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लव जिहाद भाजपा के विभाजनकारी एजेंडे का हिस्सा : कांग्रेस

कांग्रेस ने लव जिहाद मुद्दे पर भाजपा सरकार को एक बार फिर आड़े हाथों लिया है. हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने लव जिहाद को भाजपा और आरएसएस के विभाजनकारी एजेंडे का एक हिस्सा बताया है.

कुमारी सैलजा
कुमारी सैलजा
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Published : Dec 30, 2020, 5:39 PM IST

नई दिल्ली : लव जिहाद मुद्दे पर कांग्रेस ने भाजपा पर एक बार फिर निशाना साधा है. हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि लव जिहाद भाजपा और आरएसएस के विभाजनकारी एजेंडे का एक हिस्सा है. मुझे नहीं पता कि यह किस उपयोगी उद्देश्य की पूर्ति करेगा.

उन्होंने कहा कि यह मुद्दा सिर्फ 104 सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी नहीं उठाया, बल्कि कोई भी सामान्य स्वतंत्र सोच वाला व्यक्ति कहेगा कि किसी भी देश में इस तरह के कानून नहीं हो सकते हैं.

मामले के बाद भी अदालतें आगे बढ़ रही हैं और कह रही हैं कि कुछ मुद्दे हैं जो दो व्यक्तियों के बीच हैं और उन्हें खुद ही फैसला करना है कि क्या करना है.

लव-जिहाद विरोधी कानून के इस्तेमाल पर गहरी अस्वीकृति और चिंता व्यक्त करते हुए, सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने इसे वापस लेने की मांग की. इसके साथ ही नौकरशाहों ने इसके तहत एक उपयुक्त मुआवजे की भी मांग की.

शैलजा ने कहा कि कि यूपी नफरत, विभाजन और कट्टरता की राजनीति का उपरिकेंद्र बन गया है.

यह भी पढ़ें- किसान आंदोलन 35वां दिन : कृषि कानूनों पर चर्चा के बीच किसानों का खाना मंत्रियों ने खाया

इस पत्र के हस्ताक्षरकर्ताओं में शिव शंकर मेनन, वजाहत हबीबुल्लाह, के सुजाता राव, टीकेए नायर और कई अन्य शामिल हैं. अपने पत्र में, नौकरशाहों ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका कोई राजनीतिक संबंध नहीं है.

इस मामले पर बोलते हुए शैलजा ने कहा कि अदालतें हमेशा न्याय देने के लिए होती हैं. हमारे पास पहले से ही पर्याप्त प्रावधान हैं. इस तरह के कानून लागू होने के बाद भी, अदालतें इसके विपरीत निर्णय लेती हैं. कई बार, कानून प्रवर्तन एजेंसियां ​​इसे पाती हैं. इस तरह के वर्गों को रखना बहुत मुश्किल है.

गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी लव जिहाद पर कानूनों का लगातार विरोध कर रही है.

नई दिल्ली : लव जिहाद मुद्दे पर कांग्रेस ने भाजपा पर एक बार फिर निशाना साधा है. हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि लव जिहाद भाजपा और आरएसएस के विभाजनकारी एजेंडे का एक हिस्सा है. मुझे नहीं पता कि यह किस उपयोगी उद्देश्य की पूर्ति करेगा.

उन्होंने कहा कि यह मुद्दा सिर्फ 104 सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी नहीं उठाया, बल्कि कोई भी सामान्य स्वतंत्र सोच वाला व्यक्ति कहेगा कि किसी भी देश में इस तरह के कानून नहीं हो सकते हैं.

मामले के बाद भी अदालतें आगे बढ़ रही हैं और कह रही हैं कि कुछ मुद्दे हैं जो दो व्यक्तियों के बीच हैं और उन्हें खुद ही फैसला करना है कि क्या करना है.

लव-जिहाद विरोधी कानून के इस्तेमाल पर गहरी अस्वीकृति और चिंता व्यक्त करते हुए, सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने इसे वापस लेने की मांग की. इसके साथ ही नौकरशाहों ने इसके तहत एक उपयुक्त मुआवजे की भी मांग की.

शैलजा ने कहा कि कि यूपी नफरत, विभाजन और कट्टरता की राजनीति का उपरिकेंद्र बन गया है.

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इस पत्र के हस्ताक्षरकर्ताओं में शिव शंकर मेनन, वजाहत हबीबुल्लाह, के सुजाता राव, टीकेए नायर और कई अन्य शामिल हैं. अपने पत्र में, नौकरशाहों ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका कोई राजनीतिक संबंध नहीं है.

इस मामले पर बोलते हुए शैलजा ने कहा कि अदालतें हमेशा न्याय देने के लिए होती हैं. हमारे पास पहले से ही पर्याप्त प्रावधान हैं. इस तरह के कानून लागू होने के बाद भी, अदालतें इसके विपरीत निर्णय लेती हैं. कई बार, कानून प्रवर्तन एजेंसियां ​​इसे पाती हैं. इस तरह के वर्गों को रखना बहुत मुश्किल है.

गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी लव जिहाद पर कानूनों का लगातार विरोध कर रही है.

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