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कमल की आंधी भी नहीं रोक पाई कांग्रेस के मुस्लिम कैंडिडेट्स का विजयरथ, जानें क्यों हाशिए पर है एमपी में ये समुदाय

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 3, 2023, 10:34 PM IST

Madhya Pradesh Election Result 2023: मध्यप्रदेश में चुनावी परिणाम सामने आ गए हैं. बीजेपी के आंधी में कांग्रेस के कई दिग्गज हवा हो गए. लेकिन इस बीच जो कांग्रेस के लिए खुश करने वाली खबर आई, वो है भोपाल की मध्य और उत्तर विधानसभा से उनके उम्मीदवारों की जीत. एमपी ये ही दो ऐसे मुस्लिम विधायक थे, जिन्हें कांग्रेस पार्टी ने चुनावी मैदान में उतारा था.

Arif Masood and Arif Aqueel
आरिफ मसूद और आरिफ अकील

भोपाल। 65 लाख की मुस्लिम आबादी वाले प्रदेश में इस बार सिर्फ दो ही मुस्लिम विधायक विधानसभा में जनता के आशीर्वाद से एंट्री कर सकेंगे. जी, हां प्रदेश की सियासत में हाशिए पर इस समुदाय के प्रतिनिधित्व तो मिला, लेकिन वो भी कांग्रेस के टिकट पर लड़ रहे, भोपाल मध्य से आरिफ मसूद और भोपाल उत्तर से आरिफ अकील के बेटे आतिफ अकील जीत हासिल करने में कामयाब हुए हैं.

पिता की बचाई विरासत, जीत का अंतर भी बड़ा: हम पहले बात कर लेते हैं, भोपाल की उत्तर विधानसभा सीट की. यहां से दिग्गज कांग्रेस नेता आरिफ अकील ने 27 हजार वोटों से शहर के पूर्व महापौर आलोक शर्मा को हरा दिया. उत्तर भोपाल विधानसभा कांग्रेस का मजबूत गढ़ है. आप इशका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं, पूर्व महापौर भी इस सीट पर कमल खिला सकने में कामयाब नहीं हो सके.

इस सीट पर नजर डालें, तो साल 1977 में उत्तर भोपाल विधानसभा क्षेत्र घोषित हुआ. इस सीट पर सिर्फ बीजेपी साल 1993 में ही जीत सकी. इसके बाद इस सीट पर आरिफ अकील अंगद की तरह ही जम गए. इस बार उन्होंने ज्यादा उम्र का हवाला देकर चुनाव नहीं लड़ा, और अपने बेटे को टिकट दिलाया.

भोपाल मध्य से मुस्लिम विधायक आरिफ मसूद जीते: इधर, भोपाल जिले की भोपाल मध्य सीट से भी कांग्रेस के विधायक आरिफ मसूद जीतने में सफल हुए. उन्होंने ध्रुव नारायण सिंह को 15891 वोटों से हराया. 2008 में अस्तित्व में आई इस सीट पर आरिफ की लगातार ये दूसरी जीत है. हालांकि, 2008 और 2013 में यहां पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी.

क्यों नहीं देती पार्टियां: आजकल वोटों का तुष्टीकरण भी पार्टियों के लिए उम्मीदवारों के चुनाव में काफी अहम रहता है. करीबन 7 करोड़ की आबादी में सिर्फ 65 लाख ही मुस्लिम वोट हैं. यानि प्रदेश में मुस्लिम समाज बहुमत का 7% हिस्सा ही रखता है.

प्रदेश में क्या हैं मुस्लिम आबादी की मांग: अब प्रदेश का मुस्लिम समुदाय चुनावी दावेदारी की बात कम ही प्रदेश में करता दिखाई देता है. लेकिन इसके कुछ मांगे हैं, सरकार से. इसमें मुस्लिमों का शिक्षा में आरक्षण, नई शिक्षा में मातृभाषा की सुविधा, उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति, मुस्लिम समुदाय को नौजवानों को रोजगार देने के लिए बोर्ड का गठ, सच्चर कमेटी की सिफारिशें, मुस्लिम बच्चियों को शहरों में अलग से हॉस्टल, साम्प्रदायिक दंगा विरोधी कानून, भड़काऊ भाषण पर रोक, और समुदाय की सुरक्षा की मांगे शामिल हैं.

