चेन्नई: मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) ने 1930 में पारित तमिलनाडु गेमिंग अधिनियम में हाल में किए गए एक संशोधन को मंगलवार को रद्द कर दिया. इस संशोधन के तहत दांव लगाए जाने के साथ रमी और पोकर के ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.
मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति की प्रथम पीठ ने जंगली गेम्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इस साल किए गए संशोधन को रद्द कर दिया. पीठ ने तमिलनाडु गेमिंग और पुलिस कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 के भाग दो को असंवैधानिक घोषित किया, जिसके तहत साइबर जगत में सट्टेबाजी या दांव लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. पीठ ने कहा कि जिस संशोधन को चुनौती दी गई है, उसे कुछ ऐसा माना जाना चाहिए जो कि तर्कहीन रूप से किया गया. पीठ ने कहा कि इसलिए, यह अदालत संविधान के उल्लंघन के रूप में संशोधन को पूरी तरह से रद्द कर देती है.
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हालांकि, पीठ ने राज्य को बिना किसी कमी के एक और कानून पारित करने की स्वतंत्रता दी. पीठ ने कहा कि इस फैसले में राज्य सरकार को संवैधानिक सिद्धांतों के अनुरूप एक उपयुक्त कानून पेश करने से नहीं रोका गया है. इस बीच ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन के सीईओ रोलैंड लैंडर्स ने इस फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि हम मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हैं, जो यह बताता है कि अदालत ऑनलाइन गेमिंग के खिलाफ नहीं है, और सरकार से तकनीकी के लिए निवेश और रोजगार के सृजन को प्रोत्साहित करने के लिए ऑनलाइन गेमिंग उद्योग को स्पष्टता प्रदान करने के लिए एक नियामक ढांचा तैयार करने का आह्वान करती है.
(पीटीआई-भाषा)