भरतपुर (राजस्थान) : मुगल बादशाह अकबर के बेटे राजकुमार सलीम और उनके दरबार की नर्तकी अनारकली की प्रेम कहानी किसी से छुपी हुई नहीं है, लेकिन इतिहास के पन्नों में भरतपुर के युवराज जवाहर सिंह और गन्ना बेगम की प्रेम कहानी पर समय की गर्द छाई हुई है. आज इस गर्द को हम कुछ साफ करने जा रहे हैं. आपको सुनाएंगे युवराज जवाहर और गन्ना बेगम की प्रेम कहानी...
युवराज जवाहर सिंह और गन्ना बेगम एक दूसरे को बेइंतहा मोहब्बत करते थे, लेकिन दोनों की मोहब्बत भरतपुर के महाराजा और युवराज के पिता सूरजमल को नागवार थी. युवराज जवाहर सिंह और गन्ना बेगम की प्रेम की दर्द भरी दास्तां से जुड़े कई रोचक तथ्यों को भरतपुर के इतिहासकारों ने ईटीवी भारत के साथ साझा किया है.
गन्ना बेगम का परिचय
गन्ना बेगम ईरानी मुस्लिम नृत्यांगना थी. माता-पिता दोनों शायर थे और दिल्ली में रहते थे. गन्ना के पिता का देहांत उसके जन्म के कुछ वर्ष बाद ही हो गया था. गन्ना की मां मन्ना बेगम दिल्ली की मशहूर नाचने-गाने वाली थी. मगर उसने एक सरदार के साथ निकाह करने के बाद यह पेशा छोड़ दिया.
जवाहर सिंह और गन्ना की मुलाकात
जाट अधीन आगरा शहर में एक रिश्तेदार पर गन्ना के पिता का कुछ रुपया उधार था, उसे लेने के वास्ते गन्ना कठोर निगरानी और सुरक्षा में आगरा निवास कर रही थी. उसी वक्त गन्ना बेगम और राजकुमार जवाहर सिंह का मिलन हुआ. भरतपुर के राजकुमार जवाहर सिंह आगरा में युद्ध अभियान पर थे. वहीं गन्ना बेगम थी. एक दिन गन्ना बेगम नृत्य में मशगूल थी और उसी समय वहां से गुजर रहे राजकुमार जवाहर सिंह की उन पर नजर पड़ी.
गन्ना की खूबसूरती पर मोहित हो गए जवाहर
राजकुमार जवाहर सिंह उसकी बेइंतहा खूबसूरती को देखकर अपना दिल दे बैठे. राजकुमार जवाहर सिंह ने गन्ना बेगम से मिलकर अपने प्रेम का इजहार किया और उसे जीवन साथी बनाने की इच्छा जताई. इसके बाद दोनों का प्रेम परवान चढ़ता गया, लेकिन इसकी जानकारी महाराजा सूरजमल तक भी जल्द पहुंच गई. राजकुमार जवाहर सिंह और गन्ना बेगम का हर दिन मिलना-जुलना होता रहा और एक दिन राजकुमार जवाहर सिंह ने गन्ना बेगम से साथ चलने के लिए कहा, लेकिन गन्ना बेगम ने साथ चलने से मना कर दिया.
गन्ना बेगम ने कहा कि कुछ दिन बाद वह पूरे खेमे के साथ फर्रुखाबाद जाएंगे. उस समय रास्ते में राजकुमार जवाहर सिंह अपनी छोटी सी सैन्य टुकड़ी लेकर हमला करके उन्हें अहमद खां वंगश की कैद से छुड़ा ले जाएं. इससे लोग उनसे उल्टे-सीधे सवाल भी नहीं करेंगे और वह खुद को राजपूतानी बताकर उनके साथ आराम से जीवन यापन कर सकेंगी.
महाराजा सूरजमल ने योजना पर फेरा पानी
योजना के अनुसार, गन्ना बेगम अपनी मां और काफिले के साथ फर्रुखाबाद के लिए निकल पड़ी और उसी समय राजकुमार जवाहर सिंह ने अपने ढाई सौ घुड़सवारों के साथ उनके काफिले पर हमला बोल दिया, लेकिन ठीक उसी समय सूचना पाकर महाराजा सूरजमल अपने 2000 सैनिकों के साथ मौके पर पहुंच गए और राजकुमार जवाहर सिंह को डांट लगाते हुए कहा कि हम इस तरह की बटमारी (लूट) नहीं करते.
