हरदा : आपने किसानों के बीच अपने खेतों में नहर के पानी लेने को लेकर विवाद के बारे में तो पढ़ा ही होगा. लेकिन मध्य प्रदेश के हरदा जिले के ग्राम सोनखेड़ी के कुछ किसानों ने भाईचारे और परमार्थ की एक अनूठी मिसाल पेश की है.
हरदा जिले के किसानों ने मूंग की फसल करीब सवा लाख हेक्टेयर में लगाई है. लेकिन क्षेत्र में किसानों को अपनी फसल के लिए नहर का पानी बीते 10 दिनों से नहीं मिल रहा था. जिसके चलते सैकड़ों एकड़ में लगी मूंग की फसल सूखने की कगार पर थी.
इसी बात को ध्यान में रखकर ग्राम सोनखेड़ी के किसानों ने अपने खेत में पर्याप्त पानी होने के बाद उनके पड़ोस के किसानों की सूख रही फसल को बचाने के लिए खुद के खेत में लगे निजी जल स्रोतों से नहरों में पानी छोड़कर आस-पड़ोस के कई किसानों की सूखती फसल काे जीवन दान दिया है.
जल उपयोगिता समिति की बैठक
नहर विभाग द्वारा जल उपयोगिता समिति की बैठक के दौरान हरदा जिले के किसानों के साथ चर्चा कर ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल के लिए करीब 60 हेक्टेयर में 50 से 55 दिनों के बीच तवा डैम से पानी छोड़े जाने पर सहमति बनी.
वहीं कृषि मंत्री कमल पटेल द्वारा किसानों को ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल के लिए टेल-टू-हेड नहरों में पानी देने का आश्वासन दिया गया.
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दबंग किसानों का 'स्वार्थपन'
टेल एरिया के किसानों ने मूंग की फसल को पर्याप्त पानी नहीं मिलने पर शासन को चेतावनी देकर चक्का जाम करने की बात कही थी. जिसके बाद कृषि मंत्री कमल पटेल के निर्देश पर तवा डैम से पानी छोड़ा गया था, लेकिन दबंग और रसूखदार किसानों ने हैंड पंप लगाकर सिंचाई की, जिसके चलते कई किसानों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाया.
भाईचारे से खेतों में पहुंचा पानी
ग्राम सोनखेड़ी के किसानों ने निर्णय लिया कि जब उनके खेत में लगी मूंग की फसल को पर्याप्त पानी मिल गया है, तो फिर क्यों न वह अपने पड़ोस और टेल एरिया के किसानों को उनकी फसल को बचाने के लिए अपने खेतों में लगे ट्यूबवेल के माध्यम से नहरों में पानी छोड़ कर फसल बचाएं.
इस निर्णय के तहत टेल एरिया के किसानों को पानी उपलब्ध कराया जा रहा है.
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किसानों की मांग है कि यदि उन्हें पर्याप्त बिजली उपलब्ध कराई दी जाए, तो उनके द्वारा और भी एरिया में सिंचाई के लिए पानी पहुंचाया जा सकता है.