धनबाद/निरसाः सृष्टि के आदि शिल्पी भगवान विश्वकर्मा पूजा को लेकर लोगों में काफी उत्साह है. इस शुभ अवसर पर आज घर-घर में भगवान विश्वकर्मा की पूजा बहुत ही धूम-धाम से हो रही है. कई जगह पर पंडाल का निर्माण कर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा स्थापित की गयी है. लेकिन धनबाद में विश्वकर्मा की परंपरा कुछ अनोखी और खास है. यहां चलती ट्रेन ही भगवान का पंडाल है. जहां एक बोगी में भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति स्थापित की गयी है. हर साल यहां चलती ट्रेन में विश्वकर्मा पूजा (Worship in running train) की जाती है.
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विश्वकर्मा पूजा के शुभ दिन में वाहन, कल-कारखानों, संयंत्रों, कल-पुर्जों की पूजा करने का विधान है. इस वर्ष सर्वार्थ सिद्धि योग में भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जा रही है. ऐसी मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा पूजा से कारोबार में कभी रुकावट नहीं आती. शुभ मुहूर्त में पूजा करने पर व्यक्ति को व्यवसाय में उन्नति और कुशलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है. यही कारण है कि आज के इस शुभ दिन में कोई भी शख्स भगवान विश्वकर्मा की सच्चे दिल से आराधना करना नहीं भूलता. लोगों की भगवान विश्वकर्मा के प्रति सच्ची भक्ति-भावना ही है कि भगवान विश्वकर्मा के प्रति यह आस्था चलती ट्रेन में भी देखी जा रही (Vishwakarma Puja in train in Dhanbad) है.
धनबाद रेलवे स्टेशन से खुलने वाली धनबाद हावड़ा कोलफील्ड एक्सप्रेस (Dhanbad Howrah Coalfield Express) में चलती ट्रेन में भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है. ये ट्रेन धनबाद से पश्चिम बंगाल के हावड़ा तक चलती है. विश्वकर्मा पूजा के दिन कोलफील्ड एक्सप्रेस पूजा स्पेशल ट्रेन बन जाती है. पिछले 25 साल से डेली पैसेंजर और रेल कर्मचारी मिलकर कोलफील्ड एक्सप्रेस में भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते आ रहे हैं. विश्वकर्मा पूजा के दिन पहले डेली पैसेंजर के प्रतिनिधि, चालक दल और गार्ड के साथ मिलकर इंजन की पूजा की. इसके बाद पूरे विधि-विधान के साथ बोगी में स्थापित भगवान विश्वकर्मा की आराधना की गई.
धनबाद से हावड़ा के बीच नियमित यात्रा करने वाले डेली पैसेंजरों का समूह ट्रेन में विश्वकर्मा पूजा का पूरा प्रबंध करता (Lord Vishwakarma Worship) है. हावड़ा से 16 सितंबर की रात लौटी कोलफील्ड एक्सप्रेस से भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा लाई गयी. रातभर धनबाद यार्ड में बोगी और ट्रेन को सजाया गया. शनिवार सुबह जब ट्रेन यार्ड से प्लेटफॉर्म नंबर 1 पर आई तो ढोल-ताशे के साथ भगवान का स्वागत हुआ. इसके बाद मंत्रोच्चार के बीच चलती ट्रेन में पूजा हुई और ट्रेन के हावड़ा पहुंचने से पहले सामूहिक आरती और प्रसाद वितरण किया गया. भगवान विश्वकर्मा के प्रति यह आस्था एक अटूट विश्वास भक्तों और भगवान के बीच कायम करती है.