तुमने हमारे कुल को बुरी तरह लजाया है. मजबूरन राजकुमार जवाहर सिंह पिता के साथ भरतपुर लौट आना पड़ा और उधर गन्ना बेगम अपनी मां के साथ फर्रुखाबाद रोहिल्ला सरदार के घर पहुंच गई.
दिल्ली के वजीर से करा दिया विवाह
महाराजा सूरजमल ने गन्ना बेगम को अपने रास्ते से हटाने के लिए और रणनीतिक सोच के तहत गन्ना बेगम का विवाह दिल्ली के वजीर शहाबुद्दीन के साथ करा दिया. उधर बेबस गन्ना बेगम अपने प्यार को सीने में लिए दिन काटती रही. एक वक्त आने पर कुतुबशाह ने मरणासन्न दत्ताजी का सिर काटकर नजीब को भेंट कर दिया और शाहबुद्दीन तुरंत दिल्ली छोड़कर भरतपुर किले पहुंच गया. जहां महाराजा सूरजमल ने उनको अपने किले में शरण दी. साथ में ही उसकी बेगम गन्ना भी भरतपुर आई थी.
यहां राजकुमार जवाहर सिंह और गन्ना बेगम के बीच फिर से मेल-मिलाप बढ़ने लगा. राजकुमार जवाहर सिंह और गन्ना बेगम के मिलने की सूचना फिर से महाराजा सूरजमल को मिली और उन्होंने राजकुमार जवाहर सिंह को डीग के महलों में भेज दिया. गन्ना बेगम के प्रेम में राजकुमार जवाहर सिंह ने अपने पिता महाराजा सूरजमल के खिलाफ ही युद्ध का बिगुल बजा दिया और दोनों के बीच डीग में भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें राजकुमार जवाहर सिंह के एक हाथ और एक पैर घायल हो गए. महाराजा सूरजमल ने पुत्रमोह में घायल राजकुमार जवाहर सिंह की जान बख्श दी. इस तरह एक बार फिर महाराजा सूरजमल राजकुमार जवाहर सिंह और गन्ना बेगम के प्रेम के बीच में दीवार बनकर खड़े हो गए.
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शाहबुद्दीन ने उगला भेद
एक रात शाहबुद्दीन ने नशे में चूर होकर गन्ना बेगम को राज की ऐसी बात बताई, जिससे गन्ना बेगम सहम गई. शाहबुद्दीन ने बताया कि नजीब खां उसे दिल्ली का वजीर मानने के लिए तैयार हो गया है. ऐसे में होल्कर की 20 हजार सेना और मराठा फौज जवाहर सिंह के खिलाफ होकर नजीब खां से मिल जाएगी.
पूरा भेद जानकर गन्ना बेगम सरदार का भेष धारण कर कुछ सैनिकों के साथ अपने प्रेम की रक्षा करने के लिए निकल पड़ी और युद्ध मैदान में डटे हुए जवाहर सिंह के किले पर पहुंची और पूरी साजिश के बारे में जानकारी दी, जिससे राजकुमार जवाहर सिंह अपने दुश्मन नजीब खां, शाहबुद्दीन और मराठा सरदारों की धोखाधड़ी से बच गए.
गन्ना बेगम ने प्यार में दे दी जान
समय का चक्र घूमता रहा. महाराजा सूरजमल शहीद हो गए और उसके बाद जवाहर सिंह ने भरतपुर की गद्दी संभाली. महाराजा जवाहर सिंह अपने पिता की हत्या का बदला लेने अपनी प्रजा की आन-बान-शान के खातिर अपने फर्ज से विचलित नहीं हुआ और संघर्षों में लगे रहे. आखिर में एक दिन महाराजा जवाहर सिंह भी वीरगति को प्राप्त हो गए.
गन्ना बेगम को जब महाराजा जवाहर सिंह की मौत का समाचार मिला तो वह वियोग में पागल जैसी हो गई. आखिर एक दिन वियोग पीड़ा में गन्ना बेगम ने महाराजा जवाहर सिंह की याद में विषपान करके अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली.