लखनऊ : करीब 70 किलोमीटर लंबी एक सड़क जिस पर आधे से ज्यादा हिस्से में उबड़ खाबड़ रास्ता है. इस सड़क पर लखनऊ कानपुर एक्सप्रेसवे का निर्माण चल रहा है. जिसकी वजह से लोगों को कानपुर पहुंचने में करीब चार घंटे तक का समय लग रहा है. इसके बावजूद यात्रियों से पूरा टोल वसूला जा रहा है. नियमों के मुताबिक, अगर सुचारू सड़क नहीं दी जा रही है तो टाल वसूलना अनुचित होता है. अगले करीब डेढ़ साल तक लखनऊ कानपुर एक्सप्रेसवे का निर्माण होता रहेगा, इस दौरान लोगों की परेशानी बनी रहेगी. कानपुर लखनऊ एक्सप्रेसवे के निर्माण की वजह से हाईवे का सफर डेढ़ से दो घंटे की जगह अब चार घंटे तक में हो रहा है.
लखनऊ कानपुर हाइवे को लेकर अनुबंध की शर्तों में सड़क का रफनेस इंडेक्स (खुरदरापन) का भी जिक्र होता है. इस रोड पर यह रफनेस तीन हजार बंप प्रति किलोमीटर होनी चाहिए. आम समझ की भाषा में कहें तो तीन हजार मिलीमीटर यानी तीन मीटर प्रति किलोमीटर से ज्यादा रफनेस नहीं होनी चाहिए. अनुबंध की इस शर्त के मायने यह हैं कि प्रति किलोमीटर में औसतन तीन मीटर से ज्यादा हल्के-फुल्के जर्क (झटके) भी नहीं लगने चाहिए. लेकिन, यहां हाईवे के प्रत्येक किलोमीटर का अधिकांश हिस्सा गड्ढों में तब्दील हो चुका है. किसी भी सड़क पर निजी कंपनी को टोल वसूलने का अधिकार देने से पहले भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) उसके साथ अनुबंध करता है. 75 किलोमीटर लंबा लखनऊ-कानपुर राजमार्ग ऑपरेट, मेंटेन एंड ट्रांसफर यानी ओएमटी मॉडल पर पीएंडसी कंपनी को दिया गया है. वर्ष-2013 में उसके साथ अनुबंध किया गया. तय हुआ कि पहले साल कंपनी एनएचएआई को 150 करोड़ रुपये देगी, उसके बाद इस राशि में हर साल 10 फीसदी की बढ़ोत्तरी होगी. इन सारे नियमों और कायदों को किनारे रखकर निजी कंपनी अपनी मनमानी कर रही है. जिसकी वजह से लखनऊ कानपुर एक्सप्रेसवे के निर्माण के दौरान जो जगह-जगह सड़क खराब हुई है. लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
कोर्ट ने एक मामले में जताई थी नाराजगी : अगस्त 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ में खराब हाईवे पर सख्त आदेश दिया था कि अगर टोल लिया जा रहा है और सड़क खराब है तो टोल क्यों लिया जा रहा है. इसके बाद में छत्तीसगढ़ में टोल टैक्स की संख्या में 20 फीसदी की कटौती की गई थी. इसके अतिरिक्त हाईवे को सही करने का भी आदेश दिया गया था. रायपुर में सड़क की जर्जर हालत को देखते हुए 25 किलोमीटर तक लोगों का चलन दूभर था.
45 लाख रुपये की टोल वसूली : सूत्रों की मानें तो लखनऊ कानपुर एक्सप्रेसवे पर रोजाना एक लाख वाहनों का आवागमन होता है. लगभग 45 लाख रुपए की टोल वसूली हो जाती है. नवाबगंज में टोल प्लाजा बना हुआ है.
इस बारे में लखनऊ जनकल्याण महासमिति के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे ने बताया कि 'कानपुर लखनऊ जाने वाले कई लोगों ने अपनी पीड़ा उनसे बताई है, यह सरकारी ठगी है जो टोल वसूली करके आम लोगों से हो रही है. इसको रोका जाना बहुत जरूरी है.'
लखनऊ जन कल्याण में समिति के वरिष्ठ पदाधिकारी विवेक शर्मा ने बताया कि 'निश्चित तौर पर सरकार को अब टोल नहीं लेना चाहिए, क्योंकि रास्ता खराब है और हम पैसा अच्छे रास्ते का देते हैं.'
NHAI के प्रोजेक्ट मैनेजर सौरभ चौरसिया ने बताया कि 'हमने ट्रैफिक डाइवर्ट करके लोगों की परेशानी कम की है. हमारा टोल जोकि 45 लाख रुपए रोजाना का होता था वह अब 25 लाख तक हो गया है. इस तरह से देखा जाए. तो हम भी नुकसान में हैं बहुत जल्द ही य़ह परेशानी भी हल हो जाएगी.'