उदयपुर. नानी बाई के मायरे की कथा सुनाते अब तक आपने कई कथा वाचकों को देखा होगा. इनमें जया किशोरी सबसे प्रसिद्ध हैं, लेकिन इन दिनों मेवाड़ में नन्ही कथा वाचक सबका ध्यान आकर्षित कर रही हैं. राजस्थान के उदयपुर जिले के गोवर्धन विलास क्षेत्र के बड़बड़ेश्वर शिव मंदिर में 7 साल की हिमांशी नानी बाई के मायरे की कथा सुना रही हैं, जिन्हें सुनने के लिए हर रोज बड़ी संख्या में शहरवासी पहुंंच रहे हैं. उनका कहना है कि नन्ही बालिका के मुख से कथा सुनना अपने आप में मंत्र मुग्ध करने वाला है.
उदयपुर में चल रही नानी बाई की कथा : उदयपुर के गोवर्धन विलास क्षेत्र के बड़बड़ेश्वर शिव मंदिर में 3 दिन की नानी बाई रो मायरो कथा सोमवार को शुरू हुई. श्री 1008 दिगम्बर कुशाल भारती जी के चातुर्मास में 7 वर्षीय बाल विदुषी कथा वाचक हिमांशी लोहार व्यासपीठ पर बैठकर कथा सुना रही हैं. चौथी कक्षा में पढ़ रही हिमांशी संकल्प के तहत छठी बार यह कथा सुना रही हैं. नन्ही हिमांशी से प्रसंगों को सुनकर श्रद्धालु भी हैरत में हैं.
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जया किशोरी आइडल : मध्यप्रदेश में नीमच के पास जावद तहसील के बोरखेड़ी की हिमांशी की उम्र 7 साल है और वो चौथी क्लास में पढ़ती हैं. हिमांशी ने बताया कि करीब 7 महीने पहले उन्होंने मोबाइल पर विख्यात कथावाचक जया किशोरी को नानी बाई के मायरे की कथा कहते हुए सुना था. वो इससे काफी प्रभावित हुईं और उन्होंने भी अपने मन में ऐसे ही कथावाचक बनने का सपना संजोया. हिमांशी ने अपने दिल की बात अपनी बुआ को बताई. कई दिनों तक उन्होंने जया किशोरी की कथा को मोबाइल पर देखा. इसके बाद हिमांशी ने कई दिनों तक इसका अभ्यास किया. हिमांशी ने बताया कि वह मशहूर कथा वाचक जया किशोरी को अपना आइडल मानती हैं.
7 महीने पहले शुरू किया कथा वाचन : हिमांशी ने बताया कि उन्होंने अपनी बुआ से नानी बाई की कथा को सुना और समझा. बुआ ने भी हिमांशी की ललक और इच्छाशक्ति को देखते हुए पूरे नानी बाई की कथा के मायरे की कहानी लिख कर दी. कई दिनों तक सीखने के बाद भी उसे व्यासपीठ नहीं मिली. ऐसे में वो जावद से नीमच में स्थित 22 किलोमीटर खाटू श्याम जी के मंदिर पैदल चल कर गईं और भगवान से अरदास लगाई. इसके बाद उन्हें पहली बार कथा वाचन का मौका मिला. हिमांशी ने इसी वर्ष 2 जनवरी को पहली कथा की थी. हिमांशी ने कहा कि जैसे सभी बच्चे अपने माता-पिता का नाम रोशन करते हैं, वैसे ही मैं मध्य प्रदेश और भारत का नाम रोशन करुंगी, आगे मैं शिवपुराण की कथा की भी तैयारी कर रही हूं.
पिता भी बच्ची के साथ बजाते हैं ऑर्गन : हिमांशी की बुआ गायत्री पंचाल ने बताया कि पिछले साल हिमांशी ने जया किशोरी के मुंह से नानी बाई रो मायरा कथा सुनी थी. तब से ही ठान ली कि वह भी कथा बांचेगी. हिमांशी के पापा प्राइवेट जॉब करते हैं, लेकिन अपनी नौकरी के दौरान कई बार वो हिमांशी के साथ कथा में ऑर्गन बजाने का भी काम करते हैं. हिमांशी के तीन बहने हैं, दो उनसे छोटी और एक बड़ी हैं. उन्होंने कहा कि हिमांशी के इस काम में उनका पूरा परिवार उनके साथ है.
कथा सुनने आए श्रद्धालुओं ने कहा कि यह नन्ही बालिका जिस तरह से कथा पढ़ रही है, यह बहुत आगे जाएगी. यह देश का नाम भी रोशन करेगी. लोगों ने कहा कि वर्तमान के दौर में जहां बच्चे सोशल मीडिया और मोबाइल में गेम खेलने में अपना समय व्यतीत कर रहे हैं, वहां एक नन्ही बच्ची माता-पिताओं को एक मार्गदर्शन देने का काम कर रही है. कथा में हिमांशी के शब्द चयन, कथा के दौरान हाव-भाव और प्रसंगों के चित्रण से श्रद्धालु भी अचंभित हैं.