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समलैंगिक संबंधों पर आदेश देने से पहले 'मी लार्ड' इसके मनोविज्ञान का अध्ययन करेंगे

समलैंगिक संबंधों के मामले पर सुनवाई करते हुए मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने कहा कि वह मामले के मनोविज्ञानिक का अध्ययन करेंगे. न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकेटश ने कहा कि वह पूरे प्रकरण को समझने के बाद ही इसपर फैसला सुना पाएंगे.

Madras High Court
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Published : Apr 30, 2021, 5:26 PM IST

चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने समलैंगिक रिश्तों पर फैसला सुनाने से पहले ऐसे संबंधों के मनोविज्ञान का अध्ययन करने का फैसला किया है ताकि वह पूरे प्रकरण को समझ सकें एवं आदेश 'दिल' से लिख सकें.

समलैंगिक संबंधों के मामलों में दिशानिर्देश के लिए समलैंगिक जोड़े की याचिका पर न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकेटश ने हाल में दिया फैसले में कहा,'मैं इस पूरे प्रकरण को समझने के लिए खुद को कुछ समय देना चाहता हूं.' उन्होंने लिखा, 'अंतत: इस मामले में शब्द मेरे दिल से आने चाहिए न कि मेरे दिमाग से और यह तब तक संभव नहीं है जबतक कि मैं इस पहलू से 'जागरूक' नहीं हूं.'

न्यायमूर्ति ने लिखा, 'इस उद्देश्य से मैं इस विषय के मनोविज्ञान की शिक्षा मनोचिकित्सक वैद्या दिनाकरन से लेना चाहता हूं और मैं अनुरोध करता हूं कि वह इसके लिए अपनी सुविधानुसार समय दें.'

न्यायमूर्ति ने कहा कि वह ईमानदारी से महसूस करते हैं कि पेशेवरों के साथ ऐसे सत्र से उन्हें बेहतर तरीके से समलैंगिक संबंधों को समझने में मदद मिलेगी और 'उनके ज्ञान के रास्ते खुलेंगे.' उन्होंने कहा, 'अगर मैं मानोविज्ञान को समझने के बाद फैसला लिखता हूं, तो मुझे विश्वास है कि वे शब्द मेरे हृदय से निकलेंगे.'

इसके साथ ही न्यायमूर्ति ने मामले की सुनवाई सात जून तक के लिए टाल दी.

उल्लेखनीय है कि लिव इन रिलेशन में रह रही दो महिलाओं ने याचिका दायर कर अपनी जिंदगी की रक्षा करने और अभिभावकों के हस्तक्षेप के बना साथ रहने देने की गुहार लगाई है.

पढ़ें-महिला आईपीएस अधिकारी के यौन उत्पीड़न मामले में हाई कोर्ट कर रहा सीधी निगरानी

इससे पहले न्यायमूर्ति ने याचिकाकर्ता महिलाओं के माता-पिता को भी इस क्षेत्र के विशेषज्ञ से परामर्श लेने को कहा था.

चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने समलैंगिक रिश्तों पर फैसला सुनाने से पहले ऐसे संबंधों के मनोविज्ञान का अध्ययन करने का फैसला किया है ताकि वह पूरे प्रकरण को समझ सकें एवं आदेश 'दिल' से लिख सकें.

समलैंगिक संबंधों के मामलों में दिशानिर्देश के लिए समलैंगिक जोड़े की याचिका पर न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकेटश ने हाल में दिया फैसले में कहा,'मैं इस पूरे प्रकरण को समझने के लिए खुद को कुछ समय देना चाहता हूं.' उन्होंने लिखा, 'अंतत: इस मामले में शब्द मेरे दिल से आने चाहिए न कि मेरे दिमाग से और यह तब तक संभव नहीं है जबतक कि मैं इस पहलू से 'जागरूक' नहीं हूं.'

न्यायमूर्ति ने लिखा, 'इस उद्देश्य से मैं इस विषय के मनोविज्ञान की शिक्षा मनोचिकित्सक वैद्या दिनाकरन से लेना चाहता हूं और मैं अनुरोध करता हूं कि वह इसके लिए अपनी सुविधानुसार समय दें.'

न्यायमूर्ति ने कहा कि वह ईमानदारी से महसूस करते हैं कि पेशेवरों के साथ ऐसे सत्र से उन्हें बेहतर तरीके से समलैंगिक संबंधों को समझने में मदद मिलेगी और 'उनके ज्ञान के रास्ते खुलेंगे.' उन्होंने कहा, 'अगर मैं मानोविज्ञान को समझने के बाद फैसला लिखता हूं, तो मुझे विश्वास है कि वे शब्द मेरे हृदय से निकलेंगे.'

इसके साथ ही न्यायमूर्ति ने मामले की सुनवाई सात जून तक के लिए टाल दी.

उल्लेखनीय है कि लिव इन रिलेशन में रह रही दो महिलाओं ने याचिका दायर कर अपनी जिंदगी की रक्षा करने और अभिभावकों के हस्तक्षेप के बना साथ रहने देने की गुहार लगाई है.

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इससे पहले न्यायमूर्ति ने याचिकाकर्ता महिलाओं के माता-पिता को भी इस क्षेत्र के विशेषज्ञ से परामर्श लेने को कहा था.

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