प्रदेश के 19 जिले में मुस्लिम समुदाय की संख्या 1 लाख: एमपी में 50 लाख से ज्यादा मुस्लिम आबादी है. इसमें से प्रदेश के 19 जिले ऐसे हैं. इनका प्रतिशत एक लाख से ऊपर है. 230 में से 69 सीटें ऐसी हैं, जिनमें मुसलमान वोटर प्रभावी हैं. 47 सीटों पर पांच से 15 प्रतिशत मुसलमान वोटर का असर है. 22 सीटें ऐसी हैं, जहां ये प्रतिशत 20 से 30 परसेंट के आस पास है.

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भोपाल। 65 लाख की मुस्लिम आबादी वाले प्रदेश में इस बार सिर्फ दो ही मुस्लिम विधायक विधानसभा में जनता के आशीर्वाद से एंट्री कर सकेंगे. जी, हां प्रदेश की सियासत में हाशिए पर इस समुदाय के प्रतिनिधित्व तो मिला, लेकिन वो भी कांग्रेस के टिकट पर लड़ रहे, भोपाल मध्य से आरिफ मसूद और भोपाल उत्तर से आरिफ अकील के बेटे आतिफ अकील जीत हासिल करने में कामयाब हुए हैं.

पिता की बचाई विरासत, जीत का अंतर भी बड़ा: हम पहले बात कर लेते हैं, भोपाल की उत्तर विधानसभा सीट की. यहां से दिग्गज कांग्रेस नेता आरिफ अकील ने 27 हजार वोटों से शहर के पूर्व महापौर आलोक शर्मा को हरा दिया. उत्तर भोपाल विधानसभा कांग्रेस का मजबूत गढ़ है. आप इशका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं, पूर्व महापौर भी इस सीट पर कमल खिला सकने में कामयाब नहीं हो सके.

इस सीट पर नजर डालें, तो साल 1977 में उत्तर भोपाल विधानसभा क्षेत्र घोषित हुआ. इस सीट पर सिर्फ बीजेपी साल 1993 में ही जीत सकी. इसके बाद इस सीट पर आरिफ अकील अंगद की तरह ही जम गए. इस बार उन्होंने ज्यादा उम्र का हवाला देकर चुनाव नहीं लड़ा, और अपने बेटे को टिकट दिलाया.

भोपाल मध्य से मुस्लिम विधायक आरिफ मसूद जीते: इधर, भोपाल जिले की भोपाल मध्य सीट से भी कांग्रेस के विधायक आरिफ मसूद जीतने में सफल हुए. उन्होंने ध्रुव नारायण सिंह को 15891 वोटों से हराया. 2008 में अस्तित्व में आई इस सीट पर आरिफ की लगातार ये दूसरी जीत है. हालांकि, 2008 और 2013 में यहां पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी.

क्यों नहीं देती पार्टियां: आजकल वोटों का तुष्टीकरण भी पार्टियों के लिए उम्मीदवारों के चुनाव में काफी अहम रहता है. करीबन 7 करोड़ की आबादी में सिर्फ 65 लाख ही मुस्लिम वोट हैं. यानि प्रदेश में मुस्लिम समाज बहुमत का 7% हिस्सा ही रखता है.

प्रदेश में क्या हैं मुस्लिम आबादी की मांग: अब प्रदेश का मुस्लिम समुदाय चुनावी दावेदारी की बात कम ही प्रदेश में करता दिखाई देता है. लेकिन इसके कुछ मांगे हैं, सरकार से. इसमें मुस्लिमों का शिक्षा में आरक्षण, नई शिक्षा में मातृभाषा की सुविधा, उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति, मुस्लिम समुदाय को नौजवानों को रोजगार देने के लिए बोर्ड का गठ, सच्चर कमेटी की सिफारिशें, मुस्लिम बच्चियों को शहरों में अलग से हॉस्टल, साम्प्रदायिक दंगा विरोधी कानून, भड़काऊ भाषण पर रोक, और समुदाय की सुरक्षा की मांगे शामिल हैं.

प्रदेश के 19 जिले में मुस्लिम समुदाय की संख्या 1 लाख: एमपी में 50 लाख से ज्यादा मुस्लिम आबादी है. इसमें से प्रदेश के 19 जिले ऐसे हैं. इनका प्रतिशत एक लाख से ऊपर है. 230 में से 69 सीटें ऐसी हैं, जिनमें मुसलमान वोटर प्रभावी हैं. 47 सीटों पर पांच से 15 प्रतिशत मुसलमान वोटर का असर है. 22 सीटें ऐसी हैं, जहां ये प्रतिशत 20 से 30 परसेंट के आस पास है.

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