़ें : हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को समलैंगिकों के लिए नियमों में संशोधन का निर्देश दिया

अदालत ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति अपने नेता के समर्थन में तस्वीर लगाना चाहता है, तो वह अपनी गाड़ी के भीतर लगाएं. अदालत ने संबंधी अधिकारियों को आदेश दिया कि वे वाहन मालिकों को 60 दिनों के भीतर वाहन मालिकों को अपनी गाड़ी के बाहरी हिस्से में लगी ऐसी तस्वीरों को हटाने का का निर्देश दें. साथ ही ऐसा न करने पर अधिकारी गाड़ी मालिकों पर जुर्माना भी लगा सकते हैं.

बता दें कि यह आदेश अधिवक्ता स्टिकर के दुरुपयोग के खिलाफ एक जनहित याचिका में यह आदेश पारित किया गया था. इससे पहले की सुनवाई में कोर्ट ने सवाल किया था कि अगर कानून से बचने के लिए उनका दुरुपयोग किया जा रहा है तो क्या एडवोकेट स्टिकर पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.

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