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लुफ्थांसा ने 103 भारतीय उड़ान परिचारकों को नौकरी से निकाला - लुफ्थांसा भारतीय उड़ान परिचारक

लुफ्थांसा के एक प्रवक्ता ने बयान में कहा कि कोरोना वायरस महामारी के गंभीर वित्तीय प्रभाव के चलते एयरलाइन के लिए पुनर्गठन के अलावा और कोई चारा नहीं बचा है. कंपनी दिल्ली स्थित उन उड़ान परिचारकों को सेवा विस्तार नहीं दे सकती है, जो तय अवधि के अनुबंध पर हैं.

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Published : Feb 12, 2021, 5:36 PM IST

मुंबई : जर्मनी की एयरलाइन लुफ्थांसा ने भारत में रखे गए 103 उड़ान परिचारकों को नौकरी की गारंटी मांगने पर सेवा से निकाल दिया है. कंपनी ने उन्हें दो साल तक बिना वेतन के अवकाश पर जाने का विकल्प दिया था. मामले से जुड़े सूत्रों ने इसकी जानकारी दी.

ईटीवी भारत को दिए एक बयान में एयरलाइन के एक प्रवक्ता ने कहा, लुफ्थांसा को यह पुष्टि करते हुए दुख हो रहा है कि वह दिल्ली स्थित उन उड़ान परिचारकों की सेवाओं को विस्तार नहीं दे रही है, जो तय अवधि के लिए नौकरी पर रखे गए थे. कोरोना वायरस महामारी के गंभीर वित्तीय प्रभाव ने लुफ्थांसा के समक्ष एयरलाइन के पुनर्गठन के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ा है. इन उपायों में भारत जैसे अहम अंतरराष्ट्रीय बाजार के साथ साथ जर्मनी और यूरोप में भी कर्मचारियों से संबंधित किए गए उपाय शामिल हैं.

सूत्रों ने कहा कि ये कर्मचारी एयरलाइन के साथ एक निश्चित अनुबंध पर काम कर रहे थे और इनमें से कुछ 15 साल से अधिक समय से कंपनी के साथ थे.

पढ़ें :- भारत में वाणिज्यिक अंतरराष्ट्रीय उड़ान प्रतिबंध 28 फरवरी तक बढ़ाया गया

जानकारी के अनुसार, कई सारे कर्मचारियों की सेवाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है क्योंकि कंपनी उनके साथ अलग-अलग समझौते कर पाने में सफल रही है.

कंपनी ने कहा कि उसने मौजूदा स्थिति को देखते हुए 2025 तक की दीर्घकालिक योजनाओं में विमानों की संख्या में 150 की कटौती करनी होगी. इससे केबिन क्रू के कर्मियों की संख्या पर भी असर होगा. इन सबके अतिरिक्त विभिन्न देशों की सरकारों के द्वारा अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर लगाई गई पाबंदियों से केबिन क्रू के कर्मचारियों के पास खास काम नहीं बचा है.

मुंबई : जर्मनी की एयरलाइन लुफ्थांसा ने भारत में रखे गए 103 उड़ान परिचारकों को नौकरी की गारंटी मांगने पर सेवा से निकाल दिया है. कंपनी ने उन्हें दो साल तक बिना वेतन के अवकाश पर जाने का विकल्प दिया था. मामले से जुड़े सूत्रों ने इसकी जानकारी दी.

ईटीवी भारत को दिए एक बयान में एयरलाइन के एक प्रवक्ता ने कहा, लुफ्थांसा को यह पुष्टि करते हुए दुख हो रहा है कि वह दिल्ली स्थित उन उड़ान परिचारकों की सेवाओं को विस्तार नहीं दे रही है, जो तय अवधि के लिए नौकरी पर रखे गए थे. कोरोना वायरस महामारी के गंभीर वित्तीय प्रभाव ने लुफ्थांसा के समक्ष एयरलाइन के पुनर्गठन के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ा है. इन उपायों में भारत जैसे अहम अंतरराष्ट्रीय बाजार के साथ साथ जर्मनी और यूरोप में भी कर्मचारियों से संबंधित किए गए उपाय शामिल हैं.

सूत्रों ने कहा कि ये कर्मचारी एयरलाइन के साथ एक निश्चित अनुबंध पर काम कर रहे थे और इनमें से कुछ 15 साल से अधिक समय से कंपनी के साथ थे.

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जानकारी के अनुसार, कई सारे कर्मचारियों की सेवाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है क्योंकि कंपनी उनके साथ अलग-अलग समझौते कर पाने में सफल रही है.

कंपनी ने कहा कि उसने मौजूदा स्थिति को देखते हुए 2025 तक की दीर्घकालिक योजनाओं में विमानों की संख्या में 150 की कटौती करनी होगी. इससे केबिन क्रू के कर्मियों की संख्या पर भी असर होगा. इन सबके अतिरिक्त विभिन्न देशों की सरकारों के द्वारा अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर लगाई गई पाबंदियों से केबिन क्रू के कर्मचारियों के पास खास काम नहीं बचा है.